तो हो जाएंगे इस जिले के ग्रामीण समृद्ध

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रामगढ़ बांध के जीर्णाेद्धार की जरूरत
जलसंग्रहण क्षेत्र से हटाए जाए अवैध निर्माण और अतिक्रमण

सत्येन्द्र शर्मा

जयपुर.
जयपुर जिले का रामगढ़ बांध उपेक्षा की मार झेल रहा है। विकास के नाम पर होने वाला शोर शराबा और हो रहा विनाश रामगढ़ बांध की त्रासदी बन गया है। इसकी बड़ी मार आसपास के सैकड़ों गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है वह करोड़ों-अरबों रुपए की समृद्धि से वंचित हो गए हैं। विकास के नाम पर हमने हमारे पुराने बांधों, तालाबों, नदियों आदि का दम घोंट दिया और विनाश रच दिया फिर भी हम विकास का दावा कर रहे हैं। गांवों को उजाड़ कर और शहरों को प्रदूषण का दड़बा बनाकर न जाने हम कैसा और किसका विकास रहे हैं। रामगढ़ बांध की दुर्दशा, उपेक्षा और एक तरह से हत्या इसका एक उदाहरण है।
होना यह चाहिए की हम हमारे प्राकृतिक खजाने को और अधिक सुरक्षित करें न कि पश्चिमी विकास की नकल पर महंगे विकास, कंक्रीट के जंगल और प्रदूषण के ढांचे को अपनाएं। हमें हमारे प्राकृतिक खजाने को सुरक्षित रखते हुए स्थाई और सशक्त विकास समावेशी विकास पर जोर देना चाहिए और उसी के लिए कार्य करना चाहिए। रामगढ़ बांध का जीर्णोद्धार या पुनर्जीवन समावेशी विकास का एक उदाहरण बन सकता है और रामगढ़ मॉडल के नाम से भी प्रसिद्ध हो सकता है।

हटाए जाए सभी अतिक्रमण

इसके लिए रामगढ़ बांध के आसपास हरियाली बढ़ाने के उपाय किए जाए। इसके जल ग्रहण क्षेत्र में आ रही सभी रूकावटों, अवैध निर्माण, अतिक्रमण को कठोरता से हटाया जाए। रामगढ़ बांध के क्षेत्र में सभी एनीकटों को हटाया जाए और बरसात के समय इसमें पानी आए इसकी व्यवस्था की जाए यह कार्य सरकार की ही जिम्मेदारी है। रामगढ़ बांध के पेटे में से भरी हुई मिट्टी और मलबा भी जल्द से जल्द हटाया जाए ताकि इसकी जलग्रहण क्षमता बढ़े।

जीवित करें नदियों को

रामगढ़ बांध में मुख्य रूप से अधिकतर बाणगंगा और ताला नदी का पानी आता है। इन सभी नदियों के आसपास हरियाली बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर स्थानीय पेड़-पौधे बड़, पीपल, नीम, खेजड़ी, आंवला आदि लगाए जाने चाहिए। इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में से भी सभी अवैध निर्माण और अतिक्रमण सख्ती से हटाए जाने चाहिए। इन नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जाए तो रामगढ़ बांध में पानी का बहाव बढ़ जाएगा। इसके लिए आसपास के ग्रामीणों को भी इस क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

ग्रामीणों को मिलेगा भारी लाभ

अगर रामगढ़ बांध में पानी भरता है और पूरा भरता है तो आसपास के सैकड़ों गांवों का जलस्तर बढ़ जाएगा इससे गांवों में न केवल पीने के पानी की समस्या दूर होगी बल्कि खेती सिंचाई की भी व्यवस्था हो जाएगी। बांध से निकलने वाली नहरों से बहुत से गांवों में पानी जाएगा और खुशहाली लाएगा। कई जानकारों का तो यहां तक कहना है कि इस बांध के बनने पर न केवल जयपुर जिले बल्कि दौसा तक भी लगभग 1000 गांवों के ग्रामीणों को लाभ मिल सकता है। इस बांध के भरने पर इन गांवों में समृद्धि का वह अध्याय शुरू होगा जो करोड़ों-अरबों रुपए तक पहुंच जाएगा और न केवल बिजली की बचत होगी बल्कि आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था ही पूरी तरह बदल जाएगी। वर्तमान में जो ट्यूबवेल खोदे जा रहे हैं और पानी निकाला जा रहा है वह 600 से 700 फीट गहराई पर है जिससे बिजली भी अधिक खर्च होती है और पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बन सकता है मिनी पंजाब

वहीं बांध के भरने पर यह क्षेत्र मिनी पंजाब के रूप में भी विकसित हो सकता है। रामगढ़ बांध के भरने से न केवल खेतीबाड़ी, पशुपालन बल्कि पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। इससे सैंकड़ों गांवों के ग्रामीणों को रोजगार के लिए जयपुर और दूसरे स्थानों पर कामकाज के लिए मजदूरी पर नहीं जाना पड़ेगा बल्कि वे अपने ही गांवों में रहकर समृद्ध बन सकेंगे और दूसरों को भी काम दे सकेंगे। इससे जयपुर जिले में बेरोजगारी का स्तर भी कम होगा और सरकार को भी काफी राजस्व मिलेगा। इसके लिए जरूरी है कि हम बड़ी बड़ी महंगी परियोजनाओं का मोह छोड़े और हमारे पास जो प्राकृतिक खजाना है उसी पर ध्यान केंद्रित करते हुए और उसी को और अधिक विकसित करने की ओर ध्यान केंद्रित करें ताकि उसका हमें कई गुना परिणाम मिल सके। यही हमे अरबों रुपए की समृद्धि की ओर ले जाएगा।

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