आवश्यक वस्तुओं के दैनिक बाजार भाव की मॉनीटरिंग करेगी सरकार; खुलेंगे 750 मूल्य निगरानी केंद्र
Price Monitoring Centres
जयपुर.
उपभोक्ता कार्य विभाग- राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग और जिला आयोग तथा पूरे इकोसिस्टम द्वारा उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए बीआईएस, एनटीएच, कानूनी माप-विज्ञान और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के माध्यम से गुणवत्ता, मात्रा, मानकों, परीक्षण और बेंचमार्क की दिशा में एक साथ काम किया जा रहा है। इस संबंध में उपभोक्ता मामला विभाग ने देश के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिख कर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
भारत सरकार इनके जरिये रखेगी बाजार पर नजर
मूल्य नियंत्रण केन्द्रों द्वारा आवश्यक वस्तुओं के दैनिक बाजार भाव (थोक और खुदरा) उच्च आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के हिसाब से इक्कठा किए जाते हैं। इन्हें प्रतिदिन भारत सरकार को भेजा जाता है। इसके आधार पर सरकार यह निगरानी रखती है कि किसी वस्तु की कीमत अनापेक्षित तरीके से तो नहीं बढ़ रही है या फिर इन वस्तुओं का महंगाई में कितना योगदान है। इसके अलावा कल्याणकारी और आर्थिक नीतिगत निर्णयों में इन आंकड़ों का इस्तेमाल होता है। भारत सरकार एक मजूबत मूल्य रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित करने जा रही है। लिहाजा अब देश के सभी जिलों में मूल्य नियंत्रण केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
इन 22 आवश्यक वस्तुओं पर रहेगी निगरानी
केंद्र सरकार 22 आवश्यक वस्तुओं के दैनिक बाजार भाव की मॉनीटरिंग करती है। यह काम उपभोक्ता मामला विभाग करता है। चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सोया तेल, सूरजमुखी तेल, पाम तेल, आलू, प्याज, टमाटर, चीनी, गुड़, दूध, चाय और नमक आवश्यक वस्तुओं में शामिल हैं। इनके प्रतिदिन के थोक और फुटकार भाव पर नजर रखी जाएगी।
क्या है मूल्य निगरानी प्रभाग (पीएमडी)
उपभोक्ता मामले विभाग में मूल्य निगरानी प्रभाग (पीएमडी) चयनित आवश्यक वस्तुओं की मूल्य निगरानी के लिए उत्तरदायी है। प्रभाग की गतिविधियों में दैनिक आधार पर खुदरा और थोक की निगरानी, तथा चयनित आवश्यक वस्तुओं की स्पॉट एवं भावी कीमतों की निगरानी शामिल है।
मूल्य निगरानी प्रभाग राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उन परिवर्तनों की भी निगरानी करता है जिनसे कीमतों पर प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है। निगरानी किए जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के परिवर्तनों में थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, भारत में प्रमुख सब्जियों के मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य, भारत में खाद्य और खाद्येतर वस्तुओं का वर्तमान और भावी मूल्य, प्रमुख फसलों का उत्पादन, विभिन्न फसलों के तहत फसलों का रकबा, आवश्यक वस्तुओं का भंडार, आवश्यक वस्तुओं का सरकारी अधिप्रापण, नेफेड से प्राप्त दालों के अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू मूल्य और आवश्यक वस्तुओं के आयात और निर्यात शामिल होते हैं। निगरानी किए जाने वाले विश्व स्तर के परिवर्तनों में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मूल्य सूचकांक, भिन्न-भिन्न देशों की उपभोक्ता मूल्य सूचियां, व्यापार और वस्तुओं के मूल्य से संबंधित आंकड़े और विश्व कृषि आपूर्ति मांग अनुमान शामिल हैं।
राज्य सरकार को मिलेगी केंद्र से सहायता
उपभोक्ता कार्य विभाग में सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि उपभोक्ता आयोगों के प्रभावी कामकाज और उसका आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए सभी राज्य और जिला आयोगों को निर्धारित नीति के अनुसार विभाग की ओर से पूरी सहायता मिलेगी। इस नीति के अंतर्गत इन आयोगों के बुनियादी ढांचे के लिए 50% राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा और 50% केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार के सभी प्रतिनिधियों से पिछले वर्ष के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रदान करने का भी अनुरोध किया गया, जिनके लंबित होने की स्थिति में केंद्र बाद के वर्ष के लिए धन जारी नहीं कर सकता।
उपभोक्ता ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे शिकायतें
मंत्रालय के अनुसार उपभोक्ता अपनी शिकायते ऑनलाइन ई-दाखिल के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। विभाग ने हाल ही में उपभोक्ताओं के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए एक प्रारूप/टेम्पलेट को अंतिम रूप दिया है, जिसमें मानक क्षेत्र शामिल किए गए हैं और एक बार सभी अनिवार्य जानकारी प्रदान करने के बाद आयोग वास्तविक मामलों को आसानी से स्वीकार कर सकता है। उपभोक्ता कार्य विभाग में सचिव ने कहा, ई-कॉमर्स के माध्यम से, उपभोक्ता और आपूर्तिकर्ता के बीच बदलते समीकरण के साथ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर ई-कॉमर्स क्षेत्र में दर्ज होने वाली उपभोक्ता शिकायतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। उपभोक्ता विभाग के अनुसार एनसीएच में हर महीने दर्ज होने वाली 90,000 शिकायतों में से 45-50% शिकायतें ई-कॉमर्स से संबंधित होती हैं।