
मेड इन इंडिया लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर वायुसेना में शामिल, नाम है ‘प्रचंड’
जोधपुर.दुनिया का पहला मेड इंन इंडिया लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) 3 अक्टूबर को औपचारिक रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गया। इस लड़ाकू हेलीकॉप्टर को ‘प्रचंड’ के नाम से जाना जाएगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खुद प्रचंड हेलीकॉप्टर में 15 मिनट उड़ान भरकर इसकी ताकत को परखा। वायुसेना की परंपरा के अनुसार ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ देकर हेलीकॉप्टर का स्वागत किया गया। रक्षामंत्री ने सबसे पहले ‘सर्वधर्म पूजा’ की और इसके बाद एलसीएच के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई।
एचएल से मिले 04 हेलीकॉप्टर
पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन ‘थनुष’ राजस्थान के जोधपुर में आज से शुरू की गई है। हिंदुस्थान एयरोनॉटिक्स (एचएल) से मिले चार हेलीकॉप्टर इस पहली स्क्वाड्रन में तैनात किए गए हैं। भारतीय वायुसेना को एचएएल से मिलने वाले अन्य लड़ाकू हेलीकॉप्टर इसी स्क्वाड्रन में शामिल किए जाएंगे।
हेलीकॉप्टर में लगा है रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम
इस हेलीकॉप्टर ने ट्रायल्स के दौरान सियाचिन, रेगिस्तान, जंगल या फिर 13-15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ों पर उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था। इस हेलीकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इस पर हमला कर सकता है, क्योंकि ये सिस्टम इस हेलीकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं। इसके अलावा इसमें रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है। साथ ही शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके।
प्रचण्ड की खासियत
–अब तक का सबसे हल्का हेलीकॉप्टर, वजन सिर्फ 5,800 किलो
–हेलीकॉप्टर में 700 किलो की मिसाइल को इंटीग्रेट किया जा सकता है
–15,000 तक की ऊंचाई पर ऑपरेट कर सकता है
–हेलीकॉप्टर कई तरह की मिसाइल दागने में सक्षम
–70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं
–एलसीएच के फ्रंट में एक 20एमएम की गन लगी हुई है, जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है
–लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की रफ्तार अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसकी रेंज 550 किलोमीटर है।
–यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है।
– यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है।
— इसमें चार हार्ड प्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम एक साथ लगाए जा सकते हैं।
— यह किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है, रात-दिन या वर्षा कैसा भी मौसम हो
सर्वधर्म पूजा के बाद रक्षा मंत्री ने एलसीएच में भरी उड़ान
स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने के कार्यक्रम की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नए एलसीएच की सर्वधर्म पूजा करके की। इसके बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सीएमडी सीबी अनंतकृष्णनन ने एलसीएच की चाबी के गुच्छा रक्षामंत्री को सौंपा। राजनाथ सिंह ने एयर चीफ वीआर चौधरी को इसे सौंपने के साथ ही स्वदेशी हल्के अटैक हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने की औपचारिकता पूरी की। इस मौके पर परंपरा के अनुसार एलसीएच को ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ दिया गया। रक्षामंत्री ने 143 यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर के साथ 15 मिनट उड़ान भरी और एलसीएच के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई।
कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी जरूरत
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ध्रुव हेलीकॉप्टर का विकसित रूप है। पहली बार 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इस तरह के अटैकर हेलीकॉप्टर की कमी महसूस हुई थी। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि दो दशकों की देश की अनुसंधान एवं विकास का प्रतिफल एलसीएच है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना में इसके शामिल होने से हमारे रक्षा उत्पादन की राह में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आज LCH का आगमन इस बात का प्रतीक है कि देश जितना भरोसा भारतीय वायु सेना पर करता है, भारतीय वायु सेना भी उतना ही भरोसा स्वदेशी साजो-सामान पर करती है।
जोधपुर में एलसीएच की यह पहली स्क्वाड्रन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व’ के मौके पर पिछले साल 19 नवम्बर को भारतीय वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी को हल्के वजन वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा था। देश के सबसे बड़े और ताकतवर जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर स्वदेशी अटैकर हेलीकॉप्टर की तैनाती होने से पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और ज्यादा मजबूत होगी। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की जोधपुर में तैनात एलसीएच एयरफोर्स वर्जन की यह पहली स्क्वाड्रन है। एलसीएच में प्रभावी लड़ाकू भूमिकाओं के लिए उन्नत तकनीकों और साइलेंट फीचर को शामिल किया गया है।
पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर होगी नजर
एयरफोर्स डे पर 8 अक्टूबर को 10 हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से वायुसेना को मिलेंगे। एचएएल से पहले बैच में मिलने वाले दस एलसीएच इसी स्क्वाड्रन में शामिल किए जाएंगे। यह हेलीकॉप्टर पाकिस्तान के साथ-साथ चीन बॉर्डर पर भी नजर रखेंगे। हालांकि औपचारिक तौर पर आज वायुसेना में शामिल होने से पहले ही दो एलसीएच हेलीकॉप्टर पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किए जा चुके हैं। इसे दुश्मन की वायु रक्षा, काउंटर विद्रोह, खोज और बचाव, टैंक विरोधी, काउंटर सर्फेस फोर्स ऑपरेशंस इत्यादि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
भारतीय सेना पहले ही बेड़े में कर चुकी है शामिल
इससे पहले 29 सितम्बर को भारतीय सेना में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है। पहला एलसीएच औपचारिक रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक को सौंपा। सेना ने एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन एक जून को बेंगलुरु में बनाई थी। इस स्क्वाड्रन को अगले साल और बढ़ाया जाएगा, ताकि एलएसी पर चीन की गतिविधियों पर नजर रखकर उसकी हरकतों पर विराम लगाया जा सके। सेना के मुताबिक वो अभी 95 एलसीएच और खरीदेगी। इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी जिनमें से सात पहाड़ी इलाकों पर होंगी, क्योंकि ये हेलीकॉप्टर सियाचिन की चोटी पर भी लैंड कर सकता है।
