
जैसलमेर। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राजस्थान के पोखरण में स्थित लोक देवता बाबा रामदेव के समाधि स्थल पर इस बार भी मेला नहीं भरेगा। यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए समाधि स्थल के दरवाजे 19 सितम्बर तक के लिए बंद कर दिए गए हैं। समाधि स्थल के दरवाजे बंद करने का निर्णय प्रशासन के आदेश पर समाधि स्थल प्रबंध कमेटी की ओर से लिया गया है। हालांकि 6 सितंबर तक समाधि स्थल के दरवाजे खुले हुए थे, जिससे दर्शनों के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे थे। भारी भीड़ के कारण कोरोना फैलने के अंदेशे के चलते प्रशासन ने समाधि स्थल के दरवाजे 19 सितंबर तक के लिए बंद करवा दिए हैं।
हर साल लगता है मेला
प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेंडर के भादवा माह में यहां बाबा रामदेव का मेला भरता है। राजस्थान ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पोखरण पहुंच कर बाबा की समाधि के दर्शन करते हैं। इस बार प्रशासन ने बाबा रामदेव का मेला भी रोक दिया है, लेकिन इसके बाद भी 7 सितम्बर को समाधि स्थल के बाहर और पूरे पोखरण में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ देखी गई। प्रशासन द्वारा समाधि स्थल के दरवाजे बंद करवाने के बाद भी श्रद्धालुओं का पोखरण पहुंचना लगातार जारी है। प्रदेशभर से यहां बाबा रामदेव के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का आवागमन हो रहा है। पोखरण और आस-पास के इलाकों सहित जोधपुर के रेलवे स्टेशन पर भी बाबा के जातरुओं को देखा जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि श्रद्धालुओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की समाधि स्थल के द्वार बंद हैं, उन्हें तो बस पोखरण तक यात्रा करनी है। पोखरण जाने वाले श्रद्धालु मोटर साइकिल तथा अन्य वाहनों पर देखे जा सकते हैं। कुछ तो पैदल ही सफर कर रहे हैं।
पुलिस को करनी पड़ रही मशक्कत
कोरोना की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने भले ही पोखरण में समाधि स्थल के दरवाजे बंद करवा दिए हों, लेकिन प्रदेशभर में खास कर पुष्कर से पोकरण तक के एक हजार किलोमीटर के मार्ग में जगह जगह भंडारे लगे हुए हैं। काफी संख्या में ऐसे श्रद्धालुओं को भी देखा गया है, जिन्हें तो यह पता ही नहीं कि पोकरण में समाधि स्थल के दरवाजे बंद हो गए हैं। चूंकि समाधि स्थल 6 सितम्बर तक खुला हुआ था इसलिए श्रद्धालुओं का पोखरण पहुंचना जारी है। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ रही है। चूंकि इन्हीं दस दिनों में बाबा रामदेव का जन्म और पुण्यतिथि मनाई जाती है, इसलिए श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ है। कोरोना काल में भीड़ एकत्रित न हो इसलिए समाधि स्थल के दरवाजे 19 सितम्बर तक के लिए बंद करवाए गए हैं। पुष्कर से लेकर पोकरण तक के मार्ग में श्रद्धालुओं के उत्साह और श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। बाबा के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं पुष्कर से भी जुड़ी हुई है। श्रद्धालु समाधि स्थल के दर्शन से पहले पुष्कर सरोवर में स्नान करने आते हैं या फिर दर्शन के बाद पुष्कर आते हैं। बाबा रामदेव के मेले के कारण ही इन दिनों पुष्कर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में प्रशासन को पुष्कर में भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, नहीं तो यहां भी स्थिति विकट हो सकती है।