
जानिए कैसे होती हैं प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियां
जयपुर, 6 जनवरी/ सुनिल शर्मा। भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) को असीमित शक्तियां मिली हुई हैं। दुनिया के टॉप वीवीआईपी सिक्योरिटी कवर में भारत का स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप भी शामिल है। पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर जो चूक सामने आ रही है, उस स्थिति में एसपीजी की ब्लू बुक किसी भी तरह का संयम बरतने की इजाजत नहीं देती है। एसपीजी ने पहली बार सिक्योरिटी बॉक्स में सिंगल फायर की थ्योरी पर काम नहीं किया। सुरक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रधानमंत्री की मुख्य गाड़ी के काफी पास तक प्रदर्शनकारी आ जाएं, मतलब कोई भी बड़ी घटना हो सकती थी।
ब्लू बुक के अनुसार बनता है सुरक्षा घेरा
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार वहां बिना इजाजत के परिंदा भी नहीं आ सकता। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर विशेष अधिकार होते हैं। पीएम के दौरे पर कई तरह के प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है। इन सबके लिए ही ब्लू बुक बनाई गई है। पीएम की सुरक्षा के लिए एसपीजी के विशेषाधिकार, प्रोटोकॉल और कार्रवाई, इससे संबंधित हर बात बुक में लिखी होती है। इन नियमों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। विशेषज्ञ ने कहा कि पचास मीटर के भीतर सिक्योरिटी बॉक्स बनता है। हालांकि इस बॉक्स का घेरा कार्यक्रम के हिसाब से तय होता है यानि स्थितियों के अनुसार सुरक्षा घेरा, छोटा या बड़ा हो सकता है। अगर सडक़ मार्ग से प्रधानमंत्री कहीं जा रहे हैं, तो वहां पर बड़े आकार में सिक्योरिटी बॉक्स बनता है।
पीएम होते हैं एसपीजी के घेरे में
सिक्योरिटी बॉक्स में एसपीजी तैनात होती है यानि इस क्षेत्र पर एसपीजी का एकाधिकार रहता है। पंजाब में सिक्योरिटी बॉक्स का उल्लंघन हुआ है। वहां पर प्रदर्शनकारी, पीएम की गाड़ी के बहुत करीब तक पहुंच गए थे। अगर वहां सिंगल फायर हो जाता, तो उसके बाद की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल ही था। ब्लू बुक सिंगल फायर की इजाजत देती है। पीएम की गाड़ी के करीब एसपीजी की इजाजत के बिना कोई जाने का प्रयास करता है तो वह बच नहीं सकता। जिस पुल पर पीएम की गाड़ी रुकी थी, उसके आसपास काले कपड़ों वाला एक संदिग्ध व्यक्ति देखा गया था। वह एक ही दिशा में इधर से उधर टहल रहा था। प्रधानमंत्री की बख्तरबंद गाड़ी आईईडी, मोर्टार, हैंड ग्रेनेड या अन्य तरह के किसी भी बड़े हमले को झेलने में सक्षम है।
ब्लू बुक आखिर है क्या
पीएम के किसी भी दौरे से पहले सुरक्षा की योजना बनाना उनके सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है। सुरक्षा में केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल शामिल होते हैं। इसको लेकर विशेष सुरक्षा दल(एसपीजी) की ब्लू बुक में व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित होते हैं। इसके मुताबिक पीएम की सुरक्षा रचना होती है।
ऐसे बनता है पीएम की सुरक्षा का प्लान
पीएम निर्धारित की गई यात्रा से तीन दिन पहले, पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी रखने वाली एसपीजी (विशेष सुरक्षा समूह) एक मीटिंग करता है, जिसमें एडवांस सिक्योरिटी कम्युनिकेशन होता है। इसे एएसएल कहते हैं। इसमें पीएम के कार्यक्रम से जुड़े आधिकारिक लोग, संबंधित राज्य में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, राज्य के पुलिस अधिकारी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होते हैं। बैठक के बाद एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके आधार पर सुरक्षा के सारे इंतजाम किए जाते हैं।
ब्लू बुक के नियमों के अनुसार एसपीजी के जवान पीएम की सुरक्षा में करीब रहते हैं। लेकिन राज्य पुलिस की भी इसमें अधिक जिम्मेदारी होती है। किसी भी विपरित स्थिति में राज्य पुलिस को पीएम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक मार्ग तैयार करना होता है। किसी भी तरह के अचानक घटनाक्रम होने पर राज्य की पुलिस एसपीजी को जानकारी देती है। फिर उसी हिसाब से वीआईपी का मूवमेंट बदल दिया जाता है।
यह है रूट का प्रोटोकॉल
इस तरह के दौरे के लिए हमेशा दो रूट तय होते हैं। रूट की जानकारी किसी को पहले से नहीं होती है। एसपीजी ही रूट का चुनाव करती है। हालांकि एसपीजी इसे कभी भी बदल सकती है। एसपीजी और स्टेट पुलिस में दौरे को लेकर कॉर्डिनेशन रहता है। राज्य पुलिस से तय रूट के लिए क्लियरेंस मांगी जाती है, जिससे पूरा रूट पहले से खाली रखा जाता है।
काफिले में होती हैं दो डमी कारें
प्रधानमंत्री की कार बुलेटप्रूफ होती है। हमलावरों को गुमराह करने के लिए पीएम के काफिले में दो डमी कारें भी शामिल होती हैं। इसके अलावा कारों पर जैमर एंटेना लगे होते हैं। ये एंटेना सडक़ के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम हैं। इन सभी कारों पर एनएसजी के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। इसके अलावा काफिले में सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो मौजूद होते हैं।