जयपुर। चीन में तांग राजवंश के शासन के दौरान चाय और चाय के बागान पूरी दुनिया में फैल गए। अब दुनिया के 160 देशों के लोग चाय पीने के आदी हो चुके हैं। पानी के बाद चाय दुनिया भर में सबसे ज्यादा पिया जाने वाला पेय पदार्थ है। यह सर्वविदित है कि चाय के पौधे की उत्पत्ति चीन के दक्षिण-पश्चिम में हुई थी। 4000-5000 साल पहले ही, चीनी लोग जागरूक हो गए थे कि चाय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती है और कुछ मानव रोगों को रोक सकती है। 581 ई. से पहले चाय के पौधे का बोया गया रकबा छोटा था, लेकिन 581-618 ई. की अवधि के दौरान इसका तेजी से विस्तार हुआ। तांग राजवंश (618-907 ई.) के लगभग 300 वर्षों के दौरान, चाय उद्योग का तेजी से विकास हुआ। इस अवधि में चाय पर रचनाएं प्रकाशित हुईं, जैसे टी क्लासिक, जो तांग राजवंश के यूएलयू द्वारा लिखा गया था और दुनिया में चाय पर सबसे पहली किताब है। चाय पर कर लगाने की शुरुआत भी तांग राजवंश के समय में चीन से ही हुई। तांग ताइज़ोंग (627-649 ई.) के शासनकाल के दौरान एकत्र किए गए चाय करों की राशि लगभग 400 मिलियन फेन (वेन) थी।
इसके बाद सोंग राजवंश (960-1279 ई.) के दौरान चीन के दक्षिणी भाग में चाय का रोपण इतना व्यापक था कि बारहवीं शताब्दी में इसका वितरण चीन के क्षेत्र के लगभग तीन चौथाई तक पहुंच गया।
चीन से दुनिया में चाय का प्रसार पूरी दुनिया में हुआ। आज 60 देशों में चाय की खेती होती है और 160 से ज्यादा देशों के लोग चाय पीने की आदत बना चुके हैं।
1980 के दशक में पारंपरिक चीनी दवा से आधुनिक दवा तक चाय का विकास शुरू हुआ। “प्रकृति की ओर लौटने” की एक सामान्य भावना में, चाय के प्रभावी घटकों पर शोध का खजाना पैदा हुआ, जो कई महत्वपूर्ण बीमारियों को रोक या नियंत्रित कर सकता है।
बायोएक्टिव यौगिकों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर
ग्रीन-टी की पत्तियों में कई प्रकार के स्वस्थ बायोएक्टिव यौगिक मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीफेनोल्स की भी मात्रा पाई जाती है, जो एक प्रकार के प्राकृतिक यौगिक हैं और शरीर में इंफ्लामेशन को कम करने के साथ कैंसर के विकास को रोकने में सहायक माने जाते हैं। ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) नामक कैटेचिन होता है। कैटेचिन प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो कोशिकाओं की क्षति को रोकने में मदद करते हैं। इससे स्वाभाविक तौर से कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
कैंसर की रोकथाम में सहायक
ग्रीन-टी में पाए जाने वाले असरदार यौगिक और एंटीऑक्सिडेंट्स कई प्रकार के कैंसर के जोखिमों को कम करने में मददगार माने जाते हैं। अध्ययनों की एक समीक्षा में पाया गया कि जो महिलाएं नियमित रूप से ग्रीन-टी पीती हैं, उनमें स्तन कैंसर विकसित होने का जोखिम 20-30% कम होता है। महिलाओं में यह सबसे आम प्रकार का कैंसर है। ग्रीन-टी पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार के लाभकारी प्रभाव डाल सकती है।
प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर में लाभ
ग्रीन-टी को लेकर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों ने इसका नियमित सेवन किया, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में कम था। इसी तरह से 29 अध्ययनों के विश्लेषण से पता चलता है कि ग्रीन-टी कोलोरेक्टल कैंसर होने के खतरे को भी 42% तक कम कर सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सबसे आसानी से उपलब्ध एंटाऑक्सीडेंट पेय है, जिसका सेवन आपको गंभीर रोगों के जोखिम से बचा सकता है।
डायबिटीज में भी देखे गए लाभ
ग्रीन-टी के प्रभावों के जानने के लिए किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि यह टाइप-2 डायबिटीज वाले रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि ग्रीन-टी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने के साथ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने में सहायक है। जापानी लोगों में किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि ग्रीन-टी का नियमित सेवन करने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम 42% तक कम होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बस इस बात का ध्यान रखा जाए कि ग्रीन-टी का संयमित सेवन ही लाभकारी है, इसके अधिक सेवन से नुकसान हो सकता है।
चाय और इसके प्रमुख घटक, जैसे कि हरी चाय, काली चाय, चाय पॉलीफेनोल्स, और एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) ट्यूमरजेनिसिस को रोकने में कारगर है। कम से कम 20 रिसर्च ने फेफड़े के ट्यूमरजेनिसिस पर चाय के घटकों के निरोधात्मक प्रभाव का संकेत दिया है। एक जनसंख्या आधारित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीन टी पीने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
दिल के लिए भी फायदेमंद
चाय पीना अधिकतर लोगों को पसंद होता है। कई लोगों की सुबह तो चाय के साथ ही होती है. कोई दूध वाली चाय पीता है, तो कोई ग्रीन या ब्लैक टी। दूध वाली चाय को हेल्थ के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, जबकि ग्रीन, ब्लैक और हर्बल टी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। चाय पीने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है, पाचन बेहतर हो सकता है। साथ ही चाय पीने से पेट और लिवर भी डिटॉक्स हो सकता है।
इतना ही नहीं चाय पीना हार्ट हेल्थ के लिए भी लाभकारी हो सकता है। जी हां, चाय पीने से हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है। कई शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्लैक और ग्रीन टी पीने से हार्ट हेल्थ में सुधार किया जा सकता है। इससे हृदय से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को भी कम करने में मदद मिल सकती है।
चाय और हृदय स्वास्थ्य में काफी गहरा संबंध हो सकता है। कई रिसर्च में साबित हो चुका है कि जो लोग चाय पीते हैं, उनमें हृदय रोगों का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में काफी कम होता है। इन रिसर्च में माना गया है कि हफ्ते में कम से कम 3 बार या उससे अधिक बार ग्रीन टी या ब्लैक टी पीने से हृदय रोगों से बचा जा सकता है। दरअसल, ग्रीन टी और ब्लैक टी में पॉलीफेनोल्स नामक कंपाउंड होता है। यह कंपाउंड हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। चाय पीने वाले लोगों का जीवन भी लंबा हो सकता है। चाय पीने वाले लोगों को हृदय रोग होने की आशंका काफी कम हो जाती है।
कई अध्ययनों में साबित हुआ है कि चाय पीने वाले लोगों का हार्ट हेल्थ अन्य लोगों की तुलना में अच्छा हो सकता है यानी चाय पीने से हृदय स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं।
चाय पीने वाले लोग अधिक स्वस्थ हो सकते हैं। इन लोगों का जीवनकाल भी लंबा हो सकता है। चाय पीने वाले लोगों को दिल का दौरा और स्ट्रोक होने की संभावना भी अन्य लोगों की तुलना में कम होती है.
कुछ रिसर्च में साबित हुआ है कि जो लोग चाय पीते हैं, उनमें हृदय रोग और स्ट्रोक विकसित होने की आशंका 20 प्रतिशत कम होती है। वहीं स्ट्रोक और हृदय रोग से मरने वालों की संभावना भी 22 प्रतिशत कम होती है।
चाय में पॉलीफेनोल्स मौजूद होता है। यह कार्डियोवैस्कुलर के लिए लाभकारी हो सकता है। चाय पीने से रक्त वाहिकाओं के कार्य में सुधार हो सकता है। साथ ही रक्त वाहिकाओं में फैलाव हो सकता है।
जो लोग सप्ताह में 2 से 3 बार ग्रीन टी और ब्लैक टी पीते हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रह सकता है। पॉलीफेनोल्स लंबे समय तक शरीर में नहीं बने रहते हैं। इसलिए, पॉलीफेनोल्स के लिए आपको सप्ताह में 2 से 3 दिन चाय जरूर पीनी चाहिए।
चाय का ज्यादा सेवन बीमारियों को न्योता
अगर आप अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर रोजाना 5-6 कप या इससे ज्यादा चाय पीते हैं तो आप अपने शरीर को बीमारियों को तोहफा दे रहे हैं। अब सवाल उठता है कि रोजाना कितनी कप चाय पीनी चाहिए?
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, चाय में मौजूद कई उपचार गुणों की वजह से सदियों से इसका पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता रहा है, हालांकि इसके ज्यादा सेवन से आपको कई बीमारियां लग सकती हैं, जैसे डिहाइड्रेशन, एसिडिटी, ब्लड प्रेशर, पेट से जुड़ी समस्याएं, सीने में जलन, आंतों पर प्रभाव आदि. ज्यादा चाय पीने से एक स्वस्थ व्यक्ति भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है।
कैफीन का ज्यादा सेवन खतरनाक
ब्राउन यूनिवर्सिटी के मुताबिक ग्रीन और ब्राउन टी दोनों की हर कप में 40 मिलीग्राम कैफीन होता है। इसका बहुत ज्यादा सेवन आपको कैफीन का आदी बना सकता है, जिससे आपके लिए किसी काम में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाएगा। आपको बेचैनी होगी और चिड़चिड़ापन भी महसूस हो सकता है। इसके अलावा, नींद का पैटर्न भी बिगड़ सकता है।
कैफीन के थोड़े इस्तेमाल से आपको कई फायदे देखने को मिल सकते हैं, लेकिन अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाएगा तो तमाम परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं। यह बात सच है कि चाय पीने से अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग फायदे और नुकसान देखने को मिल सकते हैं, मगर जरूरत से ज्यादा चाय आपको सिर्फ नुकसान की ओर ही ले जाएगी।
कितने कप चाय पीना सही
यह सबसे जरूरी सवाल है कि एक दिन में कितनी चाय पीनी चाहिए कि सेहत पर कोई बात न आए। हेल्थलाइन के मुताबिक, आप रोजाना 3 से 4 कप (710–950 मिली) चाय पी सकते हैं। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, चाय नहीं पीने वालों के मुकाबले, जिन प्रतिभागियों ने हर दिन दो या इससे ज्यादा कप चाय पीने की सूचना दी, उनमें मृत्यु दर का खतरा 9 से 13 प्रतिशत कम देखा गया।
ज्यादातर रिपोर्ट्स में चाय के ज्यादा सेवन को बीमारियों से जोड़ा गया है, इसलिए हेल्दी रहने के लिए आपको रोजाना सिर्फ 3-4 कप का ही सेवन करना चाहिए।