करवा चौथ पर है इस बार बड़े शुभ योगों का संयोग

Spread the love

भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था द्रौपदी को इस व्रत का सुझाव
बुजुर्ग महिलाओं का जरूर लें आशीर्वाद


जयपुर.
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (चौथ) रविवार विक्रम संवत 2078 तदनुसार दिनांक 24 अक्टूबर 2021 को करक चतुर्थी अर्थात् करवाचौथ का व्रत है। इस दिन चन्द्रोदय रात्रि 8 बजकर 27 मिनट पर होगा।
इस व्रत को सौभाग्यवती महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। यही कारण है कि इस व्रत को सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का त्यौहार भारतवर्ष में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है विशेषकर उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में करवा चौथ का वैशिष्ट्य देखने को मिलता है।

बन रहा है विशिष्ट शुभ योग

इस बार करवा चौथ पर विशिष्ट शुभ योग बन रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि यह शुभ योग पांच वर्षों बाद बन रहा है। इस वर्ष करवा चौथ व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में की जाएगी। साथ ही इस वर्ष करवा चौथ रविवार के दिन पड़ रहा है जिससे व्रत करने वाली महिलाओं को सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। क्योंकि सूर्यदेव ही स्वास्थ्य के अधिष्ठात्री देव है।
ज्योतिषशास्त्र एवं धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और करवाचौथ का व्रत महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना से करती हैं। ऐसे में इस वर्ष शुभ योगों का संयोग इतना विशिष्ट बन रहा है कि यदि इस दिन शुभ मुहूर्त में सही विधि से पूजा करने से आप अपने पतियों की दीर्घायुष्य का वरदान अपने जीवन में प्राप्त कर सकती हैं।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएँ प्रात: सूर्योदय से पूर्व रात्रि अन्तिम प्रहर से ही व्रत प्रारंभ कर देती हैं और रात्रि को चंद्रदर्शन और चंद्रपूजन के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन माँ पराम्बा पार्वती स्वरूपा चतुर्थी देवी और भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। यों तो करवा चौथ का यह व्रत विवाह के पश्चात् अनवरत 12 या 16 वर्षों तक करना अनिवार्य होता है फिर भी यदि आप चाहें तो इसे आजीवन भी रख सकती हैं। पति की दीर्घायुष्य के लिए करवा चौथ सबसे श्रेष्ठ उपवास बताया गया है।
करवा चौथ का शुभ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी सौभाग्यवती स्त्री इस व्रत को करती है उनके पति दीर्घायु होता है उनका गृहस्थ जीवन सुखद होता है। साथ ही उनके पति को स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर आधि व्याधि नहीं होती है।

करवा चौथ व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण नियम

करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा से पहले अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। सौभाग्यवती महिलाओं के लिए विवाह के बाद 12 या 16 वर्षों तक अनवरत करवा चौथ व्रत करना महत्वपूर्ण माना गया है। करवा चौथ के दिन महिलाएँ नवविवाहिता की तरह शृंगार करती हैं और सौभाग्यसूचक सभी आभूषण पहनती हैं। हाथों में मेहंदी रचाती है। करवा चौथ की पूजा में एक मिट्टी का करवा सम्मिलित करती है। मिट्टी के करवे से ही चंद्रमा को अघ्र्य देती है। इसके बाद पराम्बा चौथमाता और भगवान गणेश जी की आराधना करती है और उसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण करती है।

करवा चौथ के लिए महत्वपूर्ण पूजा सामग्री

करवा चौथ की थाली, पंचमेवा, घर के बने पकवान, सौभाग्य की सामग्री, छलनी, मिट्टी का करवा और ढक्कन, गंगाजल, कुमकुम और चन्दन, चावल और पुष्प, कच्चा दूध, शुद्ध घी, चुनरी, हलवा और खीर।
करवा चौथ के बारे में रामचरितमानस के लंका काण्ड में उल्लेखित वर्णन के अनुसारए जो कोई पति-पत्नी किसी भी कारणवश एक दूसरे से अलग हो गए हैं चंद्रमा की किरणें उन्हें ज्यादा कष्ट पहुंचाती हैं इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रदेव की पूजा करके महिलाएँ अपने पति के साथ आजीवन रहने की कामना करती हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने भी करवा चौथ व्रत का सुझाव द्रौपदी को दिया था जिससे पाण्डवों पर आये संकटों को दूर किया जा सका था।
करवा चौथ का व्रत निर्जल और बिना खाए पिए रहा जाता है। कुछ महिलाएँ शाकाहार भी करती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन होता है ऐसे में प्रयास करें और अपनी शारीरिक शक्ति के अनुसार यथासाध्य प्रसन्न मन से पूजार्चन करें। उपवास पूरा करने के बाद सीधे ही कोई गरिष्ठ भोजन न करें। हल्का भोजन करें और अगले दिन पेट भरकर भोजन करें।

तो नहीं करें व्रत

यदि आप गर्भवती हैं या मधुमेह रोग से पीडि़त हैं या फिर रक्तचाप या किसी भी ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं तो परामर्श दी जाती है कि करवा चौथ का व्रत ना करें। करवा चौथ के व्रत के दिन किसी पर क्रोध न करें किसी के अनिष्ट के लिए नहीं सोचें। किसी को अपशब्द भी न कहें। अपने मन, कर्म और वचन से किसी की आत्मा को कष्ट न पहुँचाए। इस प्रकार परम्परागत रूप से अपने घर की सास, जेठानी आदि वयोवृद्ध महिलाओं के निर्देशानुसार करवा चौथ का व्रत सम्पन्न करना चाहिए। घर की वयोवृद्ध महिलाओं का बहुमान करते हुये उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। आराधना से ज्यादा शक्ति आशीर्वाद में होती है।

शुभम् भूयात् स्वस्ति अस्तु।

पंडित रतन शास्त्री
91-9414839743

लेखक अजमेर जिले के किशनगढ़ में निवास करते है। संस्कृत के शिक्षक रहे है और कर्मकांड के आचार्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version