मरकर भी अमर हो गया वह नौजवान

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परिजनों के अंगदान के निर्णय से 4 लोगों को मिला नया जीवन


जयपुर.
कई लोग मरकर भी अमर हो जाते है और अपनी अमिट पहचान बना जाते है। कुछ के साथ तो ऐसा होता है उनके मरने के बाद उनके परिवार के लोग असहनीय दुख झेलने के बावजूद ऐसा निर्णय करते है कि कई लोगों को नया जीवन मिल जाता है। ऐसा ही निर्णय पुणे के युवक राजेंद्र के परिजन ने किया। उन्होंने जयपुर में अंगदान का निर्णय लेकर 4 लोगों को नया जीवन दे दिया और अपने दुख को बांट दिया।
कोल्हापुर महाराष्ट्र के प्रशांत राजेन्द्र शिंदे 18 जून को सीकर में सडक़ हादसे में घायल हो गया था। सिर में गहरी चोट होने के कारण उसे सीकर अस्पताल से जयपुर रेफर कर दिया गया। उसे जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। चिकित्सकों ने उसे 23 जून को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। जिसके बाद अस्पताल के डॉक्टर्स ने राजेंद्र के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया तो राजेंद्र के पिता और पत्नी सहित परिजन अंगदान के लिए तैयार हो गए। परिजनों ने बताया कि प्रशांत राजेंद्र शिंदे हमेशा से सामाजिक कार्य में आगे रहे, हमेशा ब्लड डोनेशन करते रहे। परिजनों की सहमति के बाद फोर्टिस अस्पताल में ऑर्गन डोनेशन का काम शुरू हुआ। डोनर के लिवर, किडनी और हार्ट का ट्रांसप्लांट से पहले रिसिपिएंट से मैच किया गया। क्रॉस चेक के बाद फोर्टिस अस्पताल में में राजेंद्र की दो किडनीए लिवर और हार्ट डोनेट हुआ। जिसके बाद हार्ट और एक किडनी एसएमएस हॉस्पिटल भेजे गए। लीवर और एक किडनी महात्मा गांधी हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजी गई। फोर्टिस अस्पताल से 6 मिनट मे एसएमएस ओर 9 मिनट में महात्मा गांधी अस्पताल में हार्ट लीवर और किडनी पहुंचाई गई।
एसएमएस अस्पताल में हार्ट और एक किडनी ट्रांसप्लांट की गयी। वहीं एक किडनी और लीवर महात्मा गाँधी अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया। एसएमएस के अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा ने बताया कि कार्डियक थोरेसिक विभाग ने ट्रांसप्लांट किया। कार्डियक थोरेसिक विभाग अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि 36 वर्षीय युवक का हार्ट अलवर के बहरोड़ निवासी 40 महिला के ट्रांसप्लांट किया। ट्रांसप्लांट कार्डियक डॉ. राजकुमार यादव के निर्देशन में सृजन डॉ. रामगोपाल यादव, डॉ रामस्वरूप सैन, डॉ राजेश शर्मा, डॉ देवी प्रसाद, डॉ. संदीप महला एवं एनेस्थिया के डॉ. सीमा मीणा और टीम के सहयोग से सफल ट्रांसप्लांट किया गया। रिसिपिएंट महिला को आईसीयू में डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है।

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