धौलपुर। दुनियाभर में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका Striped Hyena राजस्थान के धौलपुर जिले के जंगलों में नजर आया है। यह राजस्थान ही नहीं, वरन् पूरी दुनिया के लिए एक सुखद खबर है। धारीदार हाइना (Striped Hyena) दुनिया के दुर्लभतम वन्य जीवों में शुमार है। यह धौलपुर के जंगलों में पहली बार देखा गया है। वन्य जीवों के अनुसार यह एक बहादुर वन्य जीव है, जो बाघों के मुंह से भी निवाला छीन लेने का साहस रखता है। धौलुपर के जंगलों में इसकी मौजूदगी से एक आशा की किरण जगी है और वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है।
पूरी दुनिया में बचे हैं 10 हजार से भी कम
इस Striped Hyena को धौलपुर में मचकुंड की तलहटी में अकेले विचरण करते देखा गया है। इसे धौलपुर में सुबह की सैर के लिए निकले एक व्यक्ति ने क्लिक किया। उसी ने लोगों को बताया कि यह Striped Hyena है, जो दुर्लभतम वन्य जीवों में शुमार है। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार लकड़बग्घों की यह प्रजाति Striped Hyena सन 1978 में नेपाल से लगने वाली उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की सीमा पर अंतिम बार देखा गया था।
दुनिया के केवल 15 देशों में बचा है अब
Striped Hyena भारत और अफ्रीका के अलावा दुनिया के केवल 15 देशों में ही पाया जाता है। अब भारत ही नहीं पूरे विश्व में इसकी संख्या घट रही है। इन्हें विलुप्त होने के कगार पर खड़ी प्रजातियों में गिना जाता है। यह IUCN की Red Book में शामिल है। यहां वन विभाग मान चुका था कि Striped Hyena धौलपुर के जंगलों से विलुप्त हो चुका है, लेकिन इस खबर से वन विभाग भी उत्साहित है। आईयूसीएन के सदस्य डॉ. दाउलाल बोहरा ने बताया कि धारीदार लकड़बग्घा का धौलपुर में दिखाई देना वनों में सुधार के लिए अच्छे संकेत हैं।
शिकार पर अचानक करते हैं अटेक
Striped Hyena को जंगलों का सफाईकर्मी भी कहा जाता है। ये अक्सर घने वनों में छिपे रहते हैं और शिकार पर अ चानक से हमला बोलते हैं। पर्यावरण प्रेमियों को कहना है कि मृत और सड़े जीव पर्यावरण के साथ अन्य वन्य जीवों के लिए खतरा होते हैं। इन्हें गिद्ध और Striped Hyena खाकर पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों को बचाने का कार्य भी करते हैं। सड़े वन्य जीवों के खाने से बाघ व अन्य जानवर मर सकते हैं। ऐसे में धौलपुर के जंगलों में Striped Hyena की मौजूदगी एक सुखद खबर है। धौलपुर के जंगलों में इससे पहले काली गिलहरी भी नजर आ चुकी है। इससे यह माना जा रहा है कि धौलपुर के जंगल वन्यजीवों के लिए मुफीद हैं।
अकेले ही निकलता है शिकार पर
धारीदार लकड़बग्घा दिन का अधिकांश समय अपनी मांद में बिताता है। यह अकेले ही शिकार की ताक में रहता है और यह समूहों में बहुत कम दिखता है। यह शिकार का कोई अवशेष नहीं छोड़ता बल्कि यह पुराना सड़ा-गला मांस भी खा जाता है। इसी वजह से यह वन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। संरक्षित श्रेणी के इस जीव की मौजूदगी जंगल के लिए सुखद मानी जाती है। आमतौर पर लकड़बग्घे खुद शिकार नहीं करते, बल्कि दूसरे जीवों के छोड़े गए शिकार खाकर काम चलाते हैं।
Striped Hyena के पैर होते हैं लंबे
धारीदार भूरे रंग के Striped Hyena के पैर लंबे होते हैं। उनकी काली धारियां उन्हें अन्य Hyena प्रजातियों से अलग करती है। लकड़बग्घा की पीठ नीचे की ओर झुकी होती है। Striped Hyena की खोपड़ी भूरे रंग के लकड़बग्घे और Spotted Hyena की खोपड़ी की तुलना में आकार में छोटी दिखाई देती है।