
रात के अंधेरे में भारतीय फौज ने जब लिखी थी नए भारत की पटकथा
नई दिल्ली. भारतीय इतिहास में 28-29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हमेशा याद किया जाएगा। दरअसल इसी रात के अंधेरे में भारतीय फौज ने नए भारत की पटकथा लिखी थी। पीएम मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी देशवासियों से ‘सर्जिकल स्ट्राइक डे’ मनाने का आह्वान किया था।
याद हो, 18 सितंबर 2016 को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन दस्ते ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में इंडियन आर्मी की 12 ब्रिगेड के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेशन पर हमला कर दिया, जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हो गए थे। मारे गए आतंकियों से मिले जीपीएस सेट्स से पता चला कि हमलावर पाकिस्तान से आए थे।
लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार कर ऑपरेशन को दिया था अंजाम
इसके जवाब में भारत ने 28-29 सितंबर 2016 की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह पहला मौका था जब भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार कर ऑपरेशन को अंजाम दिया था। 150 कमांडोज ने इस दौरान पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में अंदर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। भारतीय जवानों के इस अप्रत्याशित हमले में 38 आतंकी और पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गए थे। भारतीय सेना के दो पैरा कमांडो भी लैंड माइंस की चपेट में आने से घायल हुए थे।
सर्जिकल स्ट्राइक की याद
18 सितंबर 2016 को सुबह के साढ़े पांच बजे जम्मू-कश्मीर स्थित उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर हथगोलों के धमाकों से गूंज उठा था। सीमा पार पाक अधिकृत कश्मीर से जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों ने सेना के कैंप पर घात लगाकर हमला किया था। हथगोलों के हमले से फौजियों के टेंटों में आग लग गई और उसमें सो रहे जवान बुरी तरह झुलस गए। सेना के जवानों ने तुरंत जवाबी हमला किया और मुठभेड़ में चारों आतंकियों को मार गिराया। लेकिन अचानक हुए इस हमले में हमारे 19 जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान की इस हरकत से सारे देश में शौक और गुस्से की लहर फैल गई। हर तरफ बस एक ही आवाज थी, बदला…
आतंकियों ने रची थी बेहद गहरी साजिश
आतंकी आकाओं ने बेहद गहरी साजिश के साथ हमला किया था। उन्होंने वक्त चुना था जब उरी कैंप से 10 डोगरा के जवान अपना कार्यकाल पूरा करके दूसरे मोर्चे पर जाने की तैयारी कर रहे थे और उनकी जगह 6 बिहार रेजीमेंट के जवान आ चुके थे। इस अदला-बदली के वक्त को ही हमले के लिए चुना गया था।
भारत के सब्र की परीक्षा ले चुका था पाक
ऐसे में पाकिस्तान, भारत के सब्र की परीक्षा ले चुका था। पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने एक बार संयुक्त राष्ट्र संघ में कहा था- ”दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते भी हैं तो आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद, आतंकवादियों को पालना कुछ देशों का शौक बन गया है।”
पाकिस्तान को करारा जवाब देने का आ गया था वक्त
उनकी यह कहावत पाकिस्तान पर सटीक बैठती है। ऐसे में वक्त आ चुका था पाकिस्तान को करारा जवाब देने का। ऐसे में पीएम मोदी ने भी देशवासियों को आश्वस्त किया कि उरी सेक्टर में शहीद हुए बहादुर सैनिकों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने दी जाएगी।
पीएम मोदी ने दिया था सर्जिकल स्ट्राइक का फाइनल डिसीजन
ऐसे में पीएम मोदी ने समुचित कार्रवाई के स्पष्ट आदेश दे दिए जिसमें यह तय किया गया कि पाकिस्तान चूंकि कायरता की सभी हदें पार कर चुका है इसलिए उसे जवाब भी सीमा पार करके दिया जाए। तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) दलबीर सिंह ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक का फाइनल डिसीजन पीएम मोदी का था और यह बहुत ही बोल्ड डिसीजन था।
लेखक व सुरक्षा मामलों के जानकार नितिन गोखले इस संबंध में बताते हैं कि 23 सितंबर 2016 को मिलिट्री ऑपरेशन रूम में एक मीटिंग हुई थी जहां पीएम मोदी, एनएसए, डिफेंस मिनिस्टर, आर्मी चीफ, डायरेक्टर जनरल मिलिट्री को डीजीएमओ ने ऑपरेशंस ब्रीफ किया और फिर वह दिन आया जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की।
इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक ही था सही कदम
कई साल से पाकिस्तान आर्मी इंस्पेसिफिक टेररिस्ट की इंफिल्ट्रेशन में, टेररिस्ट के लॉजिस्टिक में बहुत मदद कर रही थी और इंडियन आर्मी का यह कहना था कि इस पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन कोई तरीका नहीं था कि पाकिस्तानी आर्मी इसको मानती, इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक सही कदम था। भारतीय सेना ने इफेक्टिव और कारगर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके लिए मुकम्मल तैयारी की जरूरत थी, उचित समय और स्थान पर वार करने की जरूरत थी ताकि उसे संभलने का वक्त न मिल पाए। चुनौती बड़ी थी और वक्त बेहद कम था।
भारत की इस जवाबी कार्रवाई को समझने के लिए जाना होगा पीछे
भारत की इस जवाबी कार्रवाई को समझने के लिए हमें थोड़ा और पीछे जाना होगा, जब मणिपुर में 18 सैनिकों की हत्या के जवाब में जून 2015 में भारतीय फौज ने म्यांमार सीमा के अंदर जाकर एनएससीएन खापलांग गुट के कैंपों पर प्रहार किया था और 60 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। उस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में भय की लहर दौड़ गई थी कि कहीं उसके साथ भी भारत ऐसा ही ऑपरेशन न कर दे।
ऐसा इंसिडेंट होता है तो सरकार और देशवासी सेना से इसी प्रकार की कार्रवाई की करेंगे उम्मीद
म्यांमार में जिस टाइम पर भारत ने स्ट्राइक की थी, उसे सफलता मिलने के बाद यह बिलकुल क्लियर हो गया था कि अगर देश के अंदर कोई भी ऐसा इंसिडेंट होता है तो सरकार और देशवासी सेना से इसी प्रकार की कार्रवाई की उम्मीद करेंगे। भारत में लोगों को यह विश्वास हो गया था कि हमारी सेना मौका पड़ने पर हर सीमा को लांघ कर देश की रक्षा कर सकते हैं। पीएम मोदी और तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सुहाग लगातार मंत्रणा कर रहे थे। शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व में हर कदम पर पूरा सामंजस्य था। हमले की योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी उत्तरी कमान के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा को दी गई थी।
सर्जिकल स्ट्राइक इसलिए साबित हुई अलग
भारत ने सीमा पार कमांडो हमले पहले भी किए थे लेकिन वे थोड़े से क्षेत्र में दुश्मनों की कुछ चौकियों तक ही सीमित रहते थे, लेकिन साल 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक इसलिए अलग साबित हुई क्योंकि इसमें भारतीय सेना ने करीब 200-250 किलोमीटर के आर्क में दुश्मन देश के भीतर जाकर अपनी कार्रवाई की। इस स्ट्राइक को पॉलिटिकल अथराइजेशन दिया गया। इसके अंतर्गत भारतीय सेना ने सात जगहों पर एक साथ अटैक किया। इसमें बहुत बड़ा रिस्क भी था। इसलिए हमले से पहले ठिकानों की पहचान की गई। इसमें आतंकियों के बीच बैठे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने मदद की। उन्होंने सटीक ठिकानों और वहां मौजूद आतंकियों की जानकारी पहले से ही दे दी थी। इस सूचना के आधार पर टारगेट तय किए गए। टारगेट के रूप में पीर पंजाल पर्वत ऋंखला के दोनों और चार से पांच आतंकी कैंपों को चुना गया।
और फिर आया हमले का दिन…
27 सितंबर आधीरात को तीन जगहों से जांबाज कमांडो की पांच टुकड़ियों ने नियंत्रण रेखा पार की। दुश्मन के ठिकाने जब नजरों के सामने थे तभी एक और बड़ा फैसला लिया गया। हमले को 24 घंटे के लिए रोक दिया गया, तय किया गया कि 24 घंटे दुश्मन की हरकत पर नजदीकी नजर रखी जाए। सभी कमांडो नाइट विजन उपकरणों से लैस थे। दुश्मन के गढ़ में जरा सी आहट से पूरी योजना बिखर सकती थी लेकिन किस्मत ने वीर बहादुरों का साथ दिया और भारतीय सैनिकों ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पाकिस्तान में दुश्मन के सभी कैंपों को नेस्तनाबूद कर भारतीय जवान सुरक्षित भारत वापस लौटकर आए। वाकयी यह वो दिन बना जब भारत ने पूरी दुनिया को यह मैसेज दिया कि वह अपने दुश्मन के घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब देना जानता है। इसलिए यह दिन हमारे लिए बेहद खास है और हर देशवासी को इस गौरवपूर्ण दिवस को हमेशा याद रखना चाहिए।