पढ़िए नए बनाए गए महाकाल लोक के प्रथम चरण की विशेषताएं

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जानें, कैसा दिखता है ‘श्री महाकाल लोक’, अलौकिक खूबसूरती को अपलक निहारते रह जाएंगे आप

उज्जैन. भारत के प्राचीनतम नगरों में एक, उज्जैन में 11 अक्टूबर को पीएम मोदी ने ‘श्री महाकाल लोक’ का उद्घाटन किया। ऐसे में हर तरफ ‘श्री महाकाल लोक’ के अलौकिक नजारों की चर्चा हो रही है। महाकाल लोक की कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर अपनी भव्यता का नजारा पेश कर रही हैं। महाकालेश्वर मंदिर के नए स्वरूप का उद्घाटन भारत की ऐतिहासिक व सभ्यतागत राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण घटना साबित होने वाला है। दरअसल, इसके दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। पहला, आस्था और दूसरा भक्ति।

ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है ‘महाकालेश्वरजी’

जी हां, महाकालेश्वरजी, भगवान शिव की पूजा के लिए विख्यात ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख हैं। इसलिए इसमें लोगों की गहरी आस्था है और इसकी भक्ति के लिए लोग सात समंदर पार करके भी यहां आते हैं। ज्ञात हो, उज्जैन के महाकालेश्व मंदिर को मध्यकाल में आक्रमणों का सामना करना पड़ा था। स्कंद पुराण में उल्लेखित रुद्रसागर झील भी प्रदूषित पानी का तालाब बन गई थी।

पौराणिक नगरी के रूप में दुनियाभर में मशहूर

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इनके जीर्णोद्धार का काम अपने हाथ में लिया। उन्होंने जो स्वप्न 2017 में देखा था, वह अब साकार होने जा रहा है। पौराणिक नगरी उज्जैन के वैभव, परम्पराओं, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को पूरी तरह ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा श्री महाकाल क्षेत्र के समग्र विकास के लिए बनाई गई प्रभावी विकास योजना अब मूर्तरूप ले रही है। इसी उपलक्ष्य में पीएम मोदी गरिमामय समारोह में योजना के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण करने उज्जैन आ रहे हैं। यह गर्व और सौभाग्य का विषय है। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी सायंकाल 5:25 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर आगमन के बाद महाकालेश्वर के दर्शन कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद सायंकाल 6:25 से 7:05 बजे तक ‘श्री महाकाल लोक’ राष्ट्र को समर्पित कर कार्तिक मेला ग्राउंड में जन समारोह में शामिल होंगे।

किसकी तर्ज पर बन रहा “श्री महाकाल लोक” ?

उल्लेखनीय है कि “बनारस कॉरीडोर” की तर्ज पर “श्री महाकाल लोक” बनाया जा रहा है। “श्री महाकाल लोक” क्षेत्र विकास परियोजना की अनुमानित लागत 800 करोड़ रुपए है। योजना के प्रथम चरण में 350 करोड़ रुपए की लागत से भगवान श्री महाकालेश्वर के आंगन में छोटे और बड़े रुद्रसागर, हरसिद्ध मंदिर, चार धाम मंदिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। इसमें महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डैक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स और गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य शामिल हैं।

महाकाल कॉरिडोर की क्या है खासियत ?

महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिए उपयुक्त 200 मीटर लंबा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊंची एवं 500 मीटर लंबी म्युरल वॉल बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हो चुके हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। इन स्तंभों में भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप को दर्शाया गया है। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव को दर्शाने वाली धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं। पथ के साथ दीवार चित्र शिव पुराण की कहानियों पर आधारित हैं। लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है।

दो चरणों में पूरा होंगा ‘श्री महाकाल लोक’ का जीर्णोद्धार

वहीं दूसरे चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में पूर्ण होंगे। इस चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जाएगा। जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हेरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश और इस परिसर का महाकाल मंदिर परिसर से एकीकरण किया जाएगा।

आम श्रद्धालुओं के लिए खुल गए द्वार

प्रथम चरण के कार्यों का पीएम मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पण करने के बाद इसे आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। प्रथम चरण के कार्यों के खुलते ही हरि फाटक ब्रिज की चौथी भुजा से आकर श्रद्धालु जैसे ही त्रिवेणी संग्रहालय पहुंचेंगे, उन्हें बाबा श्री महाकाल के अलौकिक दर्शन होंगे। तीर्थयात्रियों को विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्राप्त होंगी। मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव स्मरणीय रहेंगे।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान महाकालेश्वर न केवल देश-प्रदेश, बल्कि विश्व में प्रसिद्ध हैं। लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष भगवान महाकालेश्वर की एक झलक पाने के लिए एकत्रित होते हैं। मोक्षदायी सप्तपुरियों में से एक अवन्तिका में भगवान महाकाल विराजित हैं।

क्यों बनाया गया ‘श्री महाकाल लोक’?

भगवान शिव से जुड़ी कथाओं, ज्ञान, भक्तिभाव और तन-मन शिवमय हो सके, इसके लिए ही ‘श्री महाकाल लोक’ बनाया गया है। शासन द्वारा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की सुविधा का बंदोबस्त किया गया है। श्री महाकाल लोक का लोकार्पण पीएम मोदी द्वारा मंगलवार की शाम को किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री भगवान महाकालेश्वर को समर्पित श्री महाकाल लोक स्तुति गान को भी लॉन्च करेंगे। इस गान को लॉन्च करने के बाद तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसे देखा और सुना जा सकेगा।

लोकार्पण के बाद शिप्रा नदी के किनारे कार्तिक मेला ग्राउण्ड पर पीएम मोदी जनसभा को सम्बोधित करेंगे। इसके पूर्व मशहूर गायक कैलाश खैर के द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनारस के कॉरिडोर की तर्ज पर उज्जैन में भी इसी तरह का विकास करने के बारे में संकल्प लिया और यह संकल्प अब पूर्ण हो चुका है। श्री महाकाल लोक श्री महाकाल महाराज विकास योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत निर्मित हुआ है। मंगलवार को प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण के पश्चात कुछ दिन के बाद श्री महाकाल लोक आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जाएगा।

सुंदरता देख खुद खिंचे चले आते हैं लोग

श्री महाकाल लोक को इस तरह से विकसित किया गया है कि पर्यटक और श्रद्धालु यहां खिंचे चले आएंगे। श्री महाकाल लोक का सौंदर्य मन मोहने वाला है। यहां पौराणिक कथाओं पर केन्रिलेत भगवान शिव की लीलाओं पर ऐसी अधोसंरचना का निर्माण किया गया है, जिन्हें देखकर लोगों को धरती पर शिवलोक के दर्शन होंगे। श्री महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम का प्रसारण लाइव किया जाएगा।

कैसे जा सकते हैं ‘श्री महाकाल लोक’ ?

श्री महाकाल लोक पहुंचने के लिए चार भुजाओं वाले महाकाल ओवर ब्रिज से होकर त्रिवेणी संग्रहालय जाना होगा। संग्रहालय के ठीक सामने लगभग 450 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। पार्किंग शेड के ऊपर सोलर पैनल लगाये गए हैं। उज्जैन में बना 900 मीटर से अधिक लंबा श्री महाकाल लोक भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है। दो राजसी प्रवेश द्वार-नन्दी द्वार और पिनाक द्वार थोड़ी-थोड़ी दूरी पर श्री महाकाल लोक के शुरूआती बिन्दु पर बनाए गए हैं, जो प्राचीन मन्दिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं। पार्किंग के ठीक सामने पिनाक द्वार है और उसके समीप स्थित है त्रिवेणी संग्रहालय। यहीं पर श्री महाकाल लोक में प्रवेश करने के पहले नन्दी द्वार बनाया गया है। द्वार के बाहरी हिस्से में भगवान गणेश के दर्शन होते हैं। प्रवेश द्वार पर विशाल नन्दी की प्रतिमा बनाई गई है, जो कि अत्यन्त आकर्षक लगती है। इन्हें निहारते हुए ही महाकाल लोक में प्रवेश होता है।

कैसे बनाया गया है श्री महाकाल लोक ?

उल्लेखनीय है कि श्री महाकाल लोक में राजस्थान में पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग संरचनाओं के निर्माण के लिए किया गया है। राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के कलाकारों और शिल्पकारों ने मुख्य रूप से बलुआ पत्थरों को तराशकर और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। श्री महाकाल लोक के दाहिनी तरफ कमल ताल, शिव स्तंभ, सप्तऋषि परिसर, पब्लिक प्लाजा और नवग्रह परिसर बनाये गये हैं। यहां पर बैठक व्यवस्था भी की गई है। पास ही में कमल ताल है, जहां 25 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा बनाई गई है।

आकर्षक चित्रण मोह लेंगे मन

महाकाल लोक में बनी प्रतिमाएं, फव्वारे और आसपास की हरियाली आकर्षित करती है। कोबल्ड स्टोन की रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की कनेक्टिविटी विकसित की गई है। पैदल चलते हुए शिव, देवी और श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रतिमाएं नजर आती हैं। चित्रों के नीचे सम्बन्धित कथाएं भी अंकित की गई हैं। क्यूआर कोर्ड भी बनाये गये हैं, जिन्हें मोबाइल से स्केन कर कथा सुनी जा सकती है। इनमें शिव बारात का आकर्षक चित्रण किया गया है। एक शिल्प में कैलाश पर्वत को रावण ने उठा रखा है। कैलाश पर शिव परिवार भी विराजित है। एक शिल्प में देवी की नृत्य मुद्रा बनाई गई है।

लेजर शो, वाटर कर्टन शो और शॉपिंग कॉम्पलेक्स की भी व्यवस्था

सप्तऋषि परिसर में ऋषियों की विशाल प्रतिमाओं के दर्शन के साथ उनके बारे में आवश्यक जानकारी दी गई है। त्रिपुरासुर वध का चित्रण विशाल शिल्प में किया गया है। यहां रथ पर सवार भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध कर रहे हैं। पिनाक द्वार उनके लिये है जो सीधे मन्दिर में प्रवेश करना चाहते हैं। यह पौराणिक रूद्र सागर का घाट है। रूद्र सागर में लाईट एण्ड साउण्ड शो, लेजर शो और वाटर कर्टन शो दिखाये जाएंगे। इसके अलावा श्री महाकाल लोक में शॉपिंग कॉम्पलेक्स भी बनाया गया है, जहां फूल, प्रसाद से लेकर धर्म और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की दुकानें प्रारम्भ होंगी। कॉम्पलेक्स के समीप फेसिलिटी सेन्टर क्रमांक-2 स्थित है, जहां जूते, चप्पल और बैग जमा करने की व्यवस्था की गई है। समीप ही शौचालय और नाश्ते तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है।

श्री महाकाल लोक में देश की सबसे लम्बी भित्ति चित्र वाली दीवार

श्री महाकाल लोक में देश की सबसे लम्बी भित्ति चित्र वाली दीवार है। इस दीवार पर पत्थरों पर शिव कथाएं उकेरी गई हैं। श्री महाकाल लोक दो हिस्सों में बना है। एक तरफ पैदल पथ और दूसरी तरफ ईकार्ट पथ। दोनों पथ के बीच 108 शिवस्तंभ शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। यह स्तंभ साधारण नहीं है, हर स्तंभ पर शिव की नृत्य मुद्रा अंकित है। इन्हीं पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

यहां बनाया गया देश का पहला नाईट गार्डन

महाकाल लोक में देश का पहला नाईट गार्डन बनाया गया है, जहां दिन में भी रात्रि का अहसास होता है। गोलाकार नाईट गार्डन के बीच शिव की विशाल ध्यानमग्न प्रतिमा बनाई गई है। इसके ठीक सामने के हिस्से में नीलकंठ परिसर है। लगभग 20 एकड़ में फैले महाकाल लोक में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। रात्रि के समय जब मूर्तियों और म्युरल्स पर रोशनी पड़ती है तो पूरा लोक स्वर्णिम आभा से चमकने लगता है। महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधों को श्री महाकाल लोक में लगाया गया है। इनमें रूद्राक्ष, बकुल, कदंब, बेलपत्र, सप्तपर्णी आदि शामिल हैं।

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