
जयपुर, 21 फरवरी। रंगों का त्योहार होली इस बार 17 मार्च को मनाया जाएगा यानि होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च को होगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शनिवार को हस्त नक्षत्र व वृद्धि योग में 19 मार्च को धुलण्डी मनाई जाएगी। पर्व को लेकर मिथिला व बनारसी पंचांग एकमत हैं। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च गुरुवार को दोपहर 1.13 बजे से आरंभ हो रहा है, जो 18 मार्च शुक्रवार को दोपहर 1.03 बजे तक रहेगा। होलिका का दहन पूर्णिमा तिथि में रात के समय भद्रा मुक्त समय के दौरान किया जाता है। ऐसे में 17 मार्च की मध्यरात्रि 12.57 बजे बनारसी पंचांग के अनुसार भद्रा रहेगा। वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार 17 मार्च को रात्रि 1.09 बजे तक भद्रा रहेगा। ऐसे में होलिका दहन 17 मार्च को 1.09 बजे के बाद ही किया जाएगा। ऐसे में व्रत की पूर्णिमा 17 मार्च को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 18 मार्च को होगी।
होली को लेकर मिथिला और बनारसी पंचांग एकमत हैं। इनके अनुसार 17 मार्च को रात्रि 1.09 बजे तक भद्रा का साया रहेगा। वहीं 17 मार्च गुरुवार को दोपहर 1.13 बजे से आरंभ हो रहा फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 18 मार्च शुक्रवार दोपहर 1.03 बजे तक रहेगा।
पूजा के समय इस मंत्र का करें उच्चारण
पवित्र होती है होलिका की भस्म
ज्योतिष आचार्य पंडित हनुमान सहाय शर्मा के अनुसार होलिका की पूजा करते समय ऊं होलिकायै नम: मंत्र का उच्चारण करने से अनिष्ट कारकों का नाश होता है। होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। होली के दिन होलिका की भस्म का टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु की वृद्धि होती है।