
मदनगंज-किशनगढ़।
श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत के तत्वाधान में रुपनगढ़ रोड स्थित श्री मुनिसुव्रतनाथ मंदिर में पयुर्षण पर्व के चैथे दिन उत्तम शौच धर्म दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम हुए। प्रातः श्रीजी के पंचामृत अभिषेक-शांतिधारा व पूजन की गई। उपाध्यक्ष दिलीप कासलीवाल ने बताया कि शांतिधारा करने का सौभाग्य चांदमल प्रकाशचंद कैलाशचंद गंगवाल परिवार कुली वाले को प्राप्त हुआ। श्रीजी के अभिषेक व दर्शन करने वालों का तांता रहा। श्रावक- भक्तों द्वारा पंच परमेष्ठी पूजन, देव शास्त्र गुरु पूजन, पंचमेरु पूजन, नव देवता पूजन सोलह कारण पूजन, दसलक्षण पूजन, पार्श्वनाथ भगवान, वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की विशेष पूजन की। भक्तों द्वारा सामायिक, प्रतिक्रमण कर यथाशक्ति अनुसार व्रत एवं उपवास रखें। सायंकालीन वीर संगीत मंडल की मधुर लहरियों पर नाचते गाते भक्ति भाव से संगीतमय आरती की गई। तत्पश्चात संध्याकालीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत श्री महावीर महिला मंडल द्वारा 9 से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए भक्ति नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने एक से बढ़कर एक भक्ति नृत्य की प्रस्तुतियां दी।
इस दौरान श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत अध्यक्ष विनोद पाटनी, मंत्री सुभाष बड़जात्या, दिलीप कासलीवाल, चेतन प्रकाश पांडया, प्रकाश गोधा, कैलाश गंगवाल,विमल पाटनी उरसेवा, पारसमल बाकलीवाल, राजेश पांडया, पूरन टोंगिया, अजीत बाकलीवाल, प्रदीप बाकलीवाल, छीतर मल पांड्या, राज कुमार वेद, विजय सेठी, धर्मचंद पाटनी, अरविंद वेद, नेमीचंद दोषी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
फोटो अभिषेक शांतिधारा करते परिवार जन
लोभ पाप का बाप
पर्यूषण पर्व के चैथे दिन उत्तम शौच धर्म धर्म के दिन पंचायत अध्यक्ष विनोद पाटनी ने शास्त्र वाचन करते हुए कहा कि क्रोध, मान, माया के बाद लोभ पाप का बाप है। लोभ दो वर्णों का मेल है । लोभ का अर्थ लोक व भ का अर्थ भटकना अर्थात जो लोक में भटकता है वह लोभ है। जो मानव अत्यंत लोभी है वह वास्तव में पेट को नहीं, पेटी (तिजोरी) को भरता है। पेट को भरना आवश्यक है लेकिन पेटी को भरना लोभ की भूमिका है। तृष्णा की खाई है लोभ। पाटनी ने कहा कि लोभी व्यक्ति को सुमेरु पर्वत के बराबर भी सोने का पहाड़ मिल जाए तो भी वह वह तृप्त नहीं होगा । लोभी मनुष्य की अपेक्षा वह पशु अच्छा है जो घास खाने के बाद उसकी वापस इच्छा नहीं करता है। पाटनी ने जोर देते हुए कहा कि सूर्य ठंडा हो सकता है, चंद्रमा प्रतापी हो सकता है। आकाश स्तब्ध हो सकता है, वायु स्थिर हो सकती है, किंतु लोभी व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। इसलिए लोभ पाप का बाप का है। इसके त्याग से ही मनुष्य जीवन सुखी हो सकता है।
जैन कुल की बेटी कार्यक्रम आज
पर्यूषण पर्व के तहत श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर नवयुवक मंडल की ओर से 4 सितम्बर को रात्रि 8 बजे से जैन कुल की बेटी नृत्य नाटिका कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जाएगी। श्री मुनिसुव्रतनाथ नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय पांडया बेटियों को संस्कारित करने के लिए यह नाटिका देखने की अपील की।

आचार्य वर्धमान सागर महाराज का अवतरण दिवस मनाया
वासल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर का 73 वा अवतरण दिवस रूपनगढ़ रोड स्थित मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर में सुबह पूजा-अर्चना कर पूर्व आचायो को अर्घ्य समर्पित किया गया। आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की विशेष पूजा-अर्चना की गई। सायंकालीन शानदार सजे 73 दीपकों से महाआरती की गई। प्रचार मंत्री गौरव पाटनी ने बताया कि आचार्यश्री ससंघ सहित वर्तमान में श्रीमहावीरजी में विराजमान है और उनका 7 वर्ष बाद राजस्थान में चातुर्मास करौली जिले के अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में हो रहा है। नवंबर माह में भगवान महावीर का महा मस्तकाभिषेक एवं पंचकल्याणक महोत्सव संपन्न होगा। आचार्यश्री वर्ष 2023 में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में भी सान्निध्य प्रदान करने मार्बल नगरी किशनगढ़ में भी आएंगे।