अवैध खनन पर रोक के लिए आत्मदाह करने वाले संत की थमीं सांसें

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दिल्ली के अस्पताल में तड़के तीन बजे हुआ निधन

भरतपुर। ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान आत्मदाह करने वाले संत विजय दास का शनिवार तड़के 3 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। संत विजयदास को दिन पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल से ग्रीन कोरिडोर बनाकर दिल्ली शिफ्ट किया गया था। वे सफदरजंग हॉस्पिटल की बर्न यूनिट में एडमिट थे। संत विजय दास ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया था। निधन की खबर मिलते ही बरसाना में शोक का माहौल हो गया। साधु-संत पहुंचने लगे हैं।

संत का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से यूपी के बरसाना लाया जाएगा, जहां उनकी 16 साल की पोती को संत के अंतिम दर्शन कराए जाएंगे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। खनन के खिलाफ संत समाज का धरना-प्रदर्शन करीब 551 दिन से चल रहा था। इस दौरान बाबा नारायण दास मोबाइल टावर पर भी जा बैठे थे, जो करीब 36 घंटे बाद बड़ी मुश्किल से नीचे उतरे थे। जब विजय दास ने खुद को आग लगा ली तब प्रशासन ने उनकी मांगें मानी और समझा-बुझाकर आंदोलन खत्म कराया।

हरियाणा के थे बाबा विजय दास

संत विजय दास हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित गांव बडाला के रहने वाले थे। साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे। अब सिर्फ पोती रह गई है।

12 साल पहले आए थे बरसाना

हादसे में बेटे और बहू खोने के बाद बाबा अपनी पोती को लेकर उत्तर प्रदेश के बरसाना के मान मंदिर आ गए थे। संत विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में भर्ती करा दिया था। इस दौरान वह संतों के संपर्क में आए और बाबा विजयदास बन गए। वर्ष 2017 में वे आदिबद्री और कनकांचल इलाके में खनन को रोकने के लिए शुरू हुए आंदोलन से जुड़ गए। उन्हें डेढ़ साल पहले पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया था।

बरसाना में होगा अंतिम संस्कार, पासोपा से लोगों को लाने के लिए 10 बसें लगाई

बाबा का अंतिम संस्कार भरतपुर के पसोपा में किया जाना था, लेकिन प्रशासन ने आज रीट परीक्षा का हवाला देकर साधु-संतों और गांववालों से बरसाना में अंतिम संस्कार करने की अपील की। इस पर संत समाज की बैठक के बाद बरसाना में अंतिम संस्कार का निर्णय किया गया। अंतिम संस्कार बरसाना में मान मंदिर के पास ही होगा। वहीं, भरतपुर जिला प्रशासन ने पसोपा से साधु-संतों और ग्रामीणों को बरसाना ले जाने के लिए 10 बसों की व्यवस्था की है।

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