अमृतसर में हृदयाघात से मौत
अमृतसर.
पाकिस्तान की जेल में कैदियों द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के बाद मारे गये सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का रविवार को यहां निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। दलबीर कौर ने पाकिस्तान की जेल से अपने भाई की रिहाई के लिए अभियान चलाया था। सरबजीत 1991 से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम विस्फोटों में शामिल होने के आरोप में जेल में बंद थे। कौर ने शनिवार रात सीने में तेज दर्द की शिकायत की थी और उन्हें यहां एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। सरबजीत सिंह की बेटी पूनम ने बताया कि दलबीर पिछले एक साल से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रही थीं।
गौरतलब है कि अप्रैल 2013 में लाहौर जेल में कैदियों द्वारा किए गए हमले के छह दिन बाद सरबजीत सिंह की मौत हो गयी थी। जेल में सरबजीत पर ईंटों और अन्य धारदार वस्तुओं से हमला किया गया था और उनकी पीठ और सिर में चोटें आई थीं और वह कोमा में चले गए थे। सरबजीत को पाक अदालत द्वारा आतंकवाद और जासूसी करने का दोषी ठहराया गया था। 1991 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई थी। हालांकि पाकिस्तानी सरकार ने 2008 में अनिश्चित काल के लिए उनकी फांसी पर रोक लगा दी थी। सरबजीत का पार्थिव शरीर लाहौर से अमृतसर लाया गया था जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई साल पहले दलबीर कौर ने अपने भाई को जेल से छुड़ाने के लिए अलग-अलग मंचों पर आवाज़ उठाई थी।
दलबीर अपने भाई सरबजीत सिंह की दो बेटियों और पत्नी सहित अपने परिवार के सदस्यों के साथ दो बार लाहौर की कोट लखपत राय जेल में उनका हालचाल जानने गयीं थीं।