देश भर में तेजी से बन रही है सुरंगे

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सडक़ और रेल यातायात में हुई आसानी


जयपुर.
केंद्र सरकार की योजना है कि 2026 तक 331 किलोमीटर सुरंग वाली परियोजनाओं को 2026 तक पूरा किया जाएगा। ये घोषणा सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने बताया है कि प्रचालन के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग सुरंगों की कुल लंबाई 31 किलोमीटर है। कुल 196 किलोमीटर लंबाई वाली सुरंगें नीचे हैं। इसके अलावा 135 किलोमीटर लंबी सुरंगों की विस्तृत परियोजना का कार्य प्रगति पर है।
वर्तमान में 1641 टनल्स पर काम चल रहा है जिसका विस्तार लगभग 3445 किमी तक है। यह विकास के विभिन्न चरणों में है। कुछ टनल्स पर काम पूरा हो चुका है तो कुछ पर चल रहा है और कुछ हाल ही में लोगों की आवाजाही के लिए खोल दिए गए हैं। देखा जाए तो इनमें से 77 फीसदी पर काम पूरा किया जा चुका है। 20 प्रतिशत निर्माणाधीन हैं और शेष 3 प्रतिशत को हाल ही में आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। लगभग 280 सुरंगें ऐसी हैं जो 890 किमी से अधिक की लंबाई में फैली हुई हैं। इन्हें पूरा करने का लक्ष्य 2022 तक रखा गया है। 137 सुरंगों के जो 630 किमी से अधिक एरिया में फैली हुई हैं 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
मेट्रो का कार्य हो या टनल के लिए कोई और कार्य लेकिन टनल निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती निर्माण कार्य को आगे के स्तर तक ले जाना है। आज अगर टनलिंग का कार्य तेजी से हो रहा है तो टीबीएम का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। हम टीबीएम.टनल बोरिंग मशीन नई ऑस्ट्रियन टनलिंग विधि.एनएटीएम और रॉक मैकेनिक्स के माध्यम से ही तेजी से इन कार्यों को कर सकते हैं। केंद्र सरकार का इन तकनीकों पर काफी फोकस है। यही कारण है कि पिछले एक दशक में टनल निर्माण कार्य में प्रगति देखने को मिली है।
अभी हाल ही में पीएम मोदी ने प्रगति मैदान टनल और 5 अंडरपास का उद्घाटन भी किया है। ये सभी रास्ते लोगों के आवागमन के लिए खोल दिए गए हैं। इस टनल से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को जाम से राहत मिली है।
प्रगति मैदान टनल रोड के खुलने के बाद इंडिया गेट से लेकर मथुरा रोड, रिंग रोड, भैरों रोड, तिलक मार्ग, आईटीओ समेत तमाम इलाकों में ट्रैफिक कम हो गई है। ट्रैफिक मूवमेंट के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है।
इसी तरह अटल टनल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के मनाली और लाहौल स्पीति को जोड़ती है। इसका नाम वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज हुआ है। यह समुद्र तल से 10044 फीट की ऊंचाई पर गुजरने वाली टनल है। इसे दुनिया की सबसे लंबी यातायात टनल का सम्मान दिया गया है। इस टनल की लंबाई 9.02 किलोमीटर है।
केरल का त्रिवेंद्रम पोर्ट रेलवे सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी है। इसका निर्माण 2022 में पूरी होने की उम्मीद है। यह सुरंग देश की दूसरी सबसे बड़ी रेलवे सुरंग होगी।
जम्मू और कश्मीर में स्थित संगलदान सुरंग वर्तमान में भारत में दूसरी सबसे लंबी रेलवे सुरंग हैए जिसकी लंबाई 8 किलोमीटर है। इसे जनता के लिए 2017 में खोला गया था। यह सुरंग जम्मू और बारामूला को जोड़ती है।
रापुरू रेलवे टनल भारत में पहली और साथ ही सबसे लंबी विद्युतीकृत रेलवे सुरंग है। इसका आकार घोड़े की नाल के समान है। इसका उद्घाटन 2019 में किया गया था। लगभग साढ़े छह मीटर की ऊंचाई पर स्थित रेलवे सुरंग के बनने से चेन्नई और मुंबई के साथ साथ चेन्नई और हावड़ा के बीच दूरी कम हो गई।

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