विदेशी भाषाओं में दक्षता से रोजगार की असीम संभावनाएं

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कार्यशाला में विद्यार्थियों और युवाओं को रोजगार के अवसरों के बारे में दी जानकारी

जयपुर. विदेशों में रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी देने के लिए सीकर रोड स्थित ई लैंग्वेज स्टूडियो में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें संबोधित करते हुए प्रोफेसर जे वी डी मूर्ति ने स्टूडेंट्स को जर्मन भाषा और विदेश में जाकर काम कैसे किया जाए तथा किन- किन चीजों का ध्यान रखा जाए उसके बारे में बताया।
जर्मनी में नर्सिंग सहित अन्य नौकरियों के बारे बताया। प्रोफेसर मूर्ति ने कहा कि जर्मनी सहित विदेशों में पेशेवरों और कुशल श्रमिकों की काफी कमी है। इस कारण वहां रोजगार की संभावनाएं काफी बढ़ी है लेकिन इसके लिए विदेशी भाषाओं में दक्षता प्राप्त करना आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि युवा नियमित अभ्यास करें। जर्मनी और कई देशों ने इस संबंध में अपनी नीतियों को उदार भी बनाया है। साथ ही किस तरह से इंटरव्यू क्लीयर किया जाए और जो स्टूडेंट्स इस संस्थान से जर्मन भाषा पढ़कर विदेश मे अच्छे पद पर कार्यरत हैं उन्होंने भी इस कांफ्रेंस मे आकर नये स्टूडेंट्स के साथ बातचीत की एवं प्रोफेसर मूर्ति से और आगे बढ़ने के बारे और जानकारिया प्राप्त की।

मणिपाल विश्वविद्यालय में असिस्टेंस प्रोफेसर जयवर्धन राठौड़ ने फ्रांस और भारत के लगाव के बारे मे बताया कि वसुधैव कुटुंबकुम् की मानसिकता के कारण हर भारतीय संसार को अपना परिवार मानता है, इसलिए भारतीयों का किसी भी भाषा या कल्चर से जुड़ना आसान होता है
भारत और फ्रांस का हिंदी , मीडिया इंडस्ट्री, हिन्दी फिल्में, होटल, टूरिज्म से संबध रहा हैं। करीब 5 हजार विद्यार्थी हर साल वहां पढ़ने जाते हैं। फ्रांस भारतीयों के लिए बहुत से प्रोग्राम चलाता है ताकि भारतीय फ्रांस में पढ़ने, हिंदी और इंग्लिश पढ़ाने आये।
कुछ समय पहले फ्रांस फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री मोदी की नजदीकियों के बारे मे बात की तथा वहा के राजदूत ने भारतीयों के फ्रांस आने और नागरिकता को लेकर भी जोर दिया था।
उन्होंने देश की सरकारी नौकरियों मे जाने के बहुत से विकल्प और स्कोप बताया। कार्यक्रम संयोजक देवकरण सैनी ने गत 22 अप्रैल से शनिवार तक आयोजित करिअर सप्ताह में युवाओं को देश विदेश में बेहतरीन करिअर विदेशी भाषाओं के माध्यम से कैसे प्राप्त किया जाए इसके लिए यह आयोजन किया गया। शनिवार को इस करिअर सप्ताह का समापन कार्यशाला के साथ किया गया। जिसमें विभिन्न संस्थाओं में कार्यरत जर्मन टीचर्स, स्टूडेंट्स और जर्मन स्पीकर्स क्लब की ओर से प्रोफेसर जेवीडी मूर्ति का सम्मान किया गया।

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