नई दिल्ली। लंबे समय से चला आ रहा बीएड-बीएसटीसी विवाद शुक्रवार को खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती के लेवल-1 के लिए केवल बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमाधारी ही पात्र होंगे। बीएड अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने लेवल-1 के लिए पात्र नहीं माना है। मामले में 12 जनवरी 2023 को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अनिरूद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की बैंच ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन और केंद्र सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। वहीं एनसीटीई के नोटिफिकेशन को अवैध करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में बीएसटीसी अभ्यर्थियों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट विज्ञान शाह ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2021 में एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसे देशभर से लाखों बीएड अभ्यर्थियों के साथ एनसीटीई और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है।
एनसीटीई के नोटिफिकेशन से शुरू हुआ था विवाद
राजस्थान सहित देशभर में ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल-1 में बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमा धारियों को ही पात्र माना जाता था। वहीं लेवल-2 के लिए बीएड डिग्रीधारी होना जरूरी था। 28 जून 2018 को एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन निकालकर कहा कि लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारी भी पात्र होंगे। वहीं नियुक्ति मिलने के बाद उन्हें 6 महीने में एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा। इसी नोटिफिकेशन से पूरे देश में यह विवाद शुरू हो गया था। इसके चलते बीएसटीसी और बीएड डिग्रीधारी आमने-सामने हो गए थे। इसके बाद हाईकोर्ट में नोटिफिकेशन के खिलाफ और पक्ष में याचिकाएं दायर हुई थीं।