
महिलाओं में मासिक धर्म यानि पीरियड्स शरीर का एक नेचुरल प्रोसेस है। काफी समय तक इस बारे में महिलाएं बात करना तक मुनासिब नहीं समझती थी और इन दिनों के दौरान महिलाओं को हमारे यहां रसोई घर में एंट्री तक नहीं मिलती थी। पूजा आदि कार्यों से भी उन्हें दूर रखा जाता था, लेकिन समय के साथ आए बदलाव व शिक्षा के प्रसार के बाद अब स्थितियां बदली हैं। अब महिलाएं इस दौरान आने वाली समस्याओं को लेकर बताने लगी हैं तो समस्या अधिक होने पर चिकित्सकों की सलाह भी लेने लगी हैं।
पीरियड्स के दौरान हर महिला या किशोरी के मन में यह सवाल आता है कि ब्लीडिंग कितने दिन तक होना चाहिए और कितनी मात्रा में होना चाहिए कि जिसे सामान्य माना जाए। पीरियड के दौरान होने वाला स्त्राव केवल ब्लड नहीं होता है। इसमें गर्भाशय की अंदरूनी दीवार के नष्ट हो चुके टिशू भी शामिल होते हैं। इसमें ब्लड की मात्रा करीब 50 एमएल ही होती है।
यहां हम बता रहे हैं महिलाओं के इन दिनों की खास समस्याओं के बारे में व उनसे राहत पाने के कुछ उपायों के बारे में-
वैसे तो पीरियड्स महिलाओं में एक नेचुरल प्रोसेस है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन में बदलाव की वजह से गर्भाशय से रक्त और अंदरूनी हिस्से से होने वाले स्त्राव को मासिक धर्म कहते हैं। मासिक धर्म सबको एक ही उम्र में नहीं होता। लड़कियों को यह 8 से 17 वर्ष तक की उम्र में हो सकता हैं। कुछ विकसित देशों में लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला मासिक-धर्म होता है। वैसे सामान्य तौर पर 11 से 13 वर्ष की उम्र में लड़कियों में पीरियड्स शुरू होते हैं।
कुछ महिलाओं के लिए पीरियड्स के 5 से 7 दिन किसी रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं होते। इन दिनों के दौरान कुछ महिलाओं को पेट, कमर और पिंडली में बहुत तेज दर्द, बदन दर्द, पेट में ऐंठन, सूजन और मूड स्विंग्स की समस्या होती है। पीरियड्स के दौरान होने वाले इस असहनीय दर्द से छुटकारा पाने के लिए अक्सर महिलाएं दवाइयों का सहारा लेती हैं। ये दवाएं अक्सर पेन किलर होती हैं, जिनसे राहत तो मिलती हैं लेकिन इनके इस्तेमाल से कई बार अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
ऐसे में अगर आप पीरियड्स के दिनों में होने वाले दर्द से छुटकारा पाना चाहती हैं तो अपने रुटीन में योग व अन्य हल्की-फुल्की एक्सरसाइज को शामिल कर सकती हैं। नियमित तौर योग करने व नियमित वॉक करने से ना सिर्फ पीरियड्स क्रैम्प्स से छुटकारा मिल सकता है बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी बचाव होता है। ऐसे कुछ योगासन, जिनसे पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत मिलती है, उनके बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं।
कैट पोज यानि मार्जरी आसन अपनाएं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मार्जरी आसन या कैट पॉज पीरियड आने की डेट से कुछ दिन पहले शुरू कर देना चाहिए। इस आसन को करने के लिए वज्रासन की मुद्रा में बैठें, इसके बाद अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें। अब अपने हाथों पर वजन डालते हुए हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं। इस दौरान पैरों और हाथों को एक दम सीधा रखना चाहिए। अब सांस लेते हुए अपने चेहरे को ऊपर की ओर उठाएं और फिर सांस छोड़ें। इस आसन को करते हुए आपका शरीर बिल्ली के समान लगता है। इसी कारण इसे कैट पॉज आसन कहते हैं। इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराना चाहिए। इस आसन को करने से बॉडी में लचीलापन आता है और रीढ़ की हड्डी मजबूत होने के साथ पेट की मांसपेशियां भी मजबूत और लचीली होती हैं।
वक्रासन भी देता है राहत
योग विशेषज्ञों के अनुसार इस आसन को करने से भी पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत मिलती हैं। इस आसन को करने के लिए पहले जमीन पर बैठ जाएं। अब पैरों को आगे की तरफ फैलाएं। बाएं पैर को मोडक़र तलवे को दाएं पैर के पास फर्श पर रखें। फिर बाएं हाथ को शरीर के पीछे रखें। इसके बाद दाएं हाथ को बाएं पैर के टखने पर रखें। इस दौरान शरीर के ऊपर के हिस्से को पीछे की तरफ मोडऩे की कोशिश करें। अब इस अवस्था में कुछ समय के लिए रहें और फिर अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ जाएं। इस प्रकार इस आसन को दस से प्रन्द्रह मिनट तक करें। इस आसन का नियमित तौर पर अभ्यास करने से महिलाओं को पीरियड्स में होने वाले दर्द से काफी राहत मिलती है।
महिलाओं को स्वस्थ रखता है मासिक चक्र
मासिक चक्र यानि मेन्सुरेशन साइकल की वजह से महिलाओं के शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार कर देते हैं। मासिक चक्र के शुरू के दिनों में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन बढऩा शरू होता है। ये हार्मोन शरीर को स्वस्थ रखता है, खासतौर पर हड्डियों को मजबूत बनाता है। साथ ही इस हार्मोन के कारण गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर ब्लड और टिशूज की एक मखमली परत बनती है, ताकि वहां भ्रूण पोषण पाकर तेजी से विकसित हो सके। मासिक चक्र के दिन की गिनती पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन से अगले पीरियड्स शुरू होने के पहले दिन तक की जाती है। लड़कियों में मासिक चक्र 21 दिन से 45 दिन तक का हो सकता है। सामान्यतया मासिक चक्र 28 से 35 दिन का होता है।