इस तरह चकमा दिया शिवसेना के बागी विधायकों ने

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महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार पड़ी संकट में


मुंबई.
महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार के संकट में पड़ जाने से हर कोई चकित है कि आखिर सरकार को भनक भी नहीं लगी और इतना बड़ा संकट खड़ा हो गया। अब हर कोई यह जानना चाहता है कि इतना बड़ा कांड कैसे हो गया। अघाड़ी सरकार के पास इतने बड़े ऑपरेशन की सूचना क्यों नहीं पहुंच पाई।
इन विधायकों ने निजी काम बताकर अपने सुरक्षा अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को चकमा दिया ताकि सरकारी तंत्र उनकी योजनाओं को न भांप सके। 20 जून को विधान परिषद के चुनावों के कुछ घंटों बाद यह संकट पैदा हुआ जिसमें विपक्षी भारतीय जनता पार्टी भाजपा ने अपने पांचवें उम्मीदवार को निर्वाचित कराने के लिए बेहतरीन प्रबंधन का प्रदर्शन किया। नतीजे आने के बाद से ही शिंदे संपर्क से दूर हो गए। वह और बागी विधायकों का एक समूह पहले गुजरात में रहा। बुधवार से शिंदे शिवसेना के कम से कम 38 बागी विधायकों और 10 निर्दलीय सदस्यों के साथ गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। उनका विद्रोह 21 जून की सुबह सार्वजनिक हो गया।
यह सभी विधायक कैसे मुंबई से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूरत जाने में सफल रहे। इस पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि विधायकों की सुरक्षा में जिन सुरक्षाकर्मियों को लगाया था उन्हें विधायकों ने बताया कि वे कुछ निजी काम से जा रहे हैं। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को इंतजार करने का निर्देश दिया। हालांकि इसके बाद वे बिना बताए सूरत चले गए। मुंबई के एक विधायक अपने कार्यालय में बैठे थे और नारियल पानी पी रहे थे उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह कुछ ही मिनटों में लौट आएंगे और वहां से चले गए। एक अन्य विधायक ने कहा कि उन्हें किसी काम से घर जाना है। कुछ दूर चलने के बाद विधायक ने साथ जा रहे युवा सेना पदाधिकारी को उतरने के लिए मजबूर कर दिया और खुद आगे बढ़ गए। एक विधायक ने अपने सुरक्षाकर्मियों को होटल के बाहर रुकने का निर्देश दिया कि उन्हें अंदर कुछ काम है और उन्हें वहीं छोडकऱ दूसरे गेट से निकल गए।
विधायक के नहीं आने पर सुरक्षा अधिकारियों ने अपने वरिष्ठों को इस बारे में सूचित किया। उन्होंने बताया कि कुछ अन्य विधायकों के मामले में भी ऐसा हुआ है। चार बागी विधायकों को वर्गीकृत सरक्षा प्राप्त थी जिनमें शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, गृह राज्य मंत्री शंभूराज देसाई, मंत्री अब्दुल सत्तार और संदीपन भुमरे शामिल हैं।
इकी सुरक्षा विशेष पुलिस अधिकारी और सुरक्षा अधिकारी संभालते थे लेकिन उनके सुरक्षाकर्मियों को उनकी योजनाओं के बारे में भनक तक नहीं थी क्योंकि व्यक्तिगत यात्रा के बारे में नहीं बताया गया। जब तक एसपीओ ने अपने वरिष्ठों को विधायकों की गतिविधियों के बारे में सूचित किया तब तक वे राज्य की सीमा पार कर चुके थे। सारे नाटक का खुलासा कुछ घंटों के अंतराल में हो गया। उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारियों को उनके भागने की योजना के बारे में पता नहीं था।
इस बीच गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कोई खुफिया विफलता नहीं हुई क्योंकि राज्य के खुफिया विभाग ने पिछले कुछ महीनों से शिवसेना के कुछ विधायकों के विपक्षी दल के नेताओं के संपर्क में होने की जानकारी दी थी।

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