जानिए कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव

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आम चुनावों से अलग है पद्धति
देश से सांसद और विधायक करते है मतदान


जयपुर.
देश में इस समय राष्ट्रपति का चुनाव चर्चा में है। राष्ट्रपति चुनाव की प्रकिया भी आम चुनावों से अलग है। इस चुनाव में सांसद और विधायक मतदान करते है और इसे एकल संक्रमणीय चुनाव पद्धति कहा जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। चुनाव आयोग के अनुसार मतदान 18 जुलाई को और परिणाम 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। गौरतलब हो देश के वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा होने जा रहा है ऐसे में नए राष्ट्रपति के चयन के लिए चुनाव होना है। इस संबंध में 15 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार 29 जून 2022 तक नॉमिनेशन फाइल किया जा सकेगा।
राष्ट्रपति की चुनावी प्रक्रिया प्रधानमंत्री के चुनाव से बिलकुल अलग है। जहां प्रधानमंत्री लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की बहुलता की वजह से प्रधानमंत्री बनते हैं जबकि पीएम पद का संसद सदस्य पहले जनता द्वारा सांसद चुना जाता है। वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 के तहत राष्ट्रपति के चुनाव में देश के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चुने हुए प्रतिनिधियों के मतदान से उन्हें यह प्रतिष्ठित पद प्राप्त होता है। यहां एक बात जानना बेहद जरूरी है कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एकल संक्रमणीय मत पद्धति या सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती बल्कि उसके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। ऐसे में इस चुनाव में केवल जनता द्वारा सीधे चुने गए विधायकों और सांसदों को ही वोट डालने का अधिकार मिलता है। दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य शामिल नहीं होते है।
राष्ट्रपति के चुनाव की उम्मीदवारी प्रक्रिया भी अन्य चुनावों की अपेक्षा अलग है। राष्ट्रपति के चुनाव की उम्मीदवार को नॉमिनेशन फाइल करने के लिए 50 प्रस्तावकों एवं 50 समर्थकों की हस्ताक्षरित सूची की आवश्यकता होती है। ये प्रस्तावक और समर्थक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के निर्वाचक मंडल के सदस्यों में से कोई भी हो सकते हैं। 50 प्रस्तावकों और समर्थकों की आवश्यकता से संबंधित नियम इसलिए लागू किया गया ताकि वैसे उम्मीदवार ही चुनाव प्रक्रिया में शामिल हों जिनमें जीतने की प्रबल संभावना हो। इस प्रस्ताव प्रक्रिया में निर्वाचक मण्डल का एक मतदाता एक से अधिक उम्मीदवारों के नॉमिनेशन का प्रस्ताव या समर्थन नहीं कर सकता है।
राष्ट्रपति की चुनावी प्रक्रिया निर्वाचक मण्डल के वोट मूल्य की गणना पर आधारित होता है। उम्मीदवारों के नॉमिनेशन फाइल करने के बाद सारी समीकरण वोट मूल्य की गणना पर आकर टिक जाती है। साधारण सा दिखने वाला वोट मूल्य सबसे बड़ा और पेचीदा पेंच होता है। निर्वाचक मंडल में शामिल सांसदों और विधायकों के वोट का मूल्य निकालने का एक अलग तरीका होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर कैसे राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सांसदों और विधायकों के वोट का मूल्य निकाला जाता है।
विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए उस राज्य की कुल जनसंख्या में कुल विधायक का भाग दिया जाता है और उस संख्या में 1000 का भाग दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या आती है वो उस राज्य के विधायक का वोट मूल्य होता है।
सांसद के वोट का मूल्य सभी राज्यों के विधायकों के वोटों के कुल मूल्य में संसद सदस्यों का भाग दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या आएगी वो सांसद के वोट का मूल्य होगा। यह मूल्य हर बार बदलता रहता है और यह वर्तमान संख्या के आधार पर तय होता है।
सांसदों और विधायकों के वोट मूल्य निकालने के बाद सभी सांसद और विधायक वोट देते हैं। इसके बाद विधायक और सांसद की संख्या के स्थान पर उनके वोट मूल्य गिने जाते हैं। इन वोट मूल्य में सबसे पहली पसंद पहले कोटा पाने वाले उम्मीदवार को ही विजयी घोषित किया जाता है।
इस बार एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे। चूंकि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उपयुक्त निर्वाचक मण्डल में पूरे देश से सदस्य शामिल होते हैं इसलिए क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व काफी बढ़ जाता है। आइए जानते है क्या कहता है इस बार का चुनावी समीकरण-
राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिये उम्मीदवार को डाले गए कुल मतों का 50 प्रतिशत प्लस 1 प्राप्त करना होता है। राष्ट्रपति के चुनाव में क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण कुंजी हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और बीजू जनता दल प्रमुख हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में वाईएसआर कांगे्रस पार्टी की 4 प्रतिशत और बीजद की करीब 3 फीसदी हिस्सेदारी है। एनडीए 50 प्रतिशत वोट शेयर से कम से कम 1.2 प्रतिशत अंक दूर है जो उसके उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद जीतने के लिए आवश्यक है।
विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा अपने सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में व्हिप जारी नहीं किया जा सकता। कई बार यह देखा गया है कि राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी दलों के सदस्य भी सत्ता पक्ष द्वारा समर्थित उम्मीदवार को समर्थन करते है जैसे 2002 में जब तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के द्वारा एपीजे अब्दुल कलाम का नाम सामने रखा गया तो विरोधी दलों ने भी इस पर सहमति जताई और भारी बहुमत से कलाम को देश का राष्ट्रपति चुना गया था।
जो भी व्यक्ति इस पद पर आसीन होता है वह 5 साल के लिए स्थाई होता है। इस बीच भले सत्ता परिवर्तन हो लेकिन राष्ट्रपति नहीं बदलते हैं। देश के प्रथम नागरिक होने के नाते राष्ट्रपति के पास कई विशेषाधिकार होते हैं जैसे क्षमा याचिका स्वीकार करना, तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होना, इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान उन पर किसी भी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जैसे अन्य विशेषाधिकार राष्ट्रपति के पास होते हैं।
इस बार के चुनाव में 776 सांसद लोकसभा व राज्यसभा के चुने गए सदस्य और 4033 विधायक वोटिंग करेंगे। सांसदों के कुल वोट का मूल्य 5,43,200 है और एक मत का मूल्य 700 है। विधायकों के कुल मतों का मूल्य 5,43,231 है। निर्वाचक मंडल के सदस्यों के वोटों की कुल वेटेज 10,98,882 हैए यानि जीत के लिए प्रत्याशी को 5,49,442 हासिल करने होंगे।

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