Womens Day : महिलाओं के वर्तमान और भविष्य पर हुई बात

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किशनगढ़, 8 मार्च। श्री रतनलाल कंवरलाल पाटनी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय किशनगढ़ में राष्ट्रीय सेवा योजना व महिला प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक दिवसीय शिविर का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. गीता शर्मा ने की।

ग्रामीण क्षेत्र में ठीक नहीं स्थितियां

कार्यक्रम में सर्वप्रथम महाविद्यालय की डॉ. मोहिता प्रसाद ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना, परिवार व देश का नाम रोशन किया है। महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। डॉ. कमलेश प्रितवानी ने लैंगिक असमानता व चुनौतियों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भी महिलाओं की स्थिति खासकर ग्रामीण परिवेश में अच्छी नहीं है। आज भी वहां बेटियों से ज्यादा बेटों को तवज्जो दी जाती है। समाज में आज भी कुरीतियां व्याप्त हैं, जिसके कारण महिलाएं आगे नहीं आ पाती हैं। उन्होंने बताया कि इन सब के बावजूद धीरे – धीरे समाज में जागरूकता आ रही है। महिलाएं आर्थिक, सामाजिक व पारिवारिक चुनौतियों का सामना मजबूती से कर रहीं हैं।

कपड़ों से नहीं आंके महिला का चरित्र

अगले चरण में बीएससी पार्ट थर्ड की विद्यार्थी वसुंधरा प्रजापत ने महिला सुरक्षा व वर्तमान में महिलाओं की स्थिति पर विचार व्यक्त किए। वसुंधरा ने बताया कि कपड़ों से महिलाओं के चरित्र को रेखांकित नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम के अगले चरण में प्रथम वर्ष की शालिनी कंवर एवं उनके साथ अन्य छात्राओं ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर बहुत ही मार्मिक व प्रेरणादायक लघु नाटक का प्रस्तुतीकरण किया। इसके पश्चात डॉ. उमा बाहरेठ ने वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति पर विचार व्यक्त किए।

एक आंदोलन से हुई शुरुआत

इसके बाद डॉ जेपी शुक्ला ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने बताया इस दिन की शुरुआत एक आंदोलन से हुई थी। साल 1908 में 15000 महिलाओं ने कार्य के समय, बेहतर सैलरी और वोट देने के अधिकार की मांग करते हुए न्यूयॉर्क में मार्च निकाला था। इसके एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की। वहीं साल 1975 से संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से इस दिन को मनाना शुरू किया। आगे उन्होंने बताया कि ऋग्वेद के अनुसार पुरुष को स्त्री रूप ही माना गया है। उन्होंने बताया कि पुरुष में नारी का ही रूप है। इसके पश्चात बीएससी पार्ट द्वितीय से राघव खांडल ने विचार प्रस्तुत किए।

हर साल होती है नई थीम

कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.गीता शर्मा ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को बताया कि हर साल इस दिन को मनाने की एक नई थीम होती है। इस वर्ष 2022 के लिए सयुंक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर को देखते हुए एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता को अपनी मुख्य थीम के रूप में घोषित किया है। उन्होंने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों के विरुद्ध समाज में जागरूकता लाएं। कार्यक्रम में एनएसएस अधिकारी महेंद्र कुमार वर्मा, जितेंद्र सिंह बीका, अब्दुल रशीद एवं अन्य संकाय सदस्यों में डॉ सत्यदेव सिंह, भजनलाल, अर्जुन लाल, मंगल राम मीणा, डॉ शोभा सिंह, डॉ अलका जैन, डॉ सीपी पारीक, डॉ मधु कुमावत, डॉ सुनीता चावला, डॉ नीतू भारतीय व अन्य संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ कुसुम चंगेरीवाल ने किया।

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