स्किन बैंक से बचाई जा सकेगी मरीजों की जानें

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जयपुर के एसएमएस अस्पताल में होगा शुरू
सबसे अधिक लाभ झुलस चुके और घायल रोगियों को होगा


जयपुर.
ब्लड बैंक की ही तरह अब राजस्थान में स्किन बैंक भी देखने को मिलेगा। इस बैंक के चालू होने के बाद आग से झुलस चुके और दुर्घटनाओं में घायल गंभीर मरीजों का उपचार करने में मदद मिलेगी। इस तरह के रोगियों के लिए सबसे अधिक जरूरत स्किन की ही होती है जो कि ऐनवक्त पर मिलना मुश्किल होती है। लेकिन इस बैंक के खुलने से तुरंत उपचार में मदद मिलेगी। यह बैंक जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) में शुरू होगा। इसे उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक बताया जा रहा है।
स्वयंसेवी संगठन रोटरी क्लब के सहयोग से अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में स्किन बैंक के शुरू होने के के बाद ऐसे मरीज जो बर्न होने पर 50 प्रतिशत या इससे अधिक झुलसने वाले, दुर्घटनाओं में गंभीर घायल जिनके घाव अधिक हो जाते है और उनके बचने की संभावना कम होती है। उन मरीजों के स्किन बैंक से नई स्किन कवर कर दी जाएगी जिससे उन्हें इंफेक्शन का खतरा नहीं होगा। इस तरह के रोगियों की स्किन खराब होने इंफेक्शन और जान जाने का खतरा भी अधिक रहता है। इनको बचाने के लिए स्किन ट्रांसप्लांट होना जरुरी है। स्किन बैंक को लेकर प्लास्टिक सर्जरी विभाग के यूनिट हेड एवं सीनियर प्रोफेसर डॉ. राकेश जैन ने बताया की लम्बे प्रयास के बाद उत्तर भारत का यह सबसे बड़ा स्किन बैंक होगा। अब स्किन बैंक में स्किन को स्टोर कर सकेंगे ताकि आवश्यकता होन पर पर मरीज को लगाकर जान बचाई जा सके।
बैंक में माइनस 20 से लेकर 70 डिग्री तक स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा। यह तीन से पांच साल तक सुरक्षित रहेगी।
ऑर्गन डोनर की काउंसलिंग के बाद केमिकली टेस्ट करके स्किन स्टोर रखी जाएगी। स्किन लेने के बाद इंफेक्शन से संबंधित जांच की जाएगी। जिसमे मुख्य रूप से हेपेटाइटिस, एड्स, कैंसर जैसी जांच होगी। जांच रिपोर्ट आने तक माइनस में कम टेम्प्रेजर पर रखी जाएगी। टेस्ट रिपोर्ट के बाद माईनस में अधिक टेम्प्रेजर पर स्किन को स्टोर किया जाएगा।   
अत्यधिक झुलस जाने के कारण मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है। सबसे अधिक समस्या मरीज के ड्रेसिंग और संक्रमण की होती है। इस हालत में रोगी को जल्द ठीक करने और जान बचाने के लिए स्किन बैंक से स्किन लेकर सर्जरी के जरिये नई स्किन लगाई जाएगी। इससे मरीज में संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। नई स्किन मरीज के दो से तीन सप्ताह रहेगी। घाव कवर करने के लिए नईस्किन  लगाई जाएगी। लेकिन शरीर हमेशा बाहरी वस्तु को त्यागता है।  जैसे जैसे मरीज रिकवर होगा शरीर में नई स्किन बनना शुरू हो जाती है।  सामान्यत: दो से तीन सप्ताह तक ट्रांसप्लांट स्किन मरीज के रहती है जिसके बाद स्किन हट जाती है।

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