असम में गैंडों के ठिकानों को पौधों से खतरा

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आक्रामक पौधों से खत्म हो रही है घास


गुवाहाटी.
ताकतवर जानवरों में से एक गैंडे को पौधों से खतरा पैदा हो गया है। हां जी दरअसल यह आक्रामक पौधे घास को खत्म कर रहे है जो गैंडों का भोजन है। इससे पशुप्रेमियों की चिंता भी बढ़ गई है। ये पौधे घास के मैदानों के लिए गंभीर खतरा बनकर उभरे हैं जिनके चलते कुछ स्थानों पर जानवरों के चारे को बचाने को लेकर चिताएं पैदा हो गई हैं।
गैंडों, हाथियों, बारहसिंघा के घर कहे जाने वाले काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान के साथ साथ पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में घास के मैदानों को नष्ट करने वाली आक्रामक पौधों की विभिन्न प्रजातियां बहुतायत में पाई गई हैं। विशेषज्ञों ने घास के मैदानों पर निर्भर पशुओं का दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय वन्यजीव संस्थान की परियोजना आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन के तहत अधिकारियों ने संबंधित वनस्पति को प्रायोगिक रूप से खत्म करने की अनुमति मांगी है। केएनपी के फील्ड निदेशक जतिंद्र सरमा ने कहा कि ये घास के मैदानों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा कुछ पौधे ऐसे भी हैं जिनका भूजल पर जहरीला प्रभाव पड़ता है। इन आक्रामक प्रजातियों को खत्म करने के लिए एक परियोजना पर काम कर रहा है जो पार्क की वनस्पतियों और जीवों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। आरण्यक के विभूति प्रसाद लहकर ने कहा कि बाढ़ का पानी कम होने के बाद परियोजना को पोबितोरा तक बढ़ाने की योजना है। हमने पाया कि मानस में लगभग 30 प्रतिशत घास के मैदान मुख्य रूप से दो प्रजातियों क्रोमोलेना ओडोंटा और मिकानिया माइक्रान्था के आक्रमण से प्रभावित हुए हैं।

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