जटिल है पोर्टल और रिटर्न की प्रक्रिया
1 जुलाई 2017 से हुआ था लागू
वस्तु एवं सेवा कर है पूरा नाम

जयपुर.
चार वर्ष पहले जीएसटी अमल में लाया गया था। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जो की 1 जुलाई 2017 से लागू हुई थी। अब यह कानून शिशु अवस्था से बढकऱ बालक अवस्था में पहुँच गया है। सरकार व जीएसटी काउन्सिल ने इसे संभालने के लिए अपनी पुरजोर कोशिश की है और काफी हद तक सफल भी हुए हैं। परंतु गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) पोर्टल इस सफलता में हमेशा से ही एक अवरोध साबित हुआ है जिस पर जीएसटी के जटिल नियम आग में घी का काम करते रहे हैं। हालाँकि इस कर प्रावधान से सरकार को बहुत फायदा पहुँचा है।
देश के विकास में जीएसटी का बहुत बड़ा योगदान रहने वाला है। अब तक 66 करोड़ से ज्यादा जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए हैं। टैक्स की दरों में कटौती हुई है। देश में करदाताओं यानी टैक्सपेयर्स की संख्या में बढ़ी है। पूरे देश में जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था इसमें एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और 13 उपकर जैसे कुल 17 लोकल टैक्स शामिल थे।
कारोबारियों को दी गई छूट
जीएसटी ने सभी करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बना दिया है। जीएसटी परिषद ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के मद्देनजर कई राहत उपायों की सिफारिश भी की है। जीएसटी के तहत 40 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाले कारोबारियों को टैक्स से छूट दी गई है। इसी तरह सर्विस के लिए एक साल में 20 लाख रुपये तक कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट दी गई है।
इसके अलावा 1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले लोग कंपोजिशन स्कीम का ऑप्शन चुन सकते हैं और सिर्फ एक प्रतिशत टैक्स का पेमेंट कर सकते हैं।
जटिल है रिटर्न प्रक्रिया
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी की रिटर्न प्रक्रिया अव्यावहारिक एवं जटिल है। इसमें अब तक भी जिस तरह के विभिन्न रिटर्न कानून के अंतर्गत बताए गए थे। चार वर्ष पूर्ण होने पर भी सुचारु रूप से कार्यशैली का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। हम यह लरूर मानते हैं कि कोविड महामारी ने भी इस कार्य प्रणाली में एक बड़ी रुकावट दर्ज की है।
सरकार की कई कोशिशों के बावजूद जीएसटी में रिफंड व ईवे-बिल को लेकर भी व्यापार एवं उद्योग में असंतोष है। इस बारे में सरकार द्वारा बार बार अभियान चलाने पर भी वांछित परिणाम नहीं आ पाए हैं।
महामारी के बावजूद जीएसटी राजस्व लगातार बढ़ोतरी के साथ आर्थिक सुधारों का स्पष्ट संकेत दे रहा है। पिछले कुछ महीनों में कर राजस्व में लगातार वृद्धि में जीएसटी कर प्रशासन कई स्रोतों से डेटा का उपयोग कर नकली बिलिंग के खिलाफ ऐक्शन में हैं जिसके चलते जीएसटी में लगातार इजाफा हुआ है।
बढ़ गई चार्टर्ड अकाउंटेंट की जिम्मेदारी
जीएसटी लागू होने के बाद चार्टेड अकाउंटेंट के कंधों पर जिम्मेदारी और बढ़ गई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट के ऑफिसों में फाइलों के ढेर लग गए हैं। जीएसटी के कड़े नियम और तारीख़ों पर काम पूरा करने का बोझ भी बढ़ गया है। अब नए टैक्स सिस्टम में जहाँ एक सीए को रेगुलेटरी बदलाव में लगातार नजऱ रखनी पड़ती है वहीं दूसरी तरफ जीएसटी पोर्टल की दिक्कतों ने काम मुश्किल जरूर किया है। व्यापारियों को भी जीएसटी में लेट फीस तथा पैनल्टी का डर हमेशा बना रहता है। परंतु समय के साथ इस कानून के रंग रूप मे सभी ढलने लगे हैं एवं जीएसटी को अपनाने लगे हैं।
-सी ए मोहित जैन
सचिव, आईसीएआई किशनगढ़ शाखा।
