
विरासत स्वराज यात्रा पहुंची गांव अंगारी और गढ़बसई में
किशोरी (अलवर), 5 जनवरी। विरासत स्वराज यात्रा कस्बे के समीपवर्ती गांव अंगारी और गढ़बसई के राजकीय विद्यालय में पहुंची। यहां विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, हमारे देश का एक ही संदेश रहा है ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’। हम सब एक कुटुंब हैं। हम दुनिया को एक मानकर, एक रास्ते पर सदैव चलते रहे हैं। वह रास्ता सत्य और अहिंसा का है। उसी सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वालों ने इसे ‘‘जय जगत’’ कहा है। हम भारतवासी यह जानते और मानते है कि, इस धरती पर जिस तरह से सब छोटी-बड़ी नदियां मिलकर समुद्र बना देती हैं, उसी तरह से हम सब, संप्रदाय, समुदाय और धर्म एक हैं। हम विविध रास्तों और तरीकों से जीने वाले, उसी प्रकृति, भगवान की देन हैं, जो सबके लिए एक ही होता है।
इसी प्रकार आज तक जिन संप्रदाय या समुदायों में हिंसा रही, लड़ते – झगड़ते रहे। उनके कारण दुनिया हिंसा की शिकार होकर, पीछे जाती रही है। यदि सांप्रदायिकता, धार्मिकता की हिंसा ना होती तो दुनिया बहुत आगे होती।
हम इस दुनिया में जहां-कहीं भी, किसी भी जीवन पद्धति को अपनाने वाले हो, वह सब जीवन पद्धतियां अंत में एक ही जगह जाकर मिल जाती हैं।
उन्होंने कहा कि जो सहिष्णुता-सद्भावना से जीते रहे हैं। उनका इस दुनिया में सबसे प्राचीनतम परंपरा और प्राचीनतम इतिहास आज भी जीवित है।इसलिए हम अपनी प्राचीनता, अपनी विरासत को बचाने के लिए सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलेंगे, तो हम अच्छे विद्याग्रही बनकर इस दुनिया में अपने देश, समाज, नाम, काम को सदैव आगे बढ़ाते रहेंगे।
हम भारतीय स्नेह और सौहाद्र्र से परिपूर्ण होने के कारण ही जब भी किसी दूसरे धर्मों और संप्रदायों, समुदायों का झगड़ा और हिंसा होती है, तो हमने जो अच्छे लोग स्नेह और सौहाद्र्र से जीना चाहते हैं, उनको सहारा दिया है। जैसे रोमन साम्राज्य के द्वारा जरथुस्त्रा पवित्र मंदिर तोडऩे पर यहूदियों को भारत ने दक्षिण भारत में सहारा दिया था। हम हर ऐसे बुरे वक्त पर जब कोई कष्टमय पीड़ा में होता है, उनको सहारा देने वाले लोग रहे है। इसलिए हमारा संप्रदाय, समुदाय और धर्म, हिंसा में विश्वास नहीं रखता है। हम मानते है कि, जिस तरह से विभिन्न स्त्रोतों से निकलने वाली विभिन्न नदियाँ एक ही समुद्र में मिलती है। वैसे ही धर्म को मानने वाले सभी को अपने भगवान, अपनी प्रकृति में विश्वास होता है। यह भगवान और प्रकृति सब की एक ही होती है। इसलिए हम जय-जगत और वसुधैव कुटुंबकम् को मानने वाले हैं। क्योंकि हमने सार्वभौमिकता को स्वीकार किया है। हम सार्वभौम और सब धर्मों को बराबर सम्मान करते हैं। हम सब एक हैं, हम सबको एक होकर, बराबरी से सब धर्मों के सद्भाव से आगे बढऩा है। हम यह मानते हैं कि भगवान ने सबको एक जैसा बनाया है। हम सादगी, सरलता, प्रेम और सौहार्द से जिएं। हमारी सद्भावना हमारी देश की सबसे पहली कामना है।
अंगारी के प्रधानाचार्य रामफूल मीना ने कहा कि, हम सब पानी और पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेते है। गढ़बस्सी प्रधानाचार्य सरदार सिंह और राम शरण मीना ने जलपुरुष राजेंद्र सिंह के सामने कहा कि, हम अपनी नदियों और जोहड़ो को बचाने के लिए काम करेंगे और पेड़ पौधों के संरक्षण हेतु बच्चों को सतत जागरूक करते रहेंगे।
इस यात्रा में तरूण भारत संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश रैकवार, संतोष शर्मा, लेखराम सैनी, ओमप्रकाश, रमादेवी, नीरज आदि उपस्थित रहे।