कवि मुकुट मणिराज से होगी साहित्यिक चर्चा, आखर का आयोजन 6 को

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जयपुर। आखर के अंतर्गत इस बार राजस्थानी के प्रसिद्ध कवि मुकुट मणिराज से साहित्यिक चर्चा की जाएगी। यह आयोजन 6 फरवरी को प्रातः 11 बजे किया जाएगा। इसमे उनके सृजन कर्म, कविता आदि पर संवाद होगा। वह अपनी कुछ कविताएं भी सुनाएंगे। यह संवाद साहित्यकार विजय जोशी करेंगे।
लेखक एवं कवि मुकुट मणिराज की रचनाओं में प्रमुख रूप से ओळमो, डंक (राजस्थानी काव्य), बोलो कठी जावां (राजस्थानी गजल), हाड़ौती कस्यां लिख्या, पढ़यो जावै, यह धरती राजस्थान की है (हिंदी खंड काव्य), मरीचिका के पास (हिंदी काव्य संग्रह) है। इसके साथ ही उन्होंने गढ़गच-अटरू क्षेत्र का साहित्यिक, सांस्कृतिक एव पुरातात्विक विवेचन, बानगी-हाड़ौती लिपि (स्मारिका) का सम्पादन भी किया है। आकाशवाणी और दूरदर्शन केंद्रों पर वर्ष 1975 से उनके गीतों, कविताओं और वार्ता का प्रसारण हो रहा है।
कोटा जिले के बोरखेड़ा गांव में रहने वाले साहित्यकार मणिराज को अपने सृजन कर्म के कारण राजस्थान रत्नाकर नई दिल्ली का महेंद्र जाजोदिया राजस्थायी पद्य पुरस्कार, लोक कवि मोहन मंडेला पुरस्कार, कुंवर लक्ष्मण सिंह गुर्जर स्मृति पुरस्कार, गिरधारी लाल मालव पुरस्कार, साहित्य रत्न पुरस्कार, काव्य रत्न पुरस्कार आदि प्राप्त हुए है। वह जन साहित्य मंच सुल्तानपुर कोटा के संस्थापक संयोजक है तथा राजस्थानी भासा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की पाण्डुलिपि प्रकाशन समिति के सदस्य रहे है। वर्तमान में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल, साहित्य अकादमी के सदस्य है।
इस तरह कोटा के रहने वाले विजय जोशी जाने माने साहित्यकार है। इनकी रचनाओं में हिंदी उपन्यास: रिसते हुए रिश्ते (2009), चीखते चौबारे (2004), कहानी संग्रह: खामोश गलियारे (1996), कैनवास के परे (2000), बिंधे हुए रिश्ते (2006), कुहासे का सफर (2005), सुलगता मौन (2020) है। राजस्थानी कहानी संग्रह में मंदर में एक दिन (1999), आसार (2004), अनुवाद पुरवा की उडीक (2016) सहित समीक्षा के पथ पर (2011), कहानीकार प्रहलाद सिंह राठौड़: कथ्य एवं शिल्प (2011), अपने समय की बानगी: निकष पर (2020), राजस्थानी समीक्षा ग्रंथ-आखर निरख: पोथी परख (2021) है। साहित्यकार जोशी को सृजनात्मक लेखन और हिंदी साहित्य की सेवा के लिए विभिन्न संस्थाओं की ओर से पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया है।
आखर में प्रतिष्ठित राजस्थानी साहित्यकारों डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. अरविंद सिंह आशिया, रामस्वरूप किसान, अंबिका दत्त, मोहन आलोक, कमला कमलेश, भंवरसिंह सामौर, डॉ. गजादान चारण, ठाकुर नाहरसिंह जसोल, गिदधरदान रतनू, भंवरलाल सुथार, पवन पहाडि़या, राजूराम बिजारणियां आदि के साथ साहित्यिक चर्चा की जा चुकी है।

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