
किसानों को होगा फायदा
जयपुर.
अगले कुछ महीनों बाद किसानों को यूरिया बोरी के बजाय बोतल में मिलने लगेगा। इससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा। अगले दो-तीन साल में तो केवल बोतल वाला ही यूरिया बिकेगा।
देश में 28 मई 2022 को इफको कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (लिक्विड) संयंत्र का भी उद्घाटन किया गया था। बताना चाहेंगे कि यूरिया की एक पूरी बोरी की शक्ति अब आधी लीटर की बोतल में आ चुकी है जिससे परिवहन और भंडारण में भी बहुत बचत हुई है। इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की लगभग 1.5 लाख बोतल के करीब उत्पादन संभव है। वहीं सरकार ने भविष्य में ऐसे ही 8 और संयंत्र स्थापित करने का निश्चय भी किया है। यूरिया के संबंध में इस माध्यम से विदेशी निर्भरता में कमी होगी और देश में बचत होगी। यह नवाचार यूरिया तक ही सीमित नहीं रहेगा और भविष्य में हमारे किसानों को अन्य नैनो उर्वरक भी उपलब्ध कराएगा।
सरकार के तय लक्ष्य के मुताबिक और जिस तेजी से इस दिशा में कार्य किया जा रहा है उन सभी के फलस्वरूप 2025 तक देश यूरिया उत्पादन में तो आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा। साथ ही साथ जैविक खेती में भी भारत कहीं अधिक आगे निकल जाएगा। भारत सरकार देश में किसानों को जैविक खेती करने का बढ़ावा दे रही है इससे देश में उर्वरक की खपत में काफी कमी आएगी। इस प्रकार देश आज तरक्की की नई राह बुन रहा है।
परम्परागत यूरिया की अपेक्षा नैनो यूरिया खाद से पैदावार के साथ गुणवत्ता भी बढ़ेगी। ऐसे में इसके खराब होने का भी डर नहीं है। वहीं नैनो यूरिया से पैसे की बचत होगी और यूरिया को दो साल तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है। बड़ी बात यह है कि किसानों को अब यूरिया बोरी के बजाए बोतल में मिलेगी। इससे लागत कम आएगी और खपत भी कम होगी। यानि 150 से 200 लीटर पानी में यूरिया मिलाकर धान, मक्का, आलू, गेहूं और अन्य फसलों में किसान बड़ी आसानी के साथ इसका छिडक़ाव कर सकते हैं।
नैनो यूरिया को इफको बना रहा है भारतीय वैज्ञानिकों ने की इसकी खोज की है जिसकी कीमत महज 240 रुपए तय की गई है। इसे एक 500 मिली लीटर बोतल में बेचा जा रहा है। ऐसे में सरकार की योजना 2024-25 तक पूरे देश में पारंपरिक बोरी वाले यूरिया की जगह नैनो यूरिया को लाने की है। इसका एक लाभ यह भी है कि नैनो यूरिया को ड्रोन के माध्यम से कम समय में ज्यादा इलाके में छिडक़ा जा सकता है। वहीं कृषि में ड्रोन तकनीक आने के बाद गांवों में युवाओं को अपना स्टार्टअप शुरू करने का भी मौका मिलेगा। नैनो यूरिया को पहले की तरह बैग पैक मशीन से भी छिडक़ा जा सकेगा।
भारत ने अब देश में ही नैनो यूरिया के उत्पादन को बढ़ा दिया है। ऐसे में अब किसानों के लिए यूरिया का आयात नहीं करना पड़ेगा। अभी तक हर साल 90 लाख मीट्रिक टन यूरिया आयात करना पड़ता रहा था। दरअसलए पीएम मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया प्राप्त हो। इसके साथ ही यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में समाप्त हो चुकी 5 उर्वरक फैक्ट्रियों का संचालन किया गया। वहीं यूपी और तेलंगाना कारखानों ने पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया है और अन्य तीन कारखाने भी काम करना शुरू कर देंगे।