
।। श्रीहरिः।।
।। श्रीमते रामानुजाय नमः।।
🙏गोपाष्टमी 🙏
मदनगंज किशनगढ़. कार्तिक शुक्ल अष्टमी को “‘गोपाष्टमी’” कहते हैं। यह गौ-पूजन का विशेष पर्व है। इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान कराके, विविध प्रकार से उनका शृंगार करके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है। इस दिन गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ – साथ जायें तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। सन्ध्याकाल जब गायें वन से चरकर वापस गाँव /गोष्ठ में आयें, उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पञ्चोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरण- रज ललाट पर लगायें | इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है।
गौ माता धरती की सबसे बड़ी वैद्यराज :-
भारतीय संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम सेवा मानी गयी है, श्री कृष्ण गौ सेवा को सर्व प्रिय मानते हैं।
शुद्ध भारतीय प्रजाति की गाय की रीढ़ में “सूर्यकेतु” नाम की एक विशेष नाड़ी होती है। उसका दूसरा नाम “गो” भी है। जब इस नाड़ी पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो स्वर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती हैं , इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है , यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को निष्प्रभावी करता है l
गाय को सहलाने वाले के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं क्योंकि गाय के रोमकूपों से सतत् एक विशेष ऊर्जा निकलती है।
गाय की पूछ से झाड़ने से बच्चों का भूत – प्रेत जनित व्याधि एवं दृष्टिदोष से बचाव होता है।
गौमूत्र एवं गोबर के लाभ तो अनन्त हैं , इसके सेवन से विषवृण (केंसर) के कीटाणु नष्ट होते हैं।
गाय के गोबर से लीपा पोता हुआ घर जहाँ सात्विक होता है, वहीँ इससे बनी गौ-चन्दन (कण्डे) जलाने से वातावरण पवित्र होता है इसीलिए गाय को पृथ्वी पर सबसे बड़ा वैद्यराज माना गया है। सत्पुरुषों का कहना है की गाय की सेवा करने से गाय का नहीं वरन् सेवा करने वालों का मङ्गल होता है।
गोपाष्टमी के दिन “राधिका सहस्रनाम” का पाठ करने से पाठक सहस्रयुगों तक वैकुण्ठ लोक में निवास करता है।
श्रीनारदपाञ्चरात्र ज्ञानामृतसार में वर्णित राधिका सहस्रनाम स्तोत्र की फलश्रुति में बताया है :—-
कार्तिके चाष्टमीं प्राप्य पठेद्वा श्रृणुयादपि।
सहस्रयुगकल्पान्तं वैकुण्ठवसतिं लभेत् ।।
‘माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट।
(ऋग्वेद८/१०१/१५)’
अर्थात् :-रुद्रपुत्रों की माता, वसुओं की पुत्री,आदित्यों की भगिनी,अमृतस्वरूप दुग्ध का आवासस्थान,निरपराध तथा अदिति(अखण्डनीय)गाय का वध मत करो-यह मैं चेतनायुक्त जन से कहता हूँ।-
इसमें स्पष्ट रूप से गोवध का निषेध है।ऐसा हीआदेश अन्यत्र धर्मशास्त्रों में प्राप्त है।अतःसभी को स्वमर्यादा में व्यावहारिकरूप से यथामति यथाशक्ति समग्रगोपरिवार की सुरक्षा में संलग्न होना चाहिए तथा जो भी गोवंशहत्या के किसी भी रूप में समर्थक हैं,उनका लोकतन्त्र की परिधि में पूर्ण प्रतिरोध तथा सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए।
गोपालकों को वधार्थ वृद्ध,रुग्ण तथा असमर्थ गोपरिवार का भी विक्रय कभी भी नहीं करना चाहिए।उनके गोबर का उपयोग कृषिक्षेत्र की उर्वराशक्ति की वृद्धि में करना चाहिए।
यह कहना भी अनुचित है कि वृद्ध गोवंश से गोपालकों की आर्थिक क्षति होती है।यदि सर्वरोगनाशक गोमूत्र तथा गोबर का सदुपयोग औषध और खाद आदि के निर्माण में करें तो गोवंश से हमारीआर्थिक विकास के संपन्नता की भी वृद्धि होगी। सभी को प्रतिदिन यथाशक्ति गोहेतु अग्राशन (कमसे कम एक रोटी)अवश्य निकालना चाहिए।सभी को यथाशक्ति गोदुग्धघृतादि का ही उपयोग करना चाहिए तथा यथासंभव स्वयं भी गाय का पालन-पोषण करना चाहिएऔर गोशालाओं की संस्थापना एवं सुरक्षा में सक्रिय सहयोग करना चाहिए।
यदि समस्त वैदिक धर्मावलम्बी(विशेषरूप से गोवंशपालक तथा गोशाला -संचालक) यह दृढ़ संकल्प ग्रहण करें कि किसी भी रूप में वे गोवंश (गाय,बैल,बछिया,बछड़ाआदि)का विक्रय गोमांसभक्षकों तथा पशुवधिकों के हाथ में नहीं करेंगे,तो स्वतः गोवंश की सुरक्षा हो जायेगी।
मनुस्मृति
अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी।
संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः।।’
(मनु०५/५१)केअनुसार गोवंश के विक्रेता,गोवंश की हत्या के अनुमतिदाता, गोवंश के वधकर्ता,गोवंश के मांस के व्यवसायी,गोवंश के मांस के निर्माता,गोवंश के मांस को परोसनेवाले तथा गोवंश के मांस को खानेवाले सभी गोवंशवध केअपराधी होते हैं।अतः किसी भी रूप में गोवंश को न बेचें तथा उन्हें ,श्राद्धादि में भी न छोड़कर, गोवधव्यापारियों के हाथ में न जाने दें।इसप्रकार एक भी गोवंश को वधशालाओं में न जाने दें।यदि परिस्थितिविशेष किसी गोवंश का त्याग भी करें, तो उसे गोशाला में ही भेजें।यह गोरक्षा का निर्बाध उपाय है।
इसके साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने का लोकतान्त्रिक संघटित प्रयास भी हमें करना चाहिए।
🙏 जयन्ति गावः। 🙏
🙏 जय श्रीमन्नारायणः 🙏
पंडित रतन शास्त्री, किशनगढ़, अजमेर। मोबाइल नंबर 9414839743

आपकी साइट पर बढिया जानकारी मिल रही है। इसे ऐसे ही मेनटेन रखें।