
जयपुर
ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से गूगल न्यूज इनिशिएटिव इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क और डाटा लीडस के सहयोग से फैक्ट चेक और फेक न्यूज विषय पर शुक्रवार को एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि वायरल खबरों की सच्चाई जानने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ साथ थोड़ी बहुत खोजबीज भी जरूरी है। इससे हम खबरों की सच्चाई जान सकते है और झूठी वायरल खबरों, फोटो आदि की सच्चाई समाज के सामने ला सकेंगे।
जवाहरलाल नेहरू मार्ग स्थित डॉ. राधाकृष्णन राज्य केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित इस कार्यक्रम में
संबोधित करते हुए डॉ. के.के. रत्तू, निदेशक, आरबी विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ ने कहा कि मीडिया में तेजी से बदलाव आ रहे है, इसमें भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसको देखते हुए हमें भाषा और संवाद पर ध्यान देना होगा।
जीएनआई ट्रेनर डॉ. आदित्य कुमार शुक्ला ने कहा कि वर्तमान में फैक्ट चेक एक उभरता हुए क्षेत्र है और इसमें पत्रकारिता के विद्यार्थियों सहित पत्रकारों के लिए भी बेहतर अवसर है। किसी भी खबर की और फोटो की सच्चाई जानने के लिए तकनीक के साथ पत्रकारिता के बेसिक ज्ञान और जिज्ञासु प्रवृत्ति की भी आवश्यकता रहती है। इसमें गूगल की ओर से कई प्रयास किए जा रहे है। गूगल लैंस, गूगल पिन पाइंट, इनविड और वेबैक मशीन जैसे टूल्स के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता है। इनके जरिए फेक वीडियो और ऑडियों की भी जांच की जा सकती है। इससे हम फेक न्यूज की रोकथाम कर सकते है। गूगल भारत में 35 संगठनों और संस्थानों को इसके लिए सहयोग कर रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जीएनआई ट्रेनर विशाल सूर्यकांत शर्मा ने कहा कि वर्तमान में कई बार फोटो एडिट करके वायरल कर दी जाती है और किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व के साथ जोड़ दी जाती है। इसकी जानकारी हम तकनीक के माध्यम से कर सकते है। गूगल लैंस इसमे बड़ी भूमिका निभा रहा है। इमेज वैरिफिकेशन कर फेक फोटो की हम सच्चाई जान सकते है। इस कार्य में पत्रकारिता का बेसिक सेंस बहुत काम मेें आता है।
कार्यशाला में प्रशिक्षकों ने विद्यार्थियों और पत्रकारों से अभ्यास भी करवाया।
डॉ. राजेश मेठी ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।अंकित तिवाड़ी ने उपस्थित सभी सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
