टीचर भर्ती पेपर लीक के सरगना का असली नाम अनिल, शेरसिंह के नाम पर कर रहा था नौकरी

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जयपुर। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड और 1 लाख रुपए के इनामी आरोपी शेरसिंह मीणा को लेकर एक और खुलासा हुआ है। एसओजी की टीम उसके गांव पहुंची तो पता चला कि उसका नाम तो अनिल है। ऐसे में अब अंदेशा जताया जा रहा है कि वह किसी और के नाम से सरकारी नौकरी कर रहा था।

पड़ताल में सामने आया कि अनिल उर्फ शेरसिंह ने कालाडेरा सरकारी कॉलेज से बीएससी की। वह पढ़ाई में काफी होशियार था। उसके हमेशा 90 प्रतिशत से ऊपर ही नंबर आते थे। तब नाम अनिल था। पहली बार तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर वर्ष 2005 में कालाडेरा के पास ग्राम डिसा में उसकी सरकारी नौकरी लगी थी। इसके बाद वह परीक्षा देकर वाइस प्रिंसिपल के पद तक पहुंचा, लेकिन नाम बदल चुका था। अनिल अब शेरसिंह हो गया था।

सीनियर टीचर भर्ती प्रकरण में एसओजी के हत्थे चढ़े शेर सिंह उर्फ अनिल मीणा से परिवार के सदस्यों ने नाता तोड़ लिया है। मां ने भी उससे मुंह फेर लिया है। वहीं भाई का कहना है कि घर में संत आते थे, लेकिन उसने पुलिस भेजी तभी से हमारा रिश्ता टूट गया। परिजन शेर सिंह के नाम से भी अचंभित हैं। वे तो उसका नाम अनिल ही जानते हैं। बड़े भाई सियाराम ने बताया कि चार भाई बहिनों में अनिल सबसे छोटा है। जबकि एक भाई सिकंदराबाद में रेलवे तथा दूसरा जयपुर पुलिस में है। वहीं बहन सरकारी स्कूल में टीचर है। अनिल ने नौकरी लगने के बाद परिवार से रिश्ता करीब करीब तोड़ ही लिया था। पिछले 6 वर्षों में परिवार के साथ उसका संपर्क न के बराबर रहा। वह 6 साल पहले पिता के निधन के समय कुछ देर के लिए आया। वहीं चाची के निधन पर तो वह आया ही नहीं था।

शेरसिंह को 17 अप्रेल तक का रिमांड

वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड और 1 लाख रुपए के इनामी आरोपी शेरसिंह मीणा को एसओजी की टीम ने शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने  मीणा को 17 अप्रेल तक रिमांड पर भेज दिया। पुलिस शेरसिंह और पेपर खरीदने वाले भूपेंद्र सारण को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी। रिमांड के आदेश के बाद मीणा को एसओजी की टीम उदयपुर से लेकर जयपुर आई है, जहां पेपर लीक से संबंधित  मामले में शेरसिंह से पूछताछ करेगी। दरअसल पेपर लीक के आरोपी भूपेंद्र सारण ने जयपुर के चौमूं निवासी शेर सिंह मीणा से पेपर खरीदना बताया था। इसके बाद यह पेपर सुरेश ढाका को बेचा गया और ढाका ने अपने साले सुरेश बिश्नोई के सहयोग से अभ्यर्थियों को 5-5 लाख रुपए में बेचा था।

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