बाजरे की खरीद शुरू करें राज्य सरकार : सांसद चौधरी

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केन्द्र बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण को हैं तैयार, लेकिन राजस्थान सरकार गत 3 वर्षो से एमएसपी पर बाजरा खरीद का नही भेज रही प्रस्ताव – सांसद चौधरी

केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने पत्र के प्रत्युत्तर में सांसद चौधरी को कराया अवगत

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बाजरे की खरीद को अविलम्ब प्रारंभ करावे राज्य सरकार सांसद चौधरी ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को लिखा पुनः पत्र

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद को सुगम बनाने के लिए पंचायत स्तर पर हो स्थाई खरीद केन्द्र की भी रखी मांग

आज सम्पूर्ण विश्व 2023 को अन्तराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मना रहा है लेकिन यहां बाजरा अपने घर में ही है उपेक्षित, एमएसपी खरीद के प्रस्ताव तक नही भिजवाए जा रहे।

राज्य सरकार बाजरे के एमएसपी खरीद के प्रस्ताव भेजे तोे शामिल हो बाजरा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में – सांसद चौधरी

अजमेर. अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित किए जाने हेतु केन्द्र सरकार के तैयार होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गत 03 वर्षो से खरीद का प्रस्ताव नही भिजवाने को लेकर आपत्ति जताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं मुख्य सचिव उषा शर्मा को पुनः पत्र लिखकर बाजरे की प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अविलम्ब खरीद प्रारंभ करवाने के लिए पूरजोर मांग रखी। सांसद चौधरी ने अपने पत्र में लिखा कि प्रदेश में खरीफ फसल 2022 के अन्तर्गत बाजरें का लगभग 50 लाख टन उत्पादन हुआ है। हमारा प्रदेश देश का सर्वाधिक बाजरा उत्पादन करने वाला प्रदेश है। जहां प्रदेश के बुवाई क्षेत्र का 66 प्रतिशत हिस्से में बाजरें की बुवाई प्रदेश के किसान करते है। अर्थात् देश का लगभग 44 प्रतिशत बाजरा हमारे प्रदेश में ही पैदा होता है। इसलिये बाजरा हमारें प्रदेश के अन्नदाताओं का ’’सोना’’ भी माना जाता है। सर्वविदित है कि ज्वार, बाजरा, जौ व रागी आदि मोटे अनाजों में पौष्टिक क्षमता सर्वाधिक होने के कारण ’सयुक्त राष्ट्र महासंघ’ ने भी हमारें देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुये वर्ष 2023 को विश्व में ’इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’ अर्थात् ’’अर्न्तराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’’ घोषित किया है। और स्वतंत्रता दिवस 2021 के अपने राष्ट्र के नाम उद्बोधन में माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी देश में कुपोषण से लडनें के लिये पोषक अनाजों की महत्वता के बारे में बताया था। तथा बाजरा आज पोषक आहार की श्रेणी में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिये बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये एवं 2022-23 के लिए 2350 रूपये तय भी किया है। लेकिन राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों से बम्पर पैदावार के बावजूद बाजरें की खरीद अभी तक प्रारम्भ नहीं की है। और न ही कोई रोडमैप तैयार किया गया है। जिससे प्रदेश का किसान एवं अन्नदाता चिंतित और बैचेन हो रहा है। जबकि केन्द्र सरकार खरीदे गये बाजरें को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरण कराने को भी तैयार हैं। लेकिन गत वर्ष 2020 एवं 2021 में भी आपकी सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव केन्द्र को नहीं भेजा था। जिसके चलते प्रदेश के अन्नदाताओं को मजबूरीवश घाटा खाकर मण्डी में लागत से भी कम दाम यानी औनपोने दामों पर अपनी बाजरा फसल को बेचना पडा। जबकि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये तय किये थे। और अकेले बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से प्रदेश के अन्नदाताओं को लगभग 5000 करोड का नुकसान हुआ। और आज प्रदेश का किसान अपने आप को लूटा एवं ठगा सा महसूस कर रहा हैं। ज्ञात रहे कि इस संदर्भ में केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने सासंद चौधरी को पत्र के प्रत्युत्तर में दिनांक 31.01.2023 (संलग्न) को लिखित में अवगत कराया हैं कि राजस्थान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मुल्य पर उक्त मोटे अनाज की खरीद के लिए उपार्जन योजना के अन्तर्गत कोई भी प्रस्ताव गत 3 वर्षों में भारत सरकार को नहीं भेजे गये। जबकि भारत सरकार सार्वजनिक वितरण योजना/मध्यान्ह भोजन योजना/एकीकृत बाल विकास सेवा में मोटे अनाज की खरीद और वितरण को बढावा देकर समुचित प्रक्रिया के अनुरूप प्राप्त उपार्जन योजना पर कार्यवाही हेतु कृत संकल्प हैं। अतः आप जल्द से जल्द प्रदेश के अन्नदाता, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भिजवानें और बाजरा खरीद का सुगम बनाने के लिये ’’स्थायी खरीद केन्द्र’’ पंचायत स्तर पर ही स्थापित कराने हेतुु संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करावें। ताकि प्रदेश के अन्नदाताओं को अपनी फसल का पूर्ण मूल्य मिल सकें एवं उनके आर्थिक शोषण को रोका जा सकें। और साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से जन-जन तक बाजरे जैसे मोटे अनाज के रुप में पोषक आहार को पहूचायां जा सकें।

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