अब इन उपायों से बढ़ेगी टे्रनों की गति

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रेलवे टे्रक को भी मिलेगी मजबूती
रेल विद्युतीकरण का भी बड़ा कार्य पूरा


जयपुर.
देशभर में भारतीय रेलवे टे्रनों की गति बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी लक्ष्य के अंतर्गत कई कार्य किए जा रहे है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल संरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ-साथ रेलवे ट्रेक को मजबूती प्रदान करने तथा ट्रेक की स्पीड बढाने के कार्य प्राथमिकता के साथ किये जा रहे हैं। इसी के तहत उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेलवे ट्रेक को स्थिरता प्रदान करने के काम में लिये जाने वाले कंक्रीट स्लीपरों को रेल पटरी के साथ मजबूती प्रदान करने के लिये थिक वेब स्विच का उपयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से ट्रेक पर अधिक स्पीड के साथ ट्रेनों का संचालन किया जा सकता है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार भारतीय रेलवे पर सभी रूट तथा व्यस्त मार्गो पर थिक वेब स्विच का उपयोग करने का निर्णय किया गया है। इस स्विच को इस प्रकार डिजायन किया गया है कि यह कंक्रीट स्लीपरों पर आसानी से स्थापित किया जा सके। यह ट्रेक की सुरक्षा को मजबूत बनाने के साथ-साथ उसकी लाइफ को भी बढ़ाता है तथा कंपन को भी कम करता है, जोकि अधिक स्पीड के रेल संचालन में आवश्यक होता है।
थिक वेब स्विच लगाने का उद्देश्य ट्रेनों की 130 किमी प्रति घंटे की गति प्राप्त करना है जिसे भविष्य में 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही भविष्य में लूप लाइन में भी ट्रेनों की गति 30 किमी प्रति घंटे से बढकऱ 50 किमी प्रति घंटे हो सकती है। ट्रेनों की गति बढ़ाने के साथ-साथ रेलवे ने थिक वेब स्विच की मदद से तकनीक के माध्यम से ट्रेन के सफर को आरामदायक बनाने की दिशा में कदम उठाये गये है। इस वित्तीय वर्ष में उत्तर पश्चिम रेलवे पर 219 थिक वेब स्विच लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक चिन्हित मार्गों पर 88 थिक वेब स्विच स्थापित किये जा चुके हैं।

दोहरीकरण के बाद अब विद्युतीकरण कार्य पूर्ण
अब तक 2259 किलोमीटर ट्रेक का किया विद्युतीकरण

उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर्यावरण अनुकूल रेल संचालन के लिये विद्युतीकरण रेल का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। रेवाडी से पालनपुर तक विद्युतीकरण के कार्य को विभिन्न चरणों में पूरा कर एतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है। रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा अजमेर-दौराई व ब्यावर-गुडिया के 50.17 किलोमीटर रेलमार्ग को दिनांक 29 अक्टूबर को इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर रेल संचालन हेतु अनुमोदित किया है। जीएम विजय शर्मा के दिशा-निर्देर्शों के अनुसार 10 नवंबर को पालनपुर से मदार के लिये गुड्स ट्रेन का संचालन इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर प्रारम्भ किया गया है। रेवाडी से पालनपुर रेलखण्ड के विद्युतीकरण व दोहरीकरण हो जाने से रेल संचालन सुगम व तीव्र गति से किया जाना संभव होगा।
मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे है तथा वर्ष 2023 तक सभी मार्गों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य रेलमार्ग रेवाडी से पालनपुर 716 किलोमीटर रेलखण्ड का विद्युतीकरण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। उल्लेखनीय है रेवाडी-पालनपुर मार्ग का सम्पूर्ण दोहरीकरण कार्य दिनांक 20.03.2021 को पूरा किया गया था। रेवाडी पालनपुर रेलखण्ड पर रेवाडी-अलवर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य वर्ष 2011-12 में 118 करोड की लागत से तथा रेवाडी-रींगस-फुलेरा-पालनपुर व अलवर-जयपुर-फुलेरा 940 किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य 2013-14 में 852 करोड रूपये की लागत के साथ स्वीकृत किया गया। दिल्ली-रेवाडी-रींगस-फुलेरा-पालनपुर व कनकपुरा-मदार रेलमार्ग पर हाई राइज ओएचई लाइन स्थापित की गई है, जिससे इस मार्ग पर डबल स्टैक ट्रेनों को पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक टे्रक्शन पर सुगमता के साथ संचालित की जा सकें।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 2259 किलोमीटर रेल लाइन पर पर्यावरण अनुकूल विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर गया है। उत्तर पष्चिम रेलवे के महत्वपूर्ण रेलखण्ड रेवाडी-अजमेर वाया फुलेरा, रेवाडी-अजमेर वाया जयपुर, जयपुर-सवाई माधोपुर एवं अजमेर-उदयपुर रेलखण्डों पर इलेक्ट्रिक ट्रेक्षन पर यात्री रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है। राजस्थान के प्रमुख क्षेत्रों उदयपुर, अजमेर तथा जयपुर का जुडाव इलेक्ट्रिक ट्रेक्षन से सम्पर्क स्थापित हो गया है। वर्तमान में उत्तर पश्चिम रेलवे पर 50 जोड़ी पैसेन्जर ट्रेनों का संचालन इलेक्ट्रिक ट्रेक्षन पर किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2021-22 में 976 किलोमीटर ब्रॉडगेज लाइनों को विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
रेल विद्युतीकरण से निम्न फायदे होते है-

  1. डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति
  2. अधिक ट्रेनों का संचालन संभव
  3. ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी
  4. इलेक्ट्रिक गाडिय़ों की औसत गति अधिक होती है।
  5. डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से राजस्व की बचत होती है।

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