रक्षा प्रौद्योगिकी में कर सकेंगे एमटेक

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डीआरडीओ और एआईसीटीई ने शुरू किया नया कार्यक्रम
युवाओं को मिलेंगे नए अवसर


जयपुर.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा विभिन्न रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आवश्यक सैद्धांतिक और प्रायोगिक ज्ञान, कौशल और योग्यता प्रदान करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नियमित एमटेक कार्यक्रम शुरू किया गया है। इससे देश के युवाओं को नए अवसर मिल सकेंगे।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी और एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल डीसहस्त्रबुद्धे ने दिनांक 8 जुलाई 2021 को एआईसीटीई नई दिल्ली द्वारा आयोजित एक आभासी कार्यक्रम के दौरान इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम इच्छुक इंजीनियरों को रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा।
यह एम टेक रक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम एआईसीटीई से संबद्ध संस्थानों विश्वविद्यालयों आईआईटी एनआईटी या निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में आयोजित किया जा सकता है। रक्षा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विद संस्थान आईडीएसटी इस कार्यक्रम के संचालन के लिए संस्थानों को सहायता प्रदान करेगा जिसे ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रारूपों में आयोजित किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम में छह विशेष विषय हैं कॉम्बैट टेक्नोलॉजी, एयरो टेक्नोलॉजी, नेवल टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन सिस्टम्स एंड सेंसर्स, डायरेक्टेड एनर्जी टेक्नोलॉजी और हाई एनर्जी मैटेरियल टेक्नोलॉजी। छात्रों को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्योगों में अपने मुख्य थीसिस कार्य को संचालित करने के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। यह कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार में अवसरों की मांग करने वाले छात्रों के लिए मददगार होगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू करने के लिए डीआरडीओ एआईसीटीई और उद्योगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदान आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण साकार करने में मदद मिलेगी।
डॉ जी सतीश रेड्डी ने अपने संबोधन में डीआरडीओ एआईसीटीई और उद्योगों को पीजी कार्यक्रम विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह के विशेष कार्यक्रम से रक्षा क्षेत्र के लिए प्रतिभाशाली कार्यबल का एक बड़ा पूल तैयार किया जा सकेगा। उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं से इस कार्यक्रम के लिए अपना साथ देने और छात्रों को अवसर प्रदान करने का आह्वान किया।

तैयार हो सकेगी कुशल जनशक्ति

प्रो अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कार्यक्रम के शुभारंभ पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे न केवल रक्षा प्रौद्योगिकी में कुशल जनशक्ति तैयार होगी बल्कि नए रक्षा स्टार्टअप और उद्यमियों के मामले में अनपेक्षित लाभ भी पैदा होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि शोध को दिन प्रतिदिन के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह मानवीय मनोविज्ञान का मूल है।
भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक बाबासाहेब नीलकंठ कल्याणी ने डीआरडीओ और एआईसीटीई को इस कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए बधाई दी और रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा पूल के निर्माण के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। यह बताया कि यह कार्यक्रम किस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार कर पाएगा।

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