हमारा संविधान पवित्र धर्मशास्त्र के समान है : गिल

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मीमांसा की ओर से मनाया गया संविधान दिवस
कार्यक्रम को विधि विशेषज्ञों ने किया सम्बोधित

जयपुर.
मीमांसा की ओर से 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया गया। जवाहरलाल नेहरू मार्ग स्थित डॉ. राधाकृष्णन राज्य केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित इस कार्यक्रम में विधि विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता राज्य के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता गुरचरन सिंह गिल ने कहा कि हमारा संविधान सामान्य किताब भर नहीं है। यह पवित्र धर्मशास्त्र है। हमारे संविधान में जो चित्र शामिल किए गए है उनका बड़ा महत्व है। हमें इन चित्रों के संदेशों को समझना चाहिए। हमारे संविधान में मोहनजोदड़ों का चित्र है जो हमें यह याद दिलाता है कि हम विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। मौलिक अधिकारों के अध्याय में भगवान श्रीराम का चित्र है जो हमें यह स्मरण कराता है कि कर्तव्यों में ही अधिकार सुरक्षित है। इनके अलावा भगवान श्रीकृष्ण, गुरु गोविंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, महात्मा गांधी के दांडी मार्च साहित अन्य चित्र भी शामिल है जो हमें प्रेरणा देते है। वर्तमान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में सुधार किए जाने की आवश्यकता है।


राजस्थान पुलिस एकेडमी में एडिशनल एसपी, सीमा हिंगोनिया ने कहा कि हमारे संविधान सभा में शामिल महिलाएं सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी भी थी। उनकी दूरदर्शिता इस बात से ही जाहिर हो जाती है कि उन्होंने उस समय मानवाधिकार और हर व्यक्ति समान हो इस बात पर जोर दिया।
राजस्थान स्कूल ऑफ लॉ फार विमेन की संस्थापक प्राचार्या डॉ. वर्तिका अरोड़ा ने कहा कि संविधान दिवस भारत के बारे में बोलने का दिन है भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का दिन है। हमारे संविधान की उद्देशिका में संप्रभु और गणराज्य शब्द पर जोर दिया गया है।

प्रोफ़ेसर प्रह्लाद राय ने राष्ट्र की चेतना को महत्वपूर्ण बताते हुए देश में समरसता और समानता को कैसे स्थापित करें यह चुनौती बताया।

एमिटी यूनिवर्सिटी में एमिटी लॉ. स्कूल की निदेशक डॉ. सरोज बोहरा ने कहा कि हमारे संविधान निर्माता बहुत दूरदर्शी थे। संविधान में केंद्र को अधिक अधिकार दिए गए है लेकिन शांतिकाल में राज्यों को भी पर्याप्त अधिकार प्राप्त है। वहीं वर्तमान में पंचायती राज और जीएसटी के बारे में कुछ प्रश्न उठाए जा रहे हैं जिनका समाधान बाकी है।
अधिवक्ता रमन नंदा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे संविधान निर्माता अपने क्षेत्रों से और तत्कालीन परिस्थितियों से भी प्रभावित थे।
ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने मीमांसा की गतिविधियों की जानकारी दी। जयपुर स्कूल ऑफ ज्यूरिसप्रूडेंस के डॉ. राजेश मेठी ने संचालन किया। इस कार्यक्रम में विधिवेत्ताओ, बुद्धिजीवियों और विधि विद्यार्थियों ने भाग लिया। मीमांसा द्वारा आयोजित इस वैचारिक कार्यक्रम में ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन,जयपुर स्कूल ऑफ ज्यूरिसप्रूडेंस और ई लैंगवेज स्टूडियो ने सहयोग किया।

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