राजस्थान को मिली पहली वंदे भारत ट्रेन, सैटेलाइट से ऑपरेट, 360 डिग्री घूमने वाली सीटें

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जयपुर। लंबे इंतजार के बाद आखिर राजस्थान को पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन मिल गई। सैटेलाइट से चलने वाली ट्रेन वंदे भारत ने बुधवार को जयपुर से दिल्ली का पहला सफर किया। दावा किया जा रहा है कि यह देश की सबसे सुरक्षित ट्रेन है। बताया जा रहा है कि सामने से कोई दूसरी ट्रेन आएगी तो सैटेलाइट से इसमें ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। वहीं 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड के साथ यह देश की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन है। हालांकि अभी इसे 110 किमी/ घंटे की स्पीड से चलाया जा रहा है।
ट्रेन ने जयपुर से दिल्ली कैंट तक का 300 किलोमीटर का सफर 4 घंटे 50 मिनट में तय किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली उद्घाटन कार्यक्रम में सुबह 11.30 बजे ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर जयपुर से रवाना किया। दोपहर 4 बजकर 20 मिनट पर ट्रेन दिल्ली कैंट स्टेशन पर पहुंची, जहां केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भांगड़ा करते हुए कार्यकर्ताओं और आम लोगों के साथ स्वागत-सत्कार किया। शुरुआत में 80-90 किमी की स्पीड से चल रही ट्रेन ने दौसा के बाद 115 किमी तक की हाई स्पीड भी पकड़ी। पहले दिन हमारे साथ ट्रेन में सफर कर रहे रेलवे के विशेष आमंत्रित पैसेंजर्स और कई स्कूली स्टूडेंट्स ने बताया कि इस ट्रेन में उन्हें प्लेन जैसे सफर का एक्सपीरियंस हो रहा है।

कोच और गेट

कोच कनेक्टिंग डोर स्लाडर पैटर्न पर खुलते और बंद होते हैं, जो सेंसर्ड ऑपरेटिव हैं। ये मेट्रो ट्रेन जैसा ही है। एक बार रवाना होने के बाद इसके मेन गेट ट्रेन के पूरी तरह रुकने पर ही खुलेंगे। ट्रेन में जरा भी मूवमेंट हैं तो दरवाजे लॉक ही रहेंगे। ट्रेन की तकनीक और इसमें यूज किए गए सभी पाट्‌र्स मेड इन इंडिया हैं। दरवाजे और व्हील्स इंपोर्टेड हैं।

360 डिग्री घूमने वाली सीट दो एग्जीक्यूटिव कोच में ही

इस ट्रेन में 16 कोच हैं। इनमें से 2 एग्जीक्यूटिव कोच और 14 कोच नॉर्मल एसी चेयरकार हैं। 14 चेयरकार कोच में सीट 180 डिग्री तक ही बैक हो सकती हैं। वहीं 2 एग्जीक्यूटिव कोच की सीट 360 डिग्री तक घूम सकती हैं। ट्रेन में एक भी स्लीपर कोच नहीं है, लेकिन चेयरकार कोच में सीटों के 180 डिग्री तक फोल्ड होने के कारण आराम से नींद भी ले सकते हैं। पूरी ट्रेन में कुल 1128 यात्री बैठ सकते हैं।

कोच में ही होगा टेम्प्रेचर कंट्रोल

वंदे भारत के हर कोच में टेम्प्रेचर को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोल बटन है, जो पैसेंजर सीट से थोड़ा दूर ही है। इस कंट्रोल बटन से पैसेंजर खुद एसी का टेम्प्रेचर बदल सकते हैं। हर कोच में 3 माइक्रोवेव ओवन जैसे हीट बॉक्स भी हैं, जहां पैसेंजर्स अपना खाना भी गर्म कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसी के साथ एक बड़ा फ्रीजर भी मौजूद है, जहां पैसेंजर्स अपनी ड्रिंक को ठंडी भी कर पाएंगे।

देश में पहली बार टीसीएएस टेक्निक

जयपुर से दिल्ली तक चल रही वंदे भारत ट्रेन के इंजन में पहली बार ट्रेन कलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) टेक्निक काम में ली गई है। इसे ‘कवच’ नाम दिया गया है। टीसीएएस तकनीक सैटेलाइट से ऑपरेट होती है। इस तकनीक से ट्रेनें कभी भी लाल सिग्नल पार नहीं करेेंगी। मेक इन इंडिया के तहत रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इसे विकसित किया है। इस ट्रेन के सामने कोई ट्रेन आने और पायलट के कोहरे के कारण रेड सिग्नल नहीं देख पाने पर भी सैटेलाइट से रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से ट्रेन के ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे।

फ्लाइट की तरह अलर्ट अनाउंस

फ्लाइट की तरह ही ट्रेन के पायलट पैसेंजर को रवाना होने की सूचना अनाउंस करते हैं। इसके लिए हर कोच में स्पीकर लगे हैं, जो पायलट के पास लगे माइक से कनेक्टेड हैं। पायलट के अनाउंस करने के बाद ट्रेन के मेट्रो ट्रेन की तरह गेट ऑटोमैटिक बंद हो जाते हैं। यह ट्रेन के रवाना होने से महज कुछ मिनट पहले ही बंद होते हैं। ट्रेन के गेट एक साथ बंद होने के बाद नहीं खोला जा सकता है। इसके बाद गेट खोलने के लिए ट्रेन मैनेजर को पायलट से कॉन्टैक्ट करना पड़ेगा।

सिग्नल से तय होती है स्पीड

पायलट को रेलवे कंट्रोल रूम से मैसेज मिलता है कि आगे ट्रैक पर कितनी स्पीड से ट्रेन चलानी है। हर अपडेट के बाद पायलट रिप्लाई कर ट्रेन की स्पीड के बारे में अपडेट करते हैं। ट्रैक के अनुसार पायलट को ट्रेन कितनी स्पीड तक चला सकते हैं, इसके बारे में सूचना दी जाती है। वंदे भारत ट्रेन की अधिकतम स्पीड 180 किमी है, इसके ट्रायल के दौरान 150 किमी प्रति घंटा चलाया गया। बुधवार को जयपुर से दिल्ली जाते समय ट्रेन 110 किमी प्रति घंटा की स्पीड रही।

हर कोच में एलईडी स्क्रीन

इस ट्रेन के हर कोच में आगे-पीछे दो जगहों पर 32 इंच की एलईडी स्क्रीन लगी हुई थी। इन स्क्रीन पर ट्रेन की रीयल टाइम जीपीएस लोकेशन और सफर के दौरान आने वाले स्टेशन के नाम और फाइनल डेस्टिनेशन की दूरी भी डिस्प्ले होती है। इसके साथ ही प्लेटनुमा लगी दो अलग-अलग एलईडी पर ट्रेन की रीयल टाइम स्पीड भी डिस्प्ले होती है।

ट्रेन में 128 सीसीटीवी कैमरे

ट्रेन के हर कोच में 8 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इनमे से दो पैसेंजर सीटिंग एरिया में हैं। पूरी ट्रेन में 128 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनका कंट्रोल आगे-पीछे पायलट के केबिन रूम में है। वहीं हर कोच में दोनों गेट के पास कॉलर माइक है और पूरे कोच में हर सीट के पास स्पीकर भी लगा रखे हैं।
कॉलर माइक से यात्री कुछ दिक्कत होने पर सीधे पायलट से बात कर सकते हैं। वहीं पायलट भी ट्रेन से जुड़ी हर जरूरी सूचना कोच में लगे स्पीकर के जरिए एनाउंस कर यात्रियों तक पहुंचाते हैं।

टाॅयलेट में फ्लाइट जैसे वैक्यूम फ्लश

टॉयलेट में फ्लाइट के जैसे वैक्यूम फ्लश लगे हुए हैं, जो गंदगी को तुरंत ही खींचकर ट्रेन से बाहर कर देते हैं। इसके अलावा हैंड वॉश करने के लिए लिक्विड शॉप और हाथ सुखाने के लिए हैंड ड्रायर भी लगे हैं। ट्रेन के हर कोच में लग्जरी बायो वैक्यूम टॉयलेट बने हुए हैं। इसमें बेहद कम पानी यूज होता है। टॉयलेट के गेट भी ऑटोमैटिक है, जो टच करने मात्र से ही खुल जाते हैं। नल से लेकर हैंड ड्रायर तक सेंसर्ड हैं यानी नल के नीचे हाथ लगाते ही पानी आने लगेगा और हाथ हटाते ही पानी बंद हो जाता है।

ट्रेन का ठहराव ठहराव का समय
जयपुर 5 मिनट
अलवर 2 मिनट
गुड़गांव 2 मिनट

किराया

स्थान एसी चेयर कार एग्जीक्यूटिव क्लास
अजमेर से दिल्ली 1065 रुपए 2055 रुपए
दिल्ली से अजमेर 1230 रुपए 2250 रुपए
जयपुर से दिल्ली 865 रुपए 1630 रुपए
दिल्ली से जयपुर 1030 रुपए 1825 रुपए

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