आचार्य अनुभव सागर का कई स्थानों पर स्वागत

Spread the love

चातुर्मास कर रहे अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर से मिलनका अद्भुत रहा दृश्य


भीलूड़ा.
भीलूड़ा में चातुर्मास कर रहे अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज का 48 दिन का मौन साधन और उपवास चल रहा है। साधना के 39वें दिन मुनि श्री के दीक्षा गुरु आचार्य अनुभव सागर महाराज सागवाड़ा से कल गुरुवार शाम विहार कर साधना की अनुमोदना करने भीलूड़ा पहुंचे। यहां गुरु- शिष्य का मिलन हुआ। शिष्य ने चरणवंदना की तो गुरु ने शिष्य को गले लगा लिया। गुरु और शिष्य के चहरे खिले तो उपस्थित श्रावकों के चेहरे भी खिल गए।
मिलन का यह दृश्य भीलूड़ा वालों के लिए इसलिए भी एतिहासिक और अद्भुत रहा क्योंकि मुनि पूज्य सागर महाराज को आचार्य श्री अनुभव सागर महाराज ने 1 मई 2015 को यहीं पर दीक्षा दी थी। गुरु और शिष्य ने शुक्रवार सुबह 4 बजे एक साथ मिलकर मन्त्रों का पाठ किया। आज सुबह 6 बजे आचार्यश्री ने सागवाड़ा के लिए वापस विहार कर दिया। आचार्य के भीलूड़ा नगर आगमन पर समाज द्वारा जगह जगह स्वागत और पादपक्षालन किया गया।
आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि मुझे आज मंदिर के दर्शन करते ही 1 मई 2015 की याद आ गई है। साधना का फल अंत:भूत होता है। मुनि पूज्य सागर एक उपवास भी नहीं कर सकता था और साधना के संकल्प के साथ उन्होंने 15 उपवास कर लिए हैं। मुनियों के आहार देने के अवसर को कभी नहीं चूकना चाहिए। राम अपने पूर्वभव में मुनि को आहार देने का अवसर चूक गए थे तो उन्हें वन वन भटकना पड़ा। शब्दों की बड़ी शक्ति होती है। उनका संभालकर उपयोग करना चाहिए। मुनि पूज्य सागर महाराज का मौन था तो उनके मुखारविंद से गुरु के गुणगान सुनने का अवसर नहीं मिला पर गुरु और शिष्य का मुख एक दूसरे के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करा रहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *