मंडावर : ऐसा गांव, जहां न कोई शराब पीता है न कोई जाता है कोर्ट-कचहरी

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राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रेल) पर विशेष

महिला सरपंच ने बदल दी गांव की सूरत

जयपुर। महात्मा गांधी ने कहा था, सपनों का भारत गांवों में बसता है। जब तक गांवों में रामराज्य की स्थापना नही हो जाये, तब तक भारत का विकास असंभव है। हम यहां ऐसे गांव की बात करेंगे, जिसमें सच में रामराज्य की स्थापना हुई है और गांधीजी के सपनों के भारत में चुनिंदा गांवों में शुमार है।

यह गांव है राजस्थान प्रदेश के अजमेर व उदयपुर के बीच मेवाड़ अंचल व मेरवाड़ा अंचल के मध्य मगरा क्षेत्र में अवस्तिथ राजसमन्द जिले के भीम तहसील क्षेत्र का गांव मण्डावर। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आमूलचूल परिवर्तन की नायिका गांव की सरपंच प्यारी चौहान ने गांव को बदतर हालात से निकाल खूबसूरत गांव बना दिया है। नशे के आगोश में डूब चुके गांवों को नशे के कारोबार, आबकारी से लड़ झगड़कर गांव को शराबमुक्त बना दिया। आये दिन राजस्व सम्बन्धी विवादों को जड़ से समाप्त कर जिले का पहला राजस्व विवाद मुक्त गांव बनाया तो विभिन्न नवाचारों से देश प्रदेश में गांव खुले में शौच मुक्त हो गया। गांव का प्रत्येक बालक-बालिका स्कूल जाता है। इस हेतु शिक्षा विभाग की ओर से उजियारी पंचायत का खिताब अपने नाम कर चुका गांव पांच साल पहले बदनामी, बदहालत, नशे की गिरफ्त, अशिक्षा के माहौल, भ्रष्टाचार के दलदल , वीरान माहौल से उलट कुछ कर गुजरने की तमन्ना ने सब कुछ बदल कर रख दिया। महिलाएं किसी भी मामले में आजादी नही थी। आज महिलाएं खुलकर सामने आई है तो अपनी बात रखने लगी है। नरेगा कार्य से गांव की रौनक बदली है तो दो दर्जन ढाणियों व मजरों को जोड़ने वाली कच्ची पगडंडिया अब पक्के रास्तों का रूप ले चुकी है। हर घर तक बिजली का सपना हकीकत हुआ है तो शुद्ध पेयजल के व्यापक प्रयास किये गए है। सच तो यह है कि देश की आजादी के सात दशक बाद मण्डावर गांव गुमनामी के अंधेरे से निकल कई गांवों के लिये आदर्श बन गया।

किराने की दुकान पर बिकती थी शराब

सरपंच प्यारी चौहान ने हमारे इंटरव्यू में बताया कि चुनाव जीतने के बाद पंचायत कार्यालय में पहली मर्तबा पैर रखा तो कार्यालय को भंडार कक्ष बना रखा था, कार्यालय शराब का बड़ा अड्डा था। गांव की प्रत्येक गली, किराना दुकानों पर शराब आसानी से मिल जाती थी। गांव के युवा , विद्यार्थी नशे के आगोश में डूब रहे थे। गांव में महिलाओं को पुरुषों के सामने बोलने की आजादी नही थी। गांव की महिलाओं ने एकजुट होकर शराबबन्दी की आवाज बुलंद की। शराबमाफिया व महिला सक्रियता विरोधी ताकते अभियान को फैल करने में जुट गए। महिलाएं ना रुकी, ना झुकी। अंत में आबकारी एक्ट के अनुरूप वोटिंग करवा कर शराब को गांव से मुक्त किया। आबकारी आंकड़ों के अनुसार गांव में प्रतिदिन 60-70 हजार का शराब बिकता था। इस हेतु राजस्थान हाईकोर्ट में शराबबन्दी का केस चला। इस तरह मण्डावर राजस्थान की शराबमुक्त पंचायत बनी।

भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत

सरपंच बताती है कि 2011 में पंचायत में साक्षरता अभियान हेतु प्रेरक का आवेदन किया और इसमें तत्कालीन सरपंच ने फर्जीवाड़ा कर अन्य का चयन कर दिया। इससे आहत होकर राजनीति में आने का प्रण लिया और 2015 में उसी के परिवार के सदस्य को चुनाव में हराकर बाजी जीती। गांव की प्रत्येक योजना में भ्रष्टाचार चरम पर था। बिना रिश्वत, कमीशन के कोई काम नही होता था। पंचायत में जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की भी रिश्वत ली जाती थी। आवास स्वीकृति हेतु निर्धारित रकम वसूली जाती थी। नरेगा मजदूरों को सरपंच, सचिव, मेट के घर पर खेत पर काम करना पड़ता था। गांव की बदतर हालत में बदतर पंचायत का जिम्मा संभाला तो एकबार तो सरपंच के होश उड़ गए। धीरे धीरे कर स्थिति को संभाला। रिश्वतखोरी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। आज गांव की हर योजना का सीधे लाभ पहुचाया जाता है। गांव में होने वाले सभी विकास कार्यो में पूर्ण गुणवत्ता रखी जाती है तथा भ्रष्टाचार मुक्त शासन संचालन हो रहा है।


गांवों को खुले में शौच मुक्त करना कड़ी चुनौती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच जाने हेतु पर्याप्त जगह उपलब्ध होती है। फिर भी सरपंच प्यारी रावत के एक से बढ़कर एक नवाचार, जागरूकता अभियान चलाकर गांव को खुले में शौच मुक्त किया। इस हेतु गांव में बड़े पर्दे पर टॉयलट एक प्रेम कथा फ़िल्म दिखाई। करवा चौथ पर शौचालय गिफ्ट करवाया। दीपावली पर शौचालय में दीपक के अलावा महिला सरपंच ने निरन्तर दो महीने मॉर्निंग फॉलोअप कर लगातार जागरूकता फैलाकर किया। करवा चौथ पर शौचालय गिफ्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया। इसे मुख्यमंत्री सम्मान से भी नवाजा गया।

सरपंच को कई पुरस्कार मिले

स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने पर राजस्थान की 16 चुनिंदा महिला सरपंचों में स्वच्छ शक्ति समारोह 2018 लखनऊ हेतु चयन हुआ। 2019 में भी स्वच्छ शक्ति समारोह कुरुक्षेत्र में हिस्सा लिया। 2020 के साबरमती स्वच्छ शक्ति समारोह हेतु चयनित रही।

गांव में नहीं कोई राजस्व विवाद

गांव में राजस्व सम्बन्धी विवाद निरन्तर बढ़ते जा रहे थे, आये दिन इसको लेकर पारिवारिक तनातनी बढ़ती रही। इसको लेकर विशेष शिविर आयोजन कर ग्राम पंचायत क्षेत्र के सभी राजस्व सम्बन्धी विवाद निपटा कर उपखंड अधिकारी ने राजस्व विवाद मुक्त पंचायत घोषित किया।
गांव की स्कूल दसवीं तक होने से बालिकाओं को आगे पढ़ने में दिक्कत होती थी और अध्यापकों की भारी कमी थी। इस हेतु सरपंच ने एक्शन लेते हुए सरपंच ने पदभार ग्रहण करते ही विद्यालय में गणित, विज्ञान के अध्यापक सरपंच वेतन से लगाकर शुरुआत की। बाद में संघर्ष कर गांव के विद्यालय को सीनियर सेकेंडरी तक क्रमोन्नत करवाया। नए सत्र से रिक्त पदों पर नियमित शिक्षकों को लगवाया। इसके परिणाम स्वरूप सेकेंडरी व सीनियर बोर्ड के विद्यार्थी पूरे जिले में अव्वल आने लगे। आज गांव की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। गांव में एक सीनियर, दो उच्च प्राथमिक, तीन प्राथमिक , छह आँगनबाडी पाठशाला संचालित हो रही है। शिक्षा के अधिकार के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष के सभी विद्यार्थी विद्यालय में पढ़ते हैं। इस हेतु उजियारी पंचायत का सम्मान मिल चुका है। मण्डावर के विद्यालयों की एमकेएसएस व राजस्थान पत्रिका के पूरे राजस्थान में चलाए नींव शिक्षा का सवाल अभियान में ढाक का चौड़ा व मण्डावर सीनियर स्कूल को बेस्ट स्कूल के रूप में चुना था।

हरितिमा मण्डावर व क्लीन

ग्रीन मण्डावर की मिशाल सबसे निराली है, सरपंच ने अपने स्तर पर वीरान पंचायत परिसर को संवारा है, हरे भरे पेड़ पौधों व फूलों से लबरेज पंचायत हर किसी को आकर्षित करता है। गांव में रक्षाबंधन के त्यौहार पर पेड़ पौधों को राखी बांधने की परंपरा को शुरू किया है। खास बात यह कि ग्राम पंचायत क्षेत्र सहित आसपास गांवों में किसी भी परिवार में शादी ब्याव, जन्मोत्सव व अन्य मांगलिक उत्सवों में सरपंच शिरकत करती है तथा बारहमासी उन्नत क्वालिटी का निम्बू पौधा भेंट कर दस पौधे लगाने की अपील भी करती है। इस निम्बू अभियान के तहत अब तक 1000 से अधिक निम्बू पौधे लगा गिफ्ट कर चुकी है। पंचायत क्षेत्र में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी पौधे वितरण की परंपरा को अपनाया गया है। इसके माध्यम से 1 हजार से अधिक पेड़ पौधों का वितरण किया गया है। वितरण के बाद इसकी सजग मोनिटरिंग सरपंच स्वयं करती है तथा पौधों की देखभाल भी करती है।

पहली डिजिटल पंचायत

जब कही भी दूर दूर तक डिजिटल भारत की चर्चा नही थी, उस वक्त मण्डावर में स्थानीय केरियर संस्थान देवगढ़ के सहयोग से डिजिटल मण्डावर की पहल की शुरुआत की। इस तरह की शुरुआत जिले सहित संभाग में पहली शुरुआत थी। मण्डावर ग्राम पंचायत के डिजिटल प्रयास पर प्रदेश स्तर पर सम्मानित किया गया था, आज डिजिटल भारत के माध्यम से पूरे देश मे इस तरह का अभियान चल रहा है।
ग्राम पंचायत मण्डावर की भौगोलिक अवस्तिथि चौकाने वाली है। कुल 2011 की जनगणना के अनुसार 4250 की आबादी वाली पंचायत में 9 वार्ड है तथा 24 छोटे बड़े मजरों व ढाणियों में बसे गांव की राह दलदली, पथरीली पगडंडियों से जुड़ाव था। पैदल राह पार करना कठिन डगर थी, वाहनों की आवाजाही सम्भव नही थी। इन पथरीली , दलदली कठिन पगडंडी राह पर विशेष कार्य योजना बनाकर नरेगा में 23 ढाणियों की आबादी को पक्की सड़क से जोड़ा, वहीं एक शेष रही ढाणी में आधा कार्य हो चुका है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा।
गांव में पेयजल संकट से स्थाई रूप से निपटने की विस्तृत योजना बनाते हुए ढाणियों, मजरों में पेयजल आपूर्ति पर फीडबैक लेकर काम किया। भूजल स्तर को बढ़ाने हेतु पहाड़ो के ढलान से व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को रोकने के लिये तीन दर्जन से अधिक पक्की नाडिया, एनीकट बनाकर रिकॉर्ड कायम किया है। आज गांव के कुओं, हैडपम्प, नलकूप में जल स्तर बढ़ा है। इस चमत्कार से ग्रामीण जल संकट से उभरने में काफी राहत मिली है। गांव में जगह जगह नए हेण्डपम्प लगाकर आबादी क्षेत्र में सुलभ जल सुविधा दी है। सौर ऊर्जा स्वचालित पनघट लगाकर बड़ी आबादी में सुविधा मुहैया कराई है। पुरानी सार्वजनिक पेयजल पाइप लाइन को डबल लाइन करने मुख्य आबादी क्षेत्र में पेयजल की समस्या को निपटाया है। सभी ढाणियों हेतु नवीन नल योजना के माध्यम से घर घर नल पहुचाने हेतु कार्य प्रस्तावित, स्वीकृत व निर्माणाधीन है। स्वजलधारा योजना का सफल संचालन कर तीन मजरों को स्वच्छ पेयजल मिल रहा है।

गांव में बिजली की आंख मिचौली आम थी , इस हेतु सरपंच बिजली विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर समस्या से अवगत कराया और इस पर मास्टर प्लान बनाकर सभी 24 मजरों में नवीन लाइन बिछाई गई। आज गांव में बिना ट्रिपिंग के चौबीस घंटे निर्बाध बिजली मिल रही है।
गांव में चिकित्सा की सुलभ व्यवस्था है तथा उप स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से प्राथमिक इलाज मिल रहा है। गांव में प्रसूति केंद्र पर संस्थागत डिलीवरी होती है। पशु चिकित्सा हेतु गांव में पशु एकीकृत इकाई का सफल संचालन हो रहा है। राशन की दुकान पर पॉश मशीन से राशन मिलने लगा है। मण्डावर गांव की खास बात है मुख्य आबादी से तीन किमी दूर केवल पगडंडी राह से जुड़े राजस्थान के कोकण रेलवे के नाम से प्रसिद्ध गोरमघाट रेलवे स्टेशन है। जहां वर्षा काल में देशी विदेशी पर्यटकों का आना होता है।

देश की सेवा में जुटे हैं युवा

गांव के अधिकतर लोग देश की सीमाओं पर सेना में तैनात है। इस गांव का कोई भी परिवार इससे वंचित नही है। सेना तैयारी हेतु युवा सड़क किनारे दौड़ की प्रेक्टिस करते है , इस पर सरपंच ने मैदान को चौड़ा व समतल तो कराया है पर उपयुक्त राजकीय भूमि के अभाव से रनिंग ट्रेक बनाने की योजना प्रस्तावित है। जल्द ही 400 मीटर रनिंग ट्रेक व खेल मैदान स्टेडियम बनाया जाएगा, जिसके माध्यम से युवाओं को लाभ मिलेगा।

मण्डावर पंचायत में सबसे अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने के लिये ढाणियों के अनुरूप कार्ययोजना बनाई, एक-एक परिवार का अपने स्तर पर सर्वे किया। आधारभूत सुविधाओं के बारे में बारीकी से अध्ययन कर, विभिन्न योजनाओं को सीधे लोगों तक हर परिवार तक पहुचाने का सरपंच ग्राम संपर्क अभियान चलाया। विभिन्न नवाचारों से लोगों को जागरूक करते हुए नुक्कड़ नाटक, कठपुतली के माध्यम से लोगों को जागरूक किया, जिसके माध्यम से जिले में सर्वाधिक श्रमिक कार्ड बनाकर श्रम विभाग से लाभ दिलाया। खाद्य सुरक्षा से वंचित लोगों को इस योजना से जोड़ा। आवास विहीन कच्चे मकान वालों की काउंसलिंग करके अपील के माध्यम से नये पात्रों को जोड़ा। हर परिवार में ईंधन गैस को पहुचाने घर घर संपर्क अभियान चलाया। गांव के प्रत्येक घर मे गैस पहुचाने व जंगल बचाने में मदद मिली। गांव में समय समय पर केरियर काउंसलिंग, रोजगार मेले का आयोजन कर युवाओं को अच्छा भविष्य देने में मदद की है। क्विज प्रतियोगिता, सेना भर्ती तैयारी, अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु निःशुल्क केम्प का आयोजन किया जाता रहता है। महिलाओं को शराबबन्दी अभियान से एकता में रहने की सीख मिली। उसका उपयोग स्वयं सहायता समूह बनाकर स्वावलंबी बन रही है। गांव में महिलाओं के एक दर्जन से अधिक समूह है और 500 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई है। अपनी छोटी मोटी बचत करती है।

मण्डावर ग्राम पंचायत पांच साल पहले अपने तहसील क्षेत्र में सबसे पिछड़ी पंचायतों में गिना जाता था, ना कोई कर्मचारी , ना कोई अधिकारी आना पसंद करता था। आज वो गांव तहसील क्षेत्र में अव्वल दर्जे के गांव के साथ जिले भर में अपनी अलग पहचान रखता है। यह आज देश प्रदेश में अपनी सुर्खिया बटोर रहा है। यह गांव अजमेर व पाली दो जिलों की सीमा से सटा है। यहाँ तीन जिलों के संगम स्थली केरून्डा में बाबा रामदेव का चमत्कारिक मेला भी भरता है, जिसमें पूरे राजस्थान में होने वाली वर्षा की सटीक भविष्यवाणी होती है, जो वैज्ञानिक युग में शत प्रतिशत सही बैठती है।

मिल चुके दो दर्जन से अधिक पुरस्कार

इस गांव की सरपंच सामान्य परिवार की सदस्य है तथा स्कूली जीवन मे कभी मंच पर नही गई। आज पूरे देश में अपने काम करने के अंदाज से चर्चित है। तीन सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुयट बीएड ट्रेंनिग शुदा है। नौकरी को दांव पर लगाकर गाँव को आज देश में पहचान दिला दी। ग्राम पंचायत मण्डावर को अब तक राष्ट्रीय इंडियन आइकॉन अवार्ड, राष्ट्रीय डायमंड एचीवर्स अवार्ड, राजस्थान महिला आयोग सम्मान, स्वच्छ शक्ति सम्मान, मुख्यमंत्री स्वच्छता सम्मान, द चेंज मेकर ऑफ द ईयर, फोकस भारत ग्रेट वुमन लीडरशिप अवार्ड, आपनो राजस्थान सम्मान, उजियारी पंचायत सम्मान, डिजिटल सम्मान, क्षत्रिय रावत सम्मान , पतंजलि योग पीठ सम्मान, जिला प्रशासन बेस्ट पंचायत अवार्ड, विश्व संवाद परिषद अवार्ड सहित प्रदेश, जिला स्तर पर दो दर्जन से अधिक पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। मण्डावर ग्राम पंचायत पर दूरदर्शन राजस्थान की टीम ने 25 मिनट की स्पेशल स्टोरी तैयार की है, जिसे समय समय पर पंचायती राज की कार्यशालाओं में आदर्श रूप में दिखाया जाता है। हाल ही में आयोजित राजस्थान कॉन्स्टेबल परीक्षा में मण्डावर गांव को लेकर भी प्रश्न पूछा गया था कि मण्डावर गांव क्यों प्रसिद्ध है? इस गांव के कार्यकलापों को देखकर दूर दूर लोग आते है।

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