राजे ने उठाया महिला होने का भावानात्मक मुद्दा

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कदम कदम पर करना पड़ता है संघर्ष


जयपुर.
भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने अपने एक बार फिर महिला होने का भावानात्मक मुद्दा उठाया है। राजे ने कहा कि महिला होने के कारण कदम कदम पर संघर्ष करना पड़ता है।
बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुन्धरा राजे ने कहा कि कोई सा भी क्षेत्र हो महिलाओं को संघर्ष के कठिन दौर से गुजरना पड़ता है। कहने को तो समाज में महिलाओं का बराबरी का दर्जा है लेकिन आज भी हमारी बहनों को आगे बढऩे के उतने मौके नहीं मिल पाते जितने मिलने चाहिए। राजे शुक्रवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका जगदंबा सरस्वती के 57वें स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में आबू रोड में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही महिला सशक्तिकरण के कितने ही दावे किए जाएं लेकिन आज भी सार्वजनिक जीवन में बहनों के लिए पर अवरोध है। कदम-कदम पर ताने और अपमान है। उन्होंने मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व समस्त नारी जगत के लिए गौरव की बात है क्योंकि उन्होंने मानव सेवा का काम उस समय हाथ में लिया जिस समय महिलाओं का घर से निकलना भी बहुत कठिन था। हालाँकि महिलाओं की स्थिति आज भी उतनी सुदृढ़ नही है जितनी होनी चाहिए।
राजे ने कहा कि मैं पूरी तरह से भगवान पर आश्रित हूं वो भगवान जिन्हें मैं मेरे राजस्थान के हर इंसान में पाती हूँ। उन्होंने कहा कि भगवान का स्मरण कर अच्छे कर्म किए जाओ परिणाम अच्छे ही आएंगे फिर आप सबको आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। कार्यक्रम में पूर्व मुख्य मंत्री का ब्रह्माकुमारी की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राज योगिनी ब्रह्मा कुमारी मुन्नी दीदी, ब्रह्मा कुमारी के कार्यकारी सचिव डॉ. ब्रह्मा कुमारी मृत्युंजय, कुमारी सुचिता बहन और कुमारी कमलेश बहन ने स्वागत किया। इस अवसर पर कई भाजपा नेता भी मौजूद रहे।

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