सांसारिक सुखों को त्याग श्रुति गांधी ने ग्रहण की जैन भगवती दीक्षा

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किशनगढ़, 28 फरवरी। किशनगढ़ शहर से वीतराग बनने की महायात्रा है दीक्षा। इसी कड़ी में आचार्य रमेश के मुखारविंद से 26 वर्षीय मुमुक्षु कुमारी सुश्री श्रुति गांधी नरेंद्र जी रेखा जी गांधी जावद मध्य प्रदेश ने सांसारिक सुखों और लोगों को छोडक़र संन्यास जीवन धारण कर जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की है।
इस अवसर पर आचार्य रमेश ने कहा कि साधु जीवन में पूर्ण रूप से अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह का पालन करना होता है। कार्य में विवेक का ध्यान रखना होता है कि किसी भी जीव को पीड़ा न पहुंचे। उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि ने कहा कि भौतिक पदार्थों में सत्ता सुख नहीं है। आत्मा से सच्चा सुख है। साध्वी वंदना श्रीजी श्रीजी महाराज सा ने संयम जीवन को श्रेष्ठ जीवन बताया। अजय कवाड, विनोद पोखरना, महेश नाहता, नरेंद्र गांधी, नेमिचंद कंवाड ने दीक्षा को अलौकिक अविस्मरणीय बताया। नए नामकरण में साध्वी श्रुति प्रज्ञा श्रीजी के नाम की घोषणा हुई। केस लोचन का कार्य के लिए साध्वी वंदना श्रीजीके नाम की घोषणा हुई।
इस अवसर पर किशनगढ़ मदनगंज के अलावा देश के अनेक स्थानों पर श्रद्धालु उपस्थित थे। किशनगढ़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक समिति का दीक्षा आयोजन में सराहनीय योगदान रहा।

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