देश को ऊर्जा संकट से बचाना भी जरूरी
सौर ऊर्जा चूल्हा क्रांति की बनानी होगी योजना
विकेंद्रीकृत एवं गांव आधारित विकास ही स्थायी समाधान

कोरोना के बाद अचानक बढ़ी ऊर्जा की मांग ने पूरे देश और दुनिया में संकट बढ़ा दिया है। पूरा विश्व जिस आत्मघाती विकास की राह पर चल रहा है उसके दुष्परिणाम सामने आने शुरू हो गए है। अधिक से अधिक ऊर्जा और संसाधानों की खपत एवं बर्बादी को ही विकास का मानदंड बना दिया गया है जिसने इस मुसीबत को बुलावा दिया है। हम देश भर में बिजली और पेट्रोलियम पदार्थों की बचत कैसे कर सकते है। इसके लिए शोध एवं अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहित करना चाहिए।
ब्रिटेन में कोरोना काल की परिस्थितियों के बाद ड्राइवरों की कमी हो गई है जिसके कारण वहां खाने का भी संकट पैदा हो गया है। इस कारण वहां सेना को लगाना पड़ गया है। वहीं चीन में बिजली संकट के चलते पूरे विश्व में उत्पादों की आपूर्ति श्रंखला में रूकावट आ गई है। चीन के कोयला आधारित बिजलीघर पहले से ही पर्यावरण के लिए संकट बने हुए है। वहीं भारत में भी बरसात के कारण कोयले की कमी हो गई है। इसके कारण कोयला आधारित बिजलीघरों को चलाने में भारी परेशानी हो रही है। अगर अभी भी बरसात नहीं थमी तो हो सकता है कि कोयले की कमी के कारण बिजलीघरों में बिजली उत्पादन बंद हो जाए या कम हो जाए। इससे पूरे देश में समस्या हो जाएगी।
महंगे होते पेट्रोल-डीजल
इस समय पूरे विश्व में पेट्रोलियम महंगा हो जा रहा है। अभी 78 बैरल के आसपास है और अनुमान है कि सर्दियों तक यह 90 बैरल या इससे भी अधिक 100 तक भी पहुंच सकता है। इससे तो दुनिया भर में महंगाई की सुनामी आ जाएगी। भारत भी बहुत अधिक प्रभावित होगा। भारत में मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग की संख्या अधिक होने के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा और बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी। इसके साथ ही आम जनता में असंतोष भी बढ़ जाएगा। इस महंगाई की सुनामी को रोकने के लिए सरकार को युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए।
जरूरी है सौर ऊर्जा चूल्हा क्रांति
पेट्रोलियम के लगातार बढ़ती कीमतों के कारण गैस सिलेंडर की भी कीमत बढ़ जाएगी। कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत पहले ही बढ़ चुकी है। इसको देखते हुए सरकार को सौर ऊर्जा आधारित चूल्हा क्रांति की योजना बनाकर युद्ध स्तर पर लागू करना चाहिए। सबसे पहले देशभर के सामुदायिक भवनों, छात्रावासों, विद्यालयों में सौर ऊर्जा आधारित चूल्हों की स्थापना करनी चाहिए। इसके साथ ही मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए सौर ऊर्जा चूल्हों पर अनुदान बढ़ाकर इसका वितरण और बिक्री करनी चाहिए। अधिक से अधिक सौर ऊर्जा चूल्हों का विकास करने के लिए शोध कार्य को बढ़ावा देना चाहिए। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस आधारित चूल्हों और पारंपरिक चूल्हों के डिजाइन और उनकी क्षमता कैसे बढ़े इस पर भी शोध एवं विकास कार्य तेजी से होना चाहिए।
कर मुक्त हो सार्वजनिक परिवहन
महंगाई की सुनामी रोकने के लिए सार्वजनिक परिवहन को पूर्ण रूप से कर मुक्त और टोल मुक्त कर देना चाहिए। इससे सडक़ों पर निजी वाहन कम होंगे और प्रदूषण भी कम होगा। पेट्रोल-डीजल की मांग भी नियंत्रण में आ जाएगी। डीजल की कीमत बढऩे के कारण सभी उत्पादों और खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ जाती है जिससे जनता की परेशानी बढ़ती ही जाती है। इसके लिए छोटे भार वाहनों को टोल मुक्त करने पर विचार करना चाहिए। बड़े भार वाहनों जैसे ट्रक आदि पर भी टोल कम करना चाहिए।
विकसित किए जाए इलेक्ट्रिक ट्रक-बस
महंगाई रोकने और प्रदूषण कम करने के लिए देशभर में इलेक्ट्रिक ट्रक और बस विकसित किए जाने जरूरी हो गए है। अमरीका में अमेजन की सहायक कंपनी ने इलेक्ट्रिक पिकअप विकसित किया है। भारत में भी इसी तरह की बड़ी पहल की जरूरी है। हमे भी इलेक्ट्रिक पिकअप, ट्रक और बस विकसित करने की जरूरत है ताकि महंगाई को रोका जा सके। वहीं इलेक्ट्रिक ट्रक-बस और अन्य वाहनों की बैटरियों और अन्य को पर्यावरण अनुकूल बनाकर उनके निस्तारण का भी स्थायी एवं ठोस प्रबंध करना होगा। कहीं ऐसा न हो कि एक कुए से निकले और दूसरे कुए में गिर जाए वर्तमान में विकास के नाम पर समस्त संसार में यही हो रहा है।
इसके साथ ही देश के रेलवे टै्रक का विस्तार और विद्युतीकृत टै्रक का लाभ आम जनता को मिले इसके लिए अधिक से अधिक विद्युत रेल इंजनों का निर्माण करना चाहिए। उपेक्षित पड़े ग्रामीण और कस्बाई रेलवे स्टेशनों का विकास करना चाहिए। इनको मेमू या रेल बस आदि से जोडऩा चाहिए। इससे भी ग्रामीणों की निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी।
नए विकास मॉडल पर काम करें सरकार और समाज
इस ऊर्जा संकट का स्थानीय समाधान तो नया विकास मॉडल ही हो सकता है। महानगर और नगर आधारित विकास मॉडल तो बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करने वाला है। इससे तो समस्या बढ़ती ही जाएगी। अत: स्थायी समाधान तो गांव आधारित विकास ही है। इसके लिए विकेंद्रीकृत विकास को प्रोत्साहन दिया जाए। लोकल फोर वोकल के लिए बड़ी योजनाएं बनाकर उसे युद्ध स्तर पर क्रियान्वित किया जाए। इसके साथ ही ग्रामीण स्तर के प्रशासनिक तंत्र का आधुनिकीकरण किया जाए। साथ ही पंचायती राज चुनाव व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सुधार किए जाए ताकि गांवों से पलायन रोका जा सके। इसके लिए सयंमित जीवन शैली को भी प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी है क्योंकि उपभोक्तावादी विकास के कारण ही यह पर्यावरण संकट और जीवन मूल्यों का संकट पैदा हुआ है। स्थायी समाधान तो कम खपत वाली सरल और संयमित जीवन शैली ही है। इसी तरह के विकास को अपना कर भारत दुनिया को नई राह दिखा सकेगा।