Tomato: चीन के बाद टमाटर उत्पादन में दूसरे नंबर पर भारत, फिर भी कीमतें 100 के पार

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जयपुर। पिछले कुछ दिनों से टमाटर के भाव सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। जिस टमाटर को 15 दिन पहले 2 रुपए किलो में भी खरीददार नहीं मिल रहे थे, उस टमाटर के भाव में अचानक ऐसी आग लगी कि वह सीधा 100 रुपए किलो के पार हो गया। अब हालत यह है कि अचानक बढ़े टमाटर के भावों ने रसोई का जायका खराब कर दिया है तो घर का बजट भी बिगाड़ दिया है। आम लोगों को अब टमाटर खरीदने से पहले तीन बार सोचना पड़ रहा है। अधिकतर छोटी सब्जी की दुकानों से भी टमाटर गायब हो चुका है। कहीं मिल रहा है तो वह खरीदने लायक नहीं है। ऐसी हालत इन दिनों अदरक की है। अदरक अमूमन 100 रुपए किलो तक मिल जाती है। वैसे तो आम दिनों में अदरक के भाव 50-60 रुपए किलो के आस-पास ही रहते हैं, लेकिन इन दिनों अदरक के भाव भी 200 रुपए के पार पहुंच गए हैं। जयपुर की सबसे बड़ी फल -सब्जी मंडी मुहाना में शनिवार को टमाटर के थोक भाव 70 रुपए किलो से कम नहीं थे तो खुदरा में टमाटर 120 रुपए किलो बेचा जा रहा था। मुहाना मंडी में सैकड़ों खुदरा दुकानदार बैठते हैं, लेकिन टमाटर कुछेक गिनती के दुकानदारों के पास ही उपलब्ध था, हालांकि अदरक मंडी में खुदरा दुकानदारों के पास आसानी से उपलब्ध थी, लेकिन अदरक के भाव भी 220 रुपए किला से खुदरा में नहीं थे। ऐसे में इस बारिश के मौसम में लोगों की चाय का स्वाद भी बिगड़ रहा है। आलू-प्याज, टमाटर और अदरक रसोई की ऐसी चार जरूरतें हैं, जो न हों तो रसोई का स्वाद बिगड़ जाता है और इनके दाम बढ़ जाएं तो घर का बजट बिगड़ जाता है। ये चाराें चीजें रसोई की बारहमासी जरूरत हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि अभी कुछ दिन पहले तक तो ये ज्यादा से ज्यादा चालीस रुपए किलो मिल रहा था और अब अचानक 100-120 रुपये किलो कैसे हो गया।

हर साल इस मौसम में यही हाल

टमाटर हर साल इस मौसम में महंगा होता है, लेकिन इस बार भाव कुछ ज्यादा हैं। अब सवाल यह है कि हर साल इस समय में ही टमाटर महंगा क्यों होता है। क्या इसका कारण बारिश है या इससे कुछ दिन पहले पड़ने वाली तेज गर्मी। दूसरा सवाल यह है कि क्या किसान को टमाटर के इन महंगे भावों का फायदा मिलता है तो इसका जवाब करीब- करीब ना ही होता है। अब आखिर कौन है, जो टमाटर के भावों को सातवें आसमान पर पहंुचा कर अपनी जेबें गर्म कर रहा है।
अभी जून के शुरुआत की ही तो बात है, जिस टमाटर को फेंकने की नौबत किसान के सामने थी, जिसके लिए पांच रुपए भी किसान नहीं पा रहा था। जून के अंत में वही टमाटर क्यों महंगाई के मारे लाल होकर 120 रुपए तक पहुंच गया है? पिछले कुछ वक्त से क्या देश में हर साल गर्मी के सीजन में टमाटर फेंका जाता है। किसान के पास सिवाए टमाटर को खुद ही बर्बाद करने के कोई चारा नहीं होता और फिर बारिश आते ही टमाटर की कीमत सेब के बराबर हो जाती है। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है?

भारत से दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक

खाद्य तेल हो या ईंधन, जब भी महंगा होता है तो इसके पीछे की वजह आयात बताई जाती है। क्या टमाटर भी बाहर से आयात करना पड़ता है? दुनिया में चीन के बाद टमाटर की उपज सबसे ज्यादा भारत में होती है। भारत हर वर्ष करीब दो करोड़ टन टमाटर की फसल तैयार कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि भारत ने पिछले वर्ष 89 हजार मीट्रिक टन टमाटर का निर्यात भी किया है। इससे ये बात तो साफ हो गई कि भारत के किसान टमाटर उगाने में कमजोर नहीं है। जब टमाटर हम दुनिया को निर्यात कर रहे हैं तो ऐसे में टमाटर के भावों में अचानक ये आग क्यों लग रही है।

ग्राहकों के निशाने पर सब्जी विक्रेता

अगर आप एक किलो टमाटर लेंगे तो इसमें 9 से 10 टमाटर चढ़ेंगे। एक टमाटर की कीमत 11-12 रुपए हो गई है। जयपुर में गुर्जर की थड़ी स्थित एक सब्जी विक्रेता से जब इस बारे में बात की गई तो उसने कहा कि टमाटर के भाव सौ रुपए के पार चल रहे टमाटर खरीदने आ रहे लोग भाव सुनते ही हम पर भड़क जाते हैं। कहते हैं कि लूटने बैठा है। वहीं, एक ग्राहक ने कहा कि टमाटर लेने आए हैं, 120 का है, सोचा था एक किलो लेंगे। पाव भर लेकर जा रहे हैं
वहीं एक और शख्स ने भी कहा कि, चालीस-पचास में हिम्मत कर भी लें। अभी टमाटर 120 रुपए किलाे मिल रहा है। ऐसे में टमाटर खरीदने की हिम्मत ही नहीं हो पा रही है। अब पाव या आधा किलो ले जाते हैं। इन दिनों में टमाटर की कीमतों को लेकर देश के अधिकतर इलाकों में कमोबेश यही स्थिति है।

कई राज्यों में उगाया जाता है टमाटर

भारत में अगर टमाटर की खेती और टमाटर उगाने वाले राज्यों के बारे में देखें तो भारत में सबसे ज्यादा टमाटर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। टमाटर की फसल राजस्थान में होती है, लेकिन यहां इसका रकबा सीमित है। जयपुर जिले में यह बस्सी, चौमूं में बहुतायत में उगाया जाता है तो जमवारामगढ़ तहसील के कुछ इलाकोें में टमाटर की पैदावार होती है। उदयपुर व उसके आस-पास के जिलों के साथ टोंक के किसान भी टमाटर की खेती करते हैं। भारत में टमाटर की दो फसल मुख्य रूप से होती है। एक फसल अगस्त से सितंबर के बीच बोई जाती है। दूसरी फसल फरवरी से जुलाई के बीच तैयार की जाती है। फरवरी वाली फसल में अप्रैल तक फूल और जून-जुलाई में टमाटर तैयार होकर मिलता है। यानी अभी जो टमाटर बाजार में होना चाहिए, वो फरवरी से जुलाई के बीच तैयार होकर बिकने वाली फसल है। यानी गर्मी से लेकर बारिश के बीच वाली फसल। अब इसका दाम अभी क्यों बढ़ा, यह समझ से परे है।

फसल खराब होने से घटी गई आवक

टमाटर के भावों में उछाल को लेकर मुहाना मंडी में फल सब्जी के थोक व्यापारी राजू शर्मा, गोल्यावास से बात की तो उन्होंने बताया कि टमाटर महंगा होने का कारण हरियाणा, राजस्थान, यूपी एमपी में फसल खराब हो गई है। इस वक्त दिल्ली की मंडी हिमाचल के टमाटर पर डिपेंड है, वहां तीस फीसदी फसल की कमी हुई है। इसीलिए दाम में तेजी है।
उन्हहोंने कहा कि पहले टमाटर के दाम नहीं मिल रहे थे तो किसानों ने फसलें नष्ट कर दी। इसके बाद कुछ फसल बची थी तो बिपरजॉय के कारण आए तूफान व बारिश से खराब हो गई। इससे एकदम से टमाटर की आवक घट गई और दामों में उछाल आ गया। वहीं अदरक के भावों में उछाल को लेकर भी उनका कहना था कि बारिश के कारण अदरक की फसल में भी नुकसान हुआ है और वैसे भी बारिश में अदरक नमी के कारण जल्द खराब हो जाती है, जिससे इसके भावों में तेजी आई है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान का टमाटर का काफी नुकसान हुआ। तूफान आने से पेड़ गल गए। बेंगलुरु का टमाटर आ रहा है। भाड़ा लगता है, इसलिए महंगा हो रहा है। आवक कम है।

किसान को नहीं फायदा, कमा रहे बिचौलिए

राजस्थान के कोटा समेत कई हिस्सों में टमाटर की फसल होती है। लेकिन दावा है कि पहले तेज गर्मी और फिर बिपरजॉय तूफान और बारिश ने इनकी टमाटर की फसल बर्बाद कर दी। यानी किसान को न तो अप्रेल से मई के बीच टमाटर की फसल का उचित दाम मिला, जब टमाटर खूब बिकता रहा और ना ही अब जब टमाटर की फसल बारिश के बाद महंगी हो गई।
टमाटर के बढ़ते दाम को लेकर कृषि विशेषज्ञ रामकरण शर्मा ने बताया कि इसका मुनाफा न ही किसान को मिल रहा है और न ही कंज्यूमर को। दरअसल इसके पीछे रिटेल माफिया है और वो मौसम का बहाना बनाकर दामों को कंट्रोल करता है। किसान अभी वैसी ही हालत में है जैसे पहले था। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया में महंगाई, सिर्फ लालच की महंगाई है। सरकार को ट्रेड माफिया को कंट्रोल करना पड़ेगा। कंज्यूमर प्राइस का आधा किसान को मिले तो बात बने।

ऐसे रोके जा सकते हैं टमाटर के बढ़ते दाम

इस अचानक आने वाली महंगाई से भी बचने का उपाय है। पहला उपाय ये है कि किसानों को बारिश के मौसम से पहले ही फसल उगाने की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, क्योंकि बारिश रोक नहीं सकते, इस मौसम में भारत के हर हिस्से में पानी बरसेगा ही।
दूसरा यह कि गर्मी में जब टमाटर सस्ता रहता है, ट्रांसपोर्टेशन सरल होता है, तब ही टमाटर को प्रोसेस करके प्यूरी बनाकर बोतल में रखने के काम पर हर जिले में जोर दिया जाए। बारिश से पहले ही टमाटर प्रोसेस करके रखा जाएगा तो किसान को उचित दाम भी मिलेगा, टमाटर बर्बाद नहीं होगा, बिचौलियों को आगे बारिश के वक्त मुनाफा लूटने की छूट नहीं मिल पाएगी।
इसके लिए सबसे जरूरी है कि पहले देश में कृषि के बुनियादी ढांचे को स्थानीय स्तर तक विकसित करने पर जोर दिया जाए, ताकि फल और सब्जियां ज्यादा से ज्यादा प्रोसेस करके रखी जा सकें। जिस दिन से ऐसा होने लगेगा तो किसान को अप्रेल-मई में अपना टमाटर दो रुपये में बिकने पर फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। न ही शहरी जनता को जून, जुलाई में टमाटर सौ रुपए का मिलने पर महंगाई से परेशान होना पड़ेगा, लेकिन हमारे यहां हो यह रहा है कि जब कीमतें बढ़ती हैं तो महंगाई रोकने के सारे उपायों के बारे में सोचा जाता है, जैसे ही कीमतें नियंत्रण में आती हैं, सरकार की इसके लिए बनाई जाने वाली सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली जाती हैं।

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