
होगा ओळयूं को इंदरधनख का विमोचन
जयपुर.
प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट फाउंडेशन की ओर से 17 अक्टूबर रविवार को आखर पोथी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमे लेखिका अभिलाषा पारीक ‘अभि’ रूबरू होगी और राजस्थानी भाषा में लिखी अपनी पुस्तक ओळयूं को इंदरधनख पर संवाद करेगी। इस पुस्तक में लेखिका पारीक ने अपने संस्मरण लिखे है। इनमे जयपुर के सामाजिक परिवेश विशेषकर गोविंददेवजी मंदिर, गोपीनाथजी मंदिर, रात्रि जागरण, रामधुनी सहित धार्मिक परम्पराओं से जुड़ी यादें है। साथ ही जयपुर के बंद हो चुके लता सिनेमा के बारे में, अप्रेल फूल, चार आना, दीयाळी का पटाखा, मेरा पहला कवि सम्मेलन, परिवार सहित अन्य परंपराओं पर भी लेख है। इस अवसर पर पुस्तक का विमोचन भी होगा।
श्रीसीमेंट के सहयोग से सुबह 11 बजे होने वाले इस आयोजन में अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार मनोहर सिंह राठौड़ करेंगे और समीक्षा विमला नागला करेगी। इसमे व्यास योगेश राजस्थानी प्रस्तावना पढ़ेंगे। आखर पोथी अंतर्गत अभी तक विभिन्न पुस्तकों के ऊपर चर्चा हो चुकी है।
लेखिका अभिलाषा पारीक अभि हिंदी और राजस्थानी भाषा में सृजनरत है और राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों की कवियित्री के रूप में प्रसिद्ध है। उनके लेख विभिन्न पत्र.पत्रिकाओं में छपते रहते है एवं दूरदर्शन और आकाशवाणी पर कविता और गीतों का प्रसारण होता रहता है। पारीक का राजस्थानी काव्य संग्रह सरद पून्यूं को चांद हिंदी काव्य संग्रह अभिचिंतन और मेरी ही तो गलती है प्रकाशित हो चुके है। इन्हें कई साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका है।
गौरतलब है कि आखर पोथी अंतर्गत अभी तक कई राजस्थानी भाषा की पुस्तकों का विमोचन हो चुका है। इसमे मोहन पुरी की पुस्तक अचपली बातां, संतोष चौधरी की पुस्तक काया री कळझळ, गजेसिंह राजपुरोहित की पुस्तक पळकती प्रीत, भोगीलाल पाटीदार की पुस्तक हिजरतु वन, शिवचरण सेन शिवा की पुस्तक इंतकाळ,
डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा की पुस्तक अटकळ और मानसिंह राठौड़ की पुस्तक टाबरिया म्हैं टाबरिया का भी लोकार्पण और साहित्यिक चर्चा हो चुकी है।