मनिपाल यूनिवर्सिटी में लिटरेचर फेस्टिवल मिनर्वा 23 शुरू

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जयपुर। अजमेर रोड स्थित मनिपाल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को वार्षिक लिटरेचर फेस्टिवेल 23 का आयोजन किया गया। इस मौके पर द ग्रेट इंडियन बुक ट्यूर के तत्वावधान में कई लेखकों की पुस्तकों का विमोचन किया गया। साथ ही कई पुस्तकों पर उनके लेखकों से चर्चा की गई। यूनिवर्सिटी की कला संकाय की डीन कोमल औदिच्य की उपस्थिति में संकाय के संयोजक डॉ. अरुण पूनिया ने अतिथि कवि और लेखकों की पुस्तकों का विमोचन किया।
सर्वप्रथम वरिष्ठ लेखक और कवि विनोद कुमार के प्रेम आधारित कविता संकलन ‘हूं तुम्हारा’ का विमोचन किया गया। इस मौके पर कवि विनोद कुमार में अपने संकलन की कुछ कविताओं के मुक्तक सुनाए तो सभागार में उपस्थित विद्यार्थी और अभिभावक झूम उठे। यूनिवर्सिटी स्टाफ और अतिथियों ने पुस्तक की प्रस्तुति की खूब दाद दी। इसके बाद लेखिका सुनयना सिंधवानी की पुस्तक ‘परपल काउच’ का विमोचन किया गया। उनकी पुस्तक पर चर्चा के दौरान विद्यार्थियों ने सवाल-जवाब भी किए और सारगर्भित जवाब दिए गए।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत पहले दिन के इस आयोजन में लेखक डॉ. आदित्य निघोट की पुस्तक ‘टैग्ड फोर लाइफ’ का भी विमोचन अतिथियों ने किया। पुस्तक को लेकर विद्यार्थियों ने पेशे से चिकित्सक डॉ. निघोट से पुस्तक लेखन की प्रेरणा और लेखन की चुनौतियों को लेकर सवाल-जवाब किए। सभी लेखकों का कहना था कि लेखन के लिए सकारात्मक सोच और दूरदर्शिता के साथ दिल की सुनने की क्षमता होनी चाहिए। इस दौरान दिल्ली की लेखिका रश्मि त्रिवेदी की पुस्तक ‘शी फोर हर’ पर हुई पुस्तक चर्चा में विद्यार्थियों ने संवाद किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम के शुभारंभ पर यूनिवर्सिटी के संकाय संयोजन डॉ. अरुण पूनिया ने कार्यक्रम का परिचय दिया और डीन कोमल औदिच्य ने जीवन में पुस्तकों का महत्व और उनकी उपयोगिता पर बल देते हुए वर्तमान में पुस्तकें और हिन्दी समाचार पत्रों के संपादकीय पढ़ने को कहा।

आदित्य निघोट – पुस्तक टैग्ड फॉर लाइफ

आदित्य निघोट ने बताया कि मेडिकल बैकग्राउंड से होने के कारण मेरा यह मानना है कि समाज की सर्जरी होनी चाहिए। समाज में क्राइम नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि लव स्टोरी और रोमांस से संबंधित साहित्य की रचना की है। परिवार के विघटन के कारण ही 16 से 18 वर्ष के विद्यार्थी आत्महत्या अधिक कर रहे हैं। ऐसे में प्यार और रोमांस का साहित्य हमें जोड़ता है।

डॉक्टर सुनयना सिधवानी – पुस्तक द पर्पल काउच

डॉक्टर सुनयना सिधवानी ने कहा है कि समाज में स्त्री-पुरुषों के अलावा तीसरे समुदाय पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। गे, बाय सेक्सुअल और ट्रांसजेंडर्स भी हमारे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनके जीवन, स्थिति और अधिकारों पर आधारित इस पुस्तक में समाज में समानता का संदेश दिया गया है। समाज से अलग इस शोषित वर्ग की आवाज को उठाए जाने की जरूरत है। पुस्तक 50 वर्ष से अधिक उम्र की नायिका के जीवन पर आधारित है, जिसका भरा पूरा परिवार होने के बावजूद वह स्वयं को अलग समझती है। लोगों को शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए।
भारत के लिए हिंदी समृद्ध भाषा है।

रश्मि त्रिवेदी – पुस्तक शी फॉर हर

पुस्तक शी फॉर हर की लेखक रश्मि त्रिवेदी के अनुसार समाज में औरत को औरत का दुश्मन बताया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि एक औरत ही औरत की अच्छी दोस्त होती है। शारीरिक रूप से समानता के कारण उसकी सहायक भी है। सकारात्मकता का संदेश दिया जाए तो औरत ही औरत की सबसे अच्छी दोस्त साबित होती है। समाज में वही परिवार में संतुलन बना कर रख पाती है। ग्रामीण महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए शैक्षिक क्षेत्र में बहुत कार्य किए जाने बाकी हैं।

विनोद कुमार – पुस्तक हूं तुम्हारा

इस पुस्तक के लेखक विनोद कुमार का कहना है कि हिंदी समृद्ध भाषा है, जो हमारे अंदर से निकलती है और श्रोताओं के दिल तक जाती है। प्रेम की कविताएं समाज को जोड़ती हैं। समाज के माहौल से रचनाएं लिखने की प्रेरणा मिलती है। प्रेम की कविताएं दिल और दिमाग के अंतर को पाटती है। श्रोता के दिल तक पहुंचना ही रचनाकार की सफलता है। बदलते तकनीक के दौर में भी पन्ना पलट कर पढ़ने का आनंद है। कागज और स्याही की खुशबू आत्मा को जोड़ती है। रचनाकार का सम्मान करने के लिए पुस्तक को खरीद कर पढ़ा जाना चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों को समानता व सम्मान दिलाने के लिए उसी भाषा में बात की जानी चाहिए।

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