
मध्यप्रदेश के आदिवासी भी होते है शामिल
जयपुर.
कोटा के पास बारां जिले में आयोजित होने वाला सीताबाड़ी मेला बहुत प्रसिद्ध है। यह राजस्थान के प्रमुख मेलों में से एक है। इस मेले में हाड़ौती क्षेत्र के ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के आदिवासी भी शामिल होते है। यह आदिवासी लघु कुंभ के रूप में भी प्रसिद्ध है।
बारां जिले के उपखंड शाहबाद के केलवाड़ा कस्बे में प्रतिवर्ष आदिवासी लघु कुंभ के नाम से सुप्रसिद्ध सीताबाड़ी मेला ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को आयोजित होता है। सीताबाड़ी का यह मेला ऐतिहासिक महत्व रखता है और धार्मिक एवं पशु मेला के नाम से पहचान रखता है। यह मेला सोमवती अमावस्या से शुरू होता है और कई दिन तक चलता है।
यहां कई राज्यों व जिलों से श्रद्धालु दर्शन करने बड़ी संख्या में आते हैं। यहां श्रद्धालु प्रसिद्ध मंदिरों के जलकुंड में स्नान करके मोक्ष की कामना करते हैं। बारां जिले के आदिवासी सहरिया समुदाय एवं मध्यप्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी जिलों में निवासरत आदिवासियों की इस पवित्र मेले में बड़ी आस्था है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान लक्ष्मण मां सीता को वनवास होने पर इस जंगल में उनके आश्रय के रूप में इसी स्थान पर छोडऩे आए थे। जब माता सीता को प्यास लगी तो लक्ष्मणजी ने इसी स्थान पर अपना तीर चला कर जलधारा बहाई जो आज यहां समीप स्थित बाणगंगा नदी के रूप में जानी जाती है। सीताकुटी के पास में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम सीताबाड़ी के महत्व को और भी बढ़ा देता है। कहा जाता है कि बालक लव-कुश का जन्म भी यहीं पर हुआ था। यहां प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर, महर्षि वाल्मीकि मंदिर, सीता मंदिर, लव-कुश मंदिर, सूरज कुंड के साथ ही वाल्मीकि कुंड, सीता कुंड, लक्ष्मण कुंड, सूरज कुंड और लव-कुश कुंड प्रमुख जल कुंड हैं। वहीं शिव पार्वती व राधाकृष्ण मंदिर कुंड भी बने हुए हैं। सीताबाड़ी में कुछ दूरी पर सीता कुटी बनी हुई है ऐसा कहा जाता है कि निर्वासन के दौरान माता सीता यहीं विश्राम किया करती थी।
इस मेले में पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से भी कई समाज-जातियों के लोग आते थे। आदिवासियों के शादी संबंध मेले में ही हो जाते थे। अगर किसी दूसरे गांव के बालक को निमंत्रण कर दिया जाता था तो उसे रिश्ते के रूप में स्वीकार कर लिया जाता था। यह मेला सामाजिक समरसता का प्रतिबिंब भी है। वर्तमान में ऐसे में दूर-दूर के दुकानदार मेले में आने लगे हैं। धार्मिक नगरी सीताबाड़ी में स्थित सिख समुदाय का प्रमुख केन्द्र कलगीधर दरबार गुरुद्वारा एवं गायत्री शक्तिपीठ सीताबाड़ी के धार्मिक वैभव को प्रदर्शित करते हैं।
