राजस्थानी भाषा को मिले मान्यता, विधायक बेनीवाल को ज्ञापन

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नागौर 13 फरवरी। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति, राजस्थानी भाषा प्रसार संस्थान के संस्थापक एवं राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल को नागौर स्थित आवास पर राजस्थानीं भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए पुरजोर प्रयास करने सम्बन्धी ज्ञापन दिए।
कविया नें प्रथम ज्ञापन में लिखा कि राजस्थानी प्रदेश की प्रतीक एवम विश्व के सोलह करोड़ नागरिकों की मातृ भाषा को देश की आजादी के 74 वर्षो बाद भी संवैधानिक मान्यता का दर्जा नही दिया गया है जबकि राजस्थान सरकार ने पच्चीस अगस्त 2003 को राजस्थान विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भिजवा दिया। केंद्र सरकार की भाषाई उदासीनता के कारण यह महत्वपूर्ण मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ा है। इसके उपरांत भी यदि राजस्थान सरकार चाहे तो सर्वसम्मति से पारित संकल्प के आधार पर राजस्थानी भाषा को प्रदेश में द्वितीय राज भाषा का दर्जा दे सकती है। इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है। छत्तीसगढ़ में इस तरह का प्रयोग किया जा चुका है। कविया ने विधायक से आग्रह किया कि राजस्थान विधानसभा के चालू बजट सत्र में राजस्थानी भाषा को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दिलाने हित पुरजोर मांग करें।

प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

कविया ने द्वितीय ज्ञापन विधायक के माफऱ्त प्रधानमंत्री अग्रेषित किया है, जिसमें लिखा है कि राजस्थानी विश्व की पच्चीसवीं और देश की तीसरी समृद्ध भाषा है। इसका विशाल शब्द कोष है। राजस्थानी व्याकरण, मुहावरे, लोक कथाएं, लोक गाथाएं समृद्धशाली जीवंत भाषा होने का प्रमाण है। राजस्थानी से हर क्षेत्र में कमजोर भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूचि में लिया जा चुका है लेकिन राजस्थानी भाषा को मान्यता का सम्मान नहीं देना केंद्र सरकार की पक्षपात पूर्ण नीति का प्रतीक है। इसलिए प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों का कर्तव्य बनता है कि वो राजस्थानी भाषा को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए संसद एवं विधानसभा में पुरजोर मांग उठावें। ज्ञापन को अग्रेषित करने का विधायक से निवेदन किया गया है।
कविया ने राजस्थानी भाषा सम्बन्धि प्रभावी जानकारी के दस्तावेज विधायक को भेंट किये। साथ ही स्वरचित काव्य कृतियां भी भेंट की।
विधायक बेनीवाल ने इस मुद्दे पर पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन भी दिया।

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