पीएम मोदी करेंगे महाकाल कोरिडोर का 11 अक्टूबर को उद्घाटन

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जीवंत हो उठेगी धर्म नगरी उज्जैन, महाकाल कॉरिडोर हुआ बनकर तैयार

उज्जैन. पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद देश में न सिर्फ आधारभूत संरचनाओं का विकास हुआ है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को एक अलग पहचान मिली है। हमारे देश के हजारों साल की समृद्ध विरासत, परंपरा और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित किया गया है। बात चाहे देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर की हो, श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा के सौंदर्यीकरण की या फिर तमाम आक्रमणकारियों की भेंट चढ़ने के बाद भी चट्टान की तरह खड़े रहने वाले सोमनाथ मंदिर की, देश के सभी ऐतिहासिक स्थलों को बीते 8 साल में कायाकल्प किया गया है। अब इसी क्रम में केंद्र सरकार ने उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर का काम पूरा कर लिया है जिसका उद्घाटन पीएम मोदी 11 अक्टूबर को करेंगे।

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर

पवित्र नगरी उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का विभिन्न पुराणों में विशद वर्णन किया गया है। कालिदास से शुरू करते हुए, कई संस्कृत कवियों ने इस मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। समय के देवता, शिव अपने सभी वैभव में, उज्जैन में शाश्वत शासन करते हैं। महाकालेश्वर का मंदिर, इसका शिखर आसमान में चढ़ता है, आकाश के खिलाफ एक भव्य अग्रभाग, अपनी भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को उजागर करता है। महाकाल शहर और उसके लोगों के जीवन पर हावी है, यहां तक कि आधुनिक व्यस्तताओं के व्यस्त दिनचर्या के बाद भी पिछली परंपराओं के साथ एक अटूट लिंक प्रदान करता है। फिलहाल कॉरिडोर के पहले चरण का काम पूरा हुआ है दूसरे चरण का काम 2023-24 तक पूरे होंगे।

धर्म नगरी उज्जैन को मिलेगी एक नई पहचान

महाकाल कॉरिडोर के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, वे कथाएं अब धर्मनगरी उज्जैन में जीवंत हो उठेंगी। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के समीप नवनिर्मित महाकाल प्रांगण में इन कथाओं को दर्शाती भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गई। साथ ही देश और दुनिया से महाकाल का दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में भक्तों पहुंचेंगे जिससे उज्जैन शहर की रौनक बढ़ेगी।

प्रांगण में करीब 200 छोटी-बड़ी मूर्तियां

हमारे देश में सदियों से शिल्प कला का विशेष महत्व रहा है। भारतीय शिल्पकार हजारों वर्षों से ऐसी श्रेष्ठ मूर्तियां बनाते आए हैं जिन्हें देखकर दुनिया चकित रह जाती है। महाकाल के नवनिर्मित प्रांगण में इसी श्रेष्ठता और गौरव को ध्यान में रखते हुए प्रतिमाएं तैयार की गई हैं। भगवान भोलेनाथ के इस पूरे नवनिर्मित प्रांगण में करीब 200 छोटी-बड़ी मूर्तियां हैं।

आसानी से पहुंच सकते हैं महाकाल कॉरिडोर

परिवहन व्यवस्था की बात करें तो निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा इंदौर महाकाल कॉरिडोर से महज 53 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, हैदराबाद और भोपाल की नियमित उड़ानें हैं। अगर ट्रेन की बात करें तो पश्चिमी रेलवे के उज्जैन जंक्शन देश के बाकी राज्यों को ट्रेन कनेक्टिविटी से जोड़ता है। इसी तरह अगर सड़क मार्ग की बात करें तो नियमित बस सेवाएं उज्जैन को इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार, कोटा और ओंकारेश्वर आदि से जोड़ती हैं। उज्जैन से अहमदाबाद (402 किलोमीटर), भोपाल (183 किलोमीटर), मुंबई (655 किलोमीटर), दिल्ली (774 किलोमीटर), ग्वालियर (451 किलोमीटर), इंदौर (53 किलोमीटर) और खजुराहो (570 किलोमीटर) आदि है।

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