नई दिल्ली। नोएडा स्थित सुपरटेक के लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को रविवार को जमींदोज करने से अनुमानित 80 हजार टन मलबा निकला है। अनुमान है कि इसका मलबा करीब 15 करोड़ रुपए में बिकेगा। वहीं पर्यावरण प्रदूषण बढऩे से इसके आस-पास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है।चिकित्सकों ने दमा व श्वांस संबंधी अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों इस क्षेत्र से दूर जाने की सलाह दी है। साथ अन्य लोगों को भी सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है। गौरतलब है कि इन टावर्स को गिराने में 37 सौ किलोग्राम विस्फोटक का उपयोग किया गया था, जिससे काफी दूर तक धूल के गुबार देखे गए थे। इससे आस-पास के इलाके प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है।
चिकित्सकों के अनुसार अधिकतर धूल कणों का आकार पांच माइक्रोन या इससे कम है, जो अनुकूल मौसमी परिस्थतियों जैसे तेज हवाएं और बारिश की अनुपस्थिति में कुछ दिन वातावरण में ही रह सकते हैं।
ऐसे में खतरनाक स्तर तक पहुंच प्रदूषण से आंखों, नाक और त्वचा में खुजली, खांसी, छींक, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होने, दमा और दिल की बीमारी की शिकायत हो सकती है।
आस-पास के लोगों में बढ़ सकते हैं श्वांस संबंधी रोग
जयपुर के एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग के जनरल फिजिशियन डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि हवा की गति कम होने से धूल कण कुछ समय तक हवा में ही रह सकते हैं। इससे श्वांस संबंधी समस्याओं जैसे दमा और ब्रोंकाइटिस से जूझ रहे लोगों को परेशानी हो सकती है। उन्हें संभव हो तो कुछ दिन इस एरिया में जाने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि वातावरण में मौजूद 2.5 माइक्रोन से कम आकार के मौजूद कण समस्या हैं।
लोग बरतें सावधानी, बदल लें पहनावा
जब तक प्रदूषक सतह पर बैठ नहीं जाते तब तक आस-पास में रहने वाले लोगों को एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए और चश्मा पहनना चाहिए। पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए और कुछ दिनों तक सुबह टहलने से बचना चाहिए। समस्या बढऩे पर चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।