
जर्मन स्पीकर्स क्लब की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अमेरिका से आए प्रोफेसर वी गणेशन ने किया संबोधित
जयपुर. विदेशी भाषाओं में कॅरिअर की असीम संभावनाएं है। लेकिन कोई भी भाषा सीखने के लिए पूरी गंभीरता और समय देने की आवश्यकता है। विदेशी भाषाएं सीखने के लिए उनकी संस्कृति भी सीखना जरूरी और व्याकरण भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही शब्दावली और अन्य सिद्धांत भी महत्वपूर्ण रहते हैं। यह विचार जर्मन भाषा विशेषज्ञ प्रोफेसर वी. गणेशन ने व्यक्त किए। अमेरिका में रहने वाले प्रोफेसर वी गणेशन ने जवाहर लाल नेहरु मार्ग स्थित डॉ. राधाकृष्णन राज्य केंद्रीय पुस्तकालय जर्मन स्पीकर्स क्लब की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जर्मन भाषा सीखने के बाद यूरोपियन यूनियन के एक बड़े क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त किए जा सकते है।
अधिक भाषाएं सीखने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि हमारा ज्ञान भी बढ़ता है और राष्ट्रीय एकता और वैश्विक एकता को प्रोत्साहन मिलता है। कोई भी दूसरी भाषा सीखने में हमारी मातृभाषा महत्वपूर्ण आधार का काम करती है। दूसरी भाषाएं सीखने के लिए जरूरी है कि हम एक बार में केवल एक ही भाषा सीखने के लिए कार्य करें। एक साथ दो भाषाएं सीखने की गलती नहीं करें।
भाषा सीखने में उसका उच्चारण भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इसके लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है। यह कोई असंभव कार्य नहीं है कठिन परिश्रम से युवा विदेशी भाषाएं सीख सकते हैं। जर्मन, स्पेनिश और फ्रेंच लैंग्वेज में कॅरिअर की काफी अच्छी संभावनाएं हैं।
अंत में प्रोफेसर वी गणेशन ने युवाओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। साथ यह भी कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय में पढ़ने जाने के लिए कभी भी एजेंसी के ऊपर निर्भर नहीं रहे बल्कि सीधे संपर्क करने का प्रयास करें। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राजेश मेठी ने किया। इस अवसर पर ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक प्रमोद शर्मा ने अध्यक्षता की। अंत में जर्मन स्पीकर्स क्लब के संयोजक देवकरण सैनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
