पानी विस्थापित ग्रामीणों के घरों में घुसने लगा
टोंक.
बीसलपुर बांध पूरा भर गया है इसकी हर किसी को खुशी है। बांध लबालब होने से पेयजल समस्या दूर होगी । ही भूजल स्तर भी बढ़ेगा। दूसरी ओर इस बांध का पानी विस्थापित ग्रामीणों के घरों में घुसने लगा है ऐसे परिवार बीसलपुर बांध के आसपास बसे हुए हैं जो खेती बाड़ी कर रहे हैं या फिर जो अपने पैतृक घरों को खाली नहीं कर पाए हैं वे जलभराव की पीड़ा को सहन करने को मजबूर हैं।
बांध का पानी नापाखेड़ा की पुलिया के ऊपरी हिस्से को छूने को आतुर है साथ में बांध से सटे दर्जन से अधिक गांवों के लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। इन परिवारों की पीड़ा यह है कि बरसों से वह जिस स्थान पर रह रहे हैं। उनको खाली कर इस जगह से जाना पड़ रहा हैं। खेतों में पानी भरने से हजारों लोगों को नुकसान भी हो गया है। बांध में इतना पानी आया कि इसके चार गेट खोलने पड़े। अब अजमेर, कोटा व जयपुर जिलों की आबादी के लिए अगले दो वर्षों तक पेयजल आपूर्ति का इंतजाम हो गया। वहीं विस्थापितों की पीड़ा है कि सरकार ने मुआवजा राशि के साथ कम दरों पर जमीने दी है लेकिन चार दिन पहले जिन खेतों में किसान फसलों की निराई गुड़ाई व सार संभाल मे व्यस्त थे। आज उन खेतों में बीसलपुर बांध का पानी हिलोरे मार रहा हे। घरों की दहलीज पर पानी है। कुछ इसी तरह के विचार लिए कई किसान परिवार घरों के चारों और पानी से घिरे होने के बावजूद घर बार छोडऩे को राजी नहीं हैं। पाडलिया गाँव में बीजासन माता के मन्दिर के पास और बनास के किनारे कच्चे घरों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ गई है।